पक्षियों के व्यवहार और उसके द्वारा इन्सान को मिलने वाले फायदों को देखते हुए योग क्रियाओं को बनाया गया था, उन्हीं में से एक योग का नाम है गरुडासन। इस आसन को गरुड पक्षी की भांति किया जाता है जिसके कारण हम इसे गरुडासन कहते हैं। इंग्लिश में हम इसे ईगल पोज़ के नाम से जानते हैं। जब हम इसे नियमित रूप से करते हैं, तो हमें एक पक्षी की भांति बल और मानसिक एकाग्रता प्राप्त होती है लेकिन यह तभी हो सकता है, जब हम इसे सही तरीके से करते हैं। आज हम आपको बताते हैं कि इस आसन को किस तरह से किया जाता है।
गरुडासन की विधि – जाने गरुड़ासन कैसे करते हैं ?
- गरुडासन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर दरी या कंबल बिछा लें।
- उस पर एकदम से सीधे खड़े हो जाएं।
- इसके बाद अपने दाएं पैर को अच्छे से जमीन पर जमा कर लें।
- अब अपना बायां पैर उठाकर संतुलन को बनाएं।
- इस आसन में अपनी बाईं टांग को दाएं पैर में सर्प की तरह लपेट लें।
- इसके बाद अपने दोनों हाथों को आपस में लपेटते हुए अपनी उंगलियों और हथेलियों को आपस में मिला लें।
- इसके बाद अपने हाथों की कलाई को अपने नाक के बिल्कुल सिधाई पर रखें, ध्यान दें कि यह उस तरह हो जिस प्रकार गरुड की चोंच होती है।
- इस तरह आप आसन की पूर्ण स्तिथि में आ जाते हो।
- जब आप इस आसन की पूरी स्तिथि में आ जाते हो, तो जितना हो सकता है अपनी साँस को रोक कर रखें।
- अपनी पहले वाली अवस्था में आ जाएँ और फिर दूसरी टांग से गरुडासन को दोहराएं।
जब आप इसे शुरू करते हो तब इसे आराम से करें बाद में इसका धीरे धीरे करके समय बढ़ा लें।
गरुडासन के लाभ
गरुडासन करने से हमारे शरीर को जो फायदा मिलता है वो इस प्रकार से हैं…
- हर्निया रोग में यह बहुत ही लाभदायक होता है।
- इसको करने से कमर का दर्द ठीक हो जाता है।
- जो लोग गठिया से परेशान होते हैं, और इस आसन को करते हैं तब उन्हें गठिया से राहत मिलती है।
- इस आसन को करने से नस, नाड़ियां और मांसपेशियां मजबूत होती है।
- इससे हाथों को ताकत मिलती है।
- गरुडासन करने से साइटिका जैसी गंभीर बीमारी से निजात मिलता है।
गरुडासन की सावधानियां
जिन लोगों को पैर पर किसी प्रकार की चोट लगी हो या पैर की हड्डी टूटी हुई हो उन लोगों को इस आसन को नहीं करना चाहिए।