यह एक ऐसा योग आसन है, जिसको करने पर हमारे शरीर की आकृति एक मोर की तरह हो जाती है इसलिए हम इसे मयूरासन के नाम से जानते हैं। जब हम इस आसन को करते हैं तब हमें बहुत ही सावधानी की आवश्कता होती है, क्योंकि इसको करते समय हमारा पूरे शरीर का भार हमारे हाथों पर टिका हुआ होता है और हमारा शरीर हवा में लहराता है ।
मयूरासन कैसे करें ?
मयूरासन को किस प्रकार से किया जाता है आज हम इस बारे में बात करेगें :-
- इस आसन को शुरू करने से पहले साफ़ वातावरण में समतल स्थान पर दरी या चटाई को बिछा लें।
- फिर उस पर पेट के बल लेट जाएं।
- अपने दोनों पैरों के पंजो को आपस में अच्छे से मिला लें।
- हाथ के अंगूठे और अंगुलियां अंदर की ओर रखते हुए हथेली जमीन पर रखें।
- अब दोनों हाथ की कोहनियों को नाभि केन्द्र के दाएं-बाएं अच्छे से जमा लें।
- हाथ के पंजे और कोहनियों के बल पर धीरे-धीरे सामने की ओर झुकते हुए शरीर को आगे झुकाने के बाद पैरों को धीरे-धीरे सीधा कर दें।
- ऐसा करने के बाद अपने पुरे शरीर का वजन कोहनियों के ऊपर कर दें और अपने घुटने और पैरों को जमीन से उठा लें।
- अपने सिर को सीधा रखें।
मयूरासन के लाभ
मयूरासन को करने से हमें जो शारीरिक लाभ प्राप्त होता है, वो कुछ इस प्रकार से हैं…
1. इस आसन को करने से चेहरे पर लाली आती है और यह आप को सुंदर बनता है।
2. मयूरासन से आंतों के साथ साथ शरीर के अन्य अंगों को मजबूती मिलती है।
3. इस आसन से आमाशय और मूत्राशय के दोषों से मुक्ति मिलती है।
4. यह हमारे फेफड़ो के लिए बहुत लाभकारी होता है।
5. इस आसन द्वारा भुजाएँ और हाथ बलबान बनते हैं।
6. यह रक्त संचार को नियमित करता है ।
7. इस आसन को करने वालों को मधुमेह रोग का सामना नहीं करना पड़ता।
8. पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए यह बहुत ही फायदेमंद होता है।
9. इस आसन को करने से हमें पेट की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता ।
10. यह आसन पेट के रोगों जैसे – अफारा, पेट दर्द, कब्ज की समस्या, वायु विकार और अपच को दूर करने के लिए फायदेमंद होता है।
मयूरासन – सावधानियां
1. इस आसन को करने पर पेट खाली होना चाहिए।
2. यदि ब्लड प्रेशर, टीबी, ह्रदय रोग, अल्सर और हर्निया रोग की शिकायत हो, तो इस आसन को विशेषज्ञों और चिकित्सकों के परामर्श लेकर ही करना चाहिए।