कंधे और गर्दन की समस्या तब ज्यादा देखने को मिलती है जब आप लगातार कई घंटों तक एक स्थिति में काम करते हो। यह समस्या बैंक में या ऑफिस में काम करने वाले लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है। आइए जानते हैं कि कंधे और गर्दन के दर्द के लिए कौन से योग है?
मत्स्यासन
मत्स्यासन शुरुआती योगों में से एक है जिसके कई स्वास्थ्य लाभ शामिल हैं। इसे हम फिश पॉज के नाम से भी जानते हैं। यदि आप नियमित रूप से मत्स्यासन करते हैं, तो गर्दन, गले और कंधों में तनाव से आपको राहत मिलेगी।
मत्स्यासन करने की विधि
पीठ के बल लेट जाएं और दोनों हाथों को साइड में रखिए। अब अपनी कुहनियों के सहारे सिर तथा धड़ के भाग को जमीन पर से उठाएं। इस स्थिति में पीठ का ऊपरी हिस्सा तथा गर्दन जमीन से ऊपर उठ जाता है। शरीर का ज्यादातर भार अपने सिर पर रखिए। इस स्थिति में जितनी देर आसानी से रुक सकते हैं रुकें। उसके बाद वापस पूर्व स्थिति में आ जाएं।
कंधे और गर्दन के लिए धनुरासन
धनुरासन, जिसे धनुष मुद्रा के रूप में भी जानते हैं। यह एक ऐसा योग अभ्यास है जिसे करने से तनाव और चिंता से राहत मिलती है। नियमित रूप से इस आसन के करने से आपके कंधे, हाथ, गर्दन, पेट, पीठ, जांघों और मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
धनुरासन करने की विधि
धनुरासन को करने के लिए आप साफ जगह पर चटाई को बिछाएं और पेट के बल लेट जाएं। इसके बाद धीरे-धीरे एड़ियों को हाथों से पकड़कर पैरों को उपर की तरफ ले जाएं। इसके बाद जांघों को उपर की तरफ उठाने के बाद दोनों हाथों से दोनों पैरों को पीठ की तरफ खींचिए। अपनी क्षमता के अनुसार सिर और जांघों को उपर की तरफ उठाने की कोशिश करें। धीरे-धीरे सांस को छोड़ते हुए वापस अपनी पहली स्थिति में आ जाइए।
रैबिट पोज
रैबिट पोज आपके हड्डियों के लिए बहुत ही गुणकारी आसन है। यह पीठ, हाथ और कंधे के लिए बहुत ही उपयोगी आसन है। यह आपके इम्यून को बढ़ाने में बहुत ही मदद करता है। यह घुटने, गर्दन, रीढ़ या कंधे के लिए बहुत ही उपयोगी आसन है। यह पाचन को उत्तेजित करता है और मस्तिष्क को ताजा ऑक्सीजन भी देता है।
रैबिट पोज करने की विधि
रैबिट पोज आसन जिसे हम सासांगासना भी कहते हैं को करने का तरीका खरगोश की तरह होता है। इस आसान को झुककर किया जाता है। इसके लिए आप घूटने के बल बैठ जाए और साइड से अपने हाथों से एड़ियों को कसकर पकड़ें। फिर अपने सिर को नीचे लाएं और उससे घुटने को टच करें।
कंधे और गर्दन के लिए भुजंगासन
कंधे, छाती और पेट में मांसपेशियों को भुजंगासन मजबूती देता है। इससे निचले हिस्से की कठोरता कम हो जाती है और हाथों और कंधों को मजबूती भी मिलती है। भुजंगसाना कुछ योगासनों में से एक है, जो पूरे शरीर को पैर की उंगलियों से सिर तक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
भुजंगासन करने की विधि
भुजंगासन करने के लिए आप पेट के बल लेट जाइए और पैरों को सीधा व लम्बा फैला दीजिये। इसके बाद हथेलियों को कन्धों के नीचे जमीन पर रखिये तथा सिर को जमीन से छूने दीजिये। धीरे-धीरे सिर को व कन्धों को जमीन से ऊपर उठाइये तथा सिर को जितना पीछे की ओर ले जा सकते हैं, ले जाइये। हाथों की सहायता के बिना कन्धों को केवल पीठ के सहारे ऊपर उठाने का प्रयत्न करना चाहिये।
धीरे-धीरे पूरी पीठ को ऊपर की ओर तथा पीछे की ओर झुकाते हुए गोलाकार करते जाइये। इस अवस्था में हाथ सीधे होने चाहिए। यह आसन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पीठ पर विशेष तनाव या अनावश्यक खिंचाव न पड़े।
गरुडासन
कंधे और गर्दन के दर्द से परेशान हैं तो आपको गरुडासन करना चाहिए। यह टखनों को मजबूत करता है। इसके अलावा गरुडासन आपके जांघों, कूल्हों, कंधों और ऊपरी पीठ को स्ट्रेच भी करता है। इसके अलावा गरुडासन एकाग्रता में सुधार करने में मदद करता है और संतुलन की भावना में सुधार करता है।
गरुडासन करने की विधि
गरुडासन को करने के लिए सबसे पहले आप एकदम से सीधे खड़े हो जाएं। इसके बाद अपनी बाईं टांग को दाएं पैर में सर्प की तरह लपेट लें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को आपस में लपेटते हुए अपनी उंगलियों और हथेलियों को आपस में मिला लें। इसके बाद अपने हाथों की कलाई को अपने नाक के बिल्कुल सिधाई पर रखें, ध्यान दें कि यह उस तरह हो जिस प्रकार गरुड की चोंच होती है। जब आप इस आसन की पूरी स्थिति में आ जाते हो, तो जितना हो सकता है अपनी साँस को रोक कर रखें।अपनी पहले वाली अवस्था में आ जाएं और फिर दूसरी टांग से गरुडासन को दोहराने की कोशिश कीजिए।
कंधे और गर्दन के लिए कुछ सूक्ष्म व्यायाम
1. सुखासन में बैठ जाइए और चेहरे को धीरे-धीरे दाएं कंधे की ओर ले जाएं। इसके बाद चेहरे को धीरे-धीरे सामने की ओर लाकर बाएं कंधे की ओर ले जाएं। इस क्रिया को प्रारम्भ में 5-7 बार करें फिर इसे बढ़ाकर आप इसे 15-20 बार इसे कर सकते हैं।
2. एक सूक्ष्म व्यायाम में आप सबसे पहले सिर को पीछे की ओर झुकाएं, फिर सिर को आगे की ओर झुकाएं। इसके पश्चात सिर को दाएं-बाएं कंधे की ओर झुकाएं। यह क्रिया भी धीरे-धीरे 15 से 20 बार तक करें।
3. अब आप सीधा खड़े होकर दोनों हाथों को घड़ी की सुई की दिशा में तथा इसके बाद घड़ी की सुई की विपरीत दिशा में 10 से 15 बार गोल-गोल घुमाएं।
4. इसके बाद दोनों हाथों को कंधे की ऊंचाई तक अगल-बगल उठाकर उन्हें कोहनी से मोड़ लें। इसके बाद हाथों को 10 से 15 बार वृत्ताकार घुमाएं।