पवनमुक्तासन का अर्थ होता है पवन या हवा को मुक्त करना। यह आसन अपने नाम की भांति ही लाभकारी होता है। जब हम इस आसन को करते हैं तब हमारे पेट से गैस और कब्ज के कारण जो वायु जमा होती है वो आसनी से बाहर निकल जाती है। इस आसन को किस प्रकार से किया जाता है और इस आसन के द्वारा हमें क्या फायदा होता है आज हम आप को बताते हैं पवनमुक्तासन योग की विधि और फायदे :
पवनमुक्तासन कैसे करते हैं ?
आइये जानते हैं पवनमुक्तासन योग की विधि
- सबसे पहले एक साफ़ स्थान पर चटाई या दरी को बिछा लें।
- इस पर सीधे होकर शवासन में लेट जाएं।
- जब आप सीधे लेट जाते हो तो दाएं पैर के घुटनें को अपनी छाती पर रखें।
- अब अपने दोनों हाथों की अंगुलियाँ एक-दूसरे में डालते हुए अपने घुटनों को पकड़ लें।
- अपने श्वास को बाहर निकालते हुए अपने घुटने को छाती से लगायें एवं सिर को उठाते हुए घुटने से नासिका को स्पर्श करवाएं।
- कुछ सेंकड तक अपने श्वास को बाहर रोकते हुए इसी स्थिति में बने रहें और बाद में अपने पैर को सीधा कर लें।
- अब इसको दूसरे पैर के साथ करें।
- इस क्रिया को चार से पांच बार तक करें।
- अंत में अपने दोनों पैरों के साथ करें, ऐसा करने से आपका एक चक्र पूरा हो जाता है।
पवनमुक्तासन योग के लाभ या फायदे
पवनमुक्तासन योग के हमें जो लाभ प्राप्त होते हैं, वो कुछ इस प्रकार से हैं…
- जिन लोगों को पेट में गैस की शिकायत होती है, उनके लिए यह बहुत ही लाभकारी सिद्द होता है।
- इसको करने से पाचन प्रणाली मजबूत होती है और हमारा खाना आसानी से पच जाता है।
- इससे पेट फूलना और कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।
- इससे पेट के और कमर के स्नायु मजबूत होते हैं।
- इस आसन के दवारा हमारे पैर के सभी अंग सक्रिय होते हैं।
- महिलाओ में मासिक के समय पेट में दर्द होने वाली समस्या से राहत मिलती है।
- यह गठिये, कमर दर्द, ह्रदय रोग और एसिडिटी में बहुत ही फायदेमंद होता है।
- पेट से चर्बी को कम करने के लिए यह बहुत फायदेमंद होता है।
- इसको करने से हाथ, पीठ, कमर और पैर के स्नायु के साथ-साथ हमारा मेरुदंड भी मजबूत होता है।
पवनमुक्तासन की सावधानियां
पवनमुक्तासन में जो हमें सावधानियां बरतनी चाहिए वो इस प्रकार से हैं…
- जब आप के कमर में दर्द हो तो अपने सिर को उठाकर नासिका को घुटनों के साथ स्पर्श न करवाएं। इसमें पैरों से छाती को दबाना ही ठीक रहता है ।
- खाना खाने के तुरंत बाद इस आसन को नहीं करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं, हर्निया, उच्च रक्तचाप, गर्दन और पीठ के विकारों आदि वाले रोगों से पीड़ित लोगों को डॉक्टर की सलाह लेकर ही इसका अभ्यास करना चाहिए।