शीर्षासन हठ योग में मुख्य मुद्राओं में से एक है, जिसे आसन का राजा भी कहा जाता है। शीर्षासन एक बहुत ही लाभकारी योग है। इसमें व्यक्ति अपने पैर को नीचे और सर को ऊपर रखता है। यह बहुत ही उपयोगी आसन है।
शीर्षासन कितनी देर करना चाहिए
शीर्षासन कितनी देर करना चाहिए इसको लेकर अलग-अलग विचार है। कुछ शिक्षक इसे दो मिनट करने के लिए सुझाते हैं, तो कुछ तीन से पांच मिनट करने का सुझाव देते हैं। हालांकि शुरूआत में करीब 30 सेकेंड तक शीर्षासन का अभ्यास करना चाहिए। फिर कुछ दिन बाद ही आप इसके समय को बढ़ाइए। यदि आप शीर्षासन को रोज करते हैं तो यह आपको कई तरह से फायदा पहुंचा सकता है।
शीर्षासन के फायदे
संतुलन बढ़ाने में करे मदद
आपके शरीर को मजबूत बनाने के अलावा, शीर्षासन आपके संतुलन करने की क्षमता को भी बढ़ा देता है। इस आसन के जरिए आप आर्ट बैलेंस के बारे में सीखते हैं। बार-बार गिरने से जब आप खुद को बचाते हैं तो इससे आपकी संतुलन करने की क्षमता का विकास होता है।
तनाव को करे दूर
शीर्षासन तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाने में सहायता करता है। यह आपके दिमाग और शरीर को शांत करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह तनाव हार्मोन के उत्पादन को कम करके तनाव से निपटने में आपकी सहायता करता है।
मस्तिष्क के लिए सही है शीर्षासन
शीर्षासन योग मस्तिष्क कोशिकाओं के लिए एक समृद्ध ऑक्सीजनयुक्त रक्त की आपूर्ति करता है। शीर्षासन से पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियों का स्राव नियमित करता है। स्मरण शक्ति, एकाग्रता, उत्साह, स्फूर्ति, निडरता, आत्मविश्वास और धैर्य बढ़ाता है। शीर्षासन फोकस में सुधार करता है क्योंकि इससे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है। यह आपके दिमाग को स्पष्ट और तेज रखता है।
यह आपके विजन में करे सुधार
यदि आप शीर्षासन को नियमित रूप से करते हैं तो यह ब्लड फ्लो में सुधार करता है। जिसकी वजह से यह आंख, कान और नाक के उचित कामकाज में भी मदद करता है। यह गले और नाक में दर्द, मायोपिया, और बलगम निर्माण जैसी कई बीमारियों को दूर करने में सहायता करता है।
हड्डियों के सेहत के लिए लाभकारी
शीर्षासन करने से आपकी हड्डियां मजबूत होती हैं जिससे आप ओस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से दूर रहते हैं। इसलिए युवावस्था में किया हुआ शीर्षासन आपको बुढ़ापे में ओस्टियोपोरोसिस से बचाने में सहायता करता है। इसके अलावा शीर्षासन इम्यून सिस्टम और कार्यक्षमता को बढ़ाकर एनेर्जेटिक बनाता है। दिमाग में ब्लड सर्कुलेट करता है। यह मुद्रा प्रत्येक अंग के पाचन कार्यों को बढ़ाने में सहायता करता है।
यौन विकारों का मुकाबला करने में करे मदद
शीर्षासन यौन विकारों का मुकाबला करने में मदद करता है जैसे प्रोस्टेट समस्या, ल्यूकोरेरिया, शुक्राणुरोधक, और सभी सामान्य रजोनिवृत्ति और मासिक धर्म की बीमारियां। इसके अलावा शीर्षासन का नियमित अभ्यास रक्त वाहिकाओं पर दबाव को राहत देता है।