कटि का अर्थ होता है कमर और चक्र का अर्थ होता है पहिया। इस आसन में कमर को दाएं से बाएँ ओर घुमाया जाता है और जब हम ऐसा करते हैं तो हमारी कमर पहिये की तरह घुमती है। यही कारण है कि हम इसे कटि चक्रासन के नाम से जानते हैं।
कटि चक्रासन करने की विधि
जब आप इस आसन को सही तरीके के साथ करते हो तभी आपको इस आसन का लाभ प्राप्त होता है। आइए हम आपको इस आसन को करने की विधि बताते हैं।
- इसको करने के लिए सबसे पहले आप ताडासन में आ जाएं।
- अपने दोनों पैर के बीच एक फिट की दूरी बनाकर जमीन के ऊपर खड़े हो जाएं।
- आपने दोनों हाथों को अपने कंधों के समानांतर फैलाते हुए अपनी हथेलियों को भूमि की ओर रखें।
- सांस को भरें और फिर सांस को छोड़ते हुए अपनी बाहों को धीरे-धीरे अपने शरीर के दाईं ओर ले जाएं।
- अपने शरीर को दाईं तरफ को घुमाएँ ।
- अपने शरीर को कमर से मोड़िए और अपनी बाहों को यथासंभव पीछे की ओर ले जाएँ।
- जब आप दाई तरफ घूमते हो, तब अपनी दाई बांह को बिल्कुल सीधा रखना चाहिए और बाई बांह मोड़नी चाहिए।
- जब आप घूम जाते हो तब इस स्थिति को बनाये रखते हुए फिर से सांस लेते हुए आप बीच में आ जाएं।
- ऐसा करके आप का आधा चक्र हो जाता है ।
- फिर इस प्रक्रिया को बाई तरफ से करना चाहिए।
- ऐसा करके आप का पूरा चक्र हो जाता है।
- इसको आप तीन से चार बार तक कर सकते हैं, बाद में आप इसे बढ़ा भी सकते हैं।
कटि चक्रासन के लाभ
कटिचक्रासन करने से जो हमें फायदे होते हैं वो इस प्रकार से हैं…
- वजन कम करने के लिए
जब आप इस आसन को नियमित रूप के साथ करते हैं, तो आप अपना वजन कम कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको इस आसन को तेजी के साथ करना चाहिए और अधिक देर तक करना चाहिए। ऐसा करने से आप का मोटापा कम हो जाता है। - पतली कमर
जब भी आप इस आसन का अभ्यास करते हैं, तो आप की कमर पतली होने लगती हैं। इसको करने से आपकी कमर खूबसूरत होती है साथ ही मजबूत भी होती है। - छाती का चौड़ा होना
इसके अभ्यास से आपकी छाती चौड़ी होती है और साथ ही साँस संबंधी रोग भी नहीं होते हैं। इसके साथ ही यह हमारे फेफड़ो के लिए भी बहुत ही फायदेमंद होती है। - कब्ज को कम करें
इसको करने से हमें कब्ज की समस्या से छुटकारा मिल जाता है और हमारी पाचन शक्ति तेज हो जाती है। - पसलियों के लिए
इसको नियमित रूप के साथ करने से हमारी पसलियां लोचदार बनने लगती है और हमें श्वास रोग का सामना नहीं करना पड़ता। - कंधों के लिए
जब हम इसे सही तरीके के साथ और नियमित रूप से करते हैं, तो हमारे कंधे, गर्दन, बांहे, पेट, पीठ और जांघे मजबूत होते हैं।
कटि चक्रासन – सावधानियां
कमर या गर्दन में दर्द हो रहा हो, तब हमें कटिचक्रासन को नहीं करना चाहिए।