जिन लोगों को सर्वांगासन का अभ्यास कठिन लगता है या वो इसे अच्छे से नहीं कर पाते वो पद्मा सर्वांगासन का अभ्यास कर सकते हैं। इसको करने से शरीर लचीला होता है, जिससे सर्वांगासन करने में कठिनाई का अहसास नहीं होता इसको किस प्रकार से करना चाहिए और इसको करने से हमें क्या लाभ प्राप्त होते हैं आइये इस बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
पद्मा सर्वांगासन कैसे करते हैं ?
अगर आपको इसका अभ्यास करते समय कठिनाई का अहसास हो रहा हो तो शरीर को लचीला बनाने के लिए आपको योग मुद्राओं का अभ्यास करना चाहिए जिनसे मेरुदंड, कमर, घुटनों, और एडियों में पर्याप्त लचक पैदा हो सके। इस आसन को करते समय हमें अपने पैरों में संतुलन बनाये रखने की विशेष आवश्कता होती है। आइये जानते हैं आसन को किस प्रकार से किया जाता है…
- सबसे पहले समतल स्थान पर दरी या चटाई को बिछा लें।
- फिर पीठ के बल लेट जाएं। इस अवस्था में घुटनों मोड़ते हुए अपने तलवों को जमीन से टिका दें।
- आपकी बाहें शरीर के दोनों तरफ और हथेलियाँ जमीन पर होनी चाहिए ।
- अपने घुटनों को छाती से लगायें ।
- हथेली से जमीन को दबा कर रखें।
- अपनी हिप्स को जमीन से उठा लें।
- कोहनी को मोड़ते हुए हाथों को कमर पर रखें।
- शरीर को सहारा देते हुए कोहनी और बाहों से जमीन को दबाएं।
- अपने पैरों को शरीर से 45 डिग्री तक सीधा करके रखें।
- अब इस मुद्रा में कुछ सेंकड तक बने रखें ।
- फिर धीरे-धीरे करके अपनी पुरानी मुद्रा में वापिस आ जाएँ।
पद्मा सर्वांगासन के लाभ
इस आसन के द्वारा हमें जो लाभ प्राप्त होते हैं वो इस प्रकार से हैं…
- इस आसन को करने से गर्दन और कंधों का व्यायाम होता है, जो रक्त संचार को बनाएं रखने में बहुत ही कारागार होते हैं।
- इस आसन को करने से अनिंद्रा और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
- इसको करने से मानसिक शांति मिलती है।
- इसको करने से मेधा शक्ति में विकास होता है ।
- इसको करने से मांसपेशियां मजबूत होती है।
पद्मा सर्वांगासन की सावधानियां
आसन को करने से पहले हमें इसकी सावधानियों के बारे में पता होना चाहिए। इसकी सावधानियां इस प्रकार से हैं…
- उच्च रक्तचाप वाले मरीजों को इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- गर्दन में कष्ट होने पर इस मुद्रा को नहीं करना चाहिए।
- नेत्र रोग वाले मरीजों को इस का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- मासिक धर्म के समय महिलाओं को इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।