स्वाइन फ्लू नामक एक नई बीमारी इन दिनों सबके होश उड़ाई हुई है वह है स्वाइन फ्लू। यह बहुत ही गंभी बीमारी है क्योंकि सही समय पर इसका इलाज नहीं कराया गया तो आपकी जान भी जा सकती है। यही नहीं, अगर एक इंसान को इस बीमारी ने घेर रखा है तो उसके संपर्क में आकर अन्य व्यक्तियों में भी यह संक्रमण फैल सकता है।
दुनियाभर में फैल रही प्राणघातक बीमारी स्वाइन फ्लू से बचना संभव है, इसके लिए हमें कुछ सावधानी की जरूरत होती है, जिससे हम इस बीमारी का आसानी से सामना कर सकते हैं। इसलिए जब भी हमें इस बीमारी के थोड़े से भी लक्षण दिखाई दे, तो हमें घबराना नहीं चाहिए बल्कि इस बीमारी का सामना करना चाहिए, क्योंकि इस बीमारी का इलाज संभव है।
स्वाइन फ्लू बहुत ही खतरनाक वायरस होता है, जो सुअरों से इंसानों तक पहुंचता है। इस बीमारी के लक्षण सबसे पहले मेक्सिको के वेराक्रूज इलाके के पिग फार्म के आसपास में रहने वाले लोगों में पाए गए थे। यह सुअरों से जुड़ी हुई बीमारी उनके जुकाम से पैदा होती है। यह वायरस आमतौर से चार तरह से होते हैं H1N1, H1N2, H3N2 और H3N1। इसमें H1N1 सबसे घातक वायरस है, जो दुनिया को अपनी चपेट में ले रहा है।
स्वाइन फ्लू क्या है
स्वाइन फ्लू, जिसे एच 1 एन 1 विषाणु भी कहा जाता है, एक इन्फ्लूएंजा वायरस है जो नियमित फ्लू के लक्षणों का कारण बनता है। आम तौर पर इस वायरस के वाहक सूअर होते हैं, लेकिन यह मुख्य रूप से व्यक्ति से व्यक्ति तक फैलता है। स्वाइन फ्लू ने 2009 में पहली बार मनुष्यों में खोज की थी और एक महामारी बन गई थी। महामारी दुनिया भर में या एक ही समय में कई महाद्वीपों पर लोगों को प्रभावित करने वाले संक्रामक रोग हैं।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के लक्षण हमें वैसे तो सामान्य जुकाम की तरह ही होते हैं, परन्तु इसमें हमें 100 डिग्री तक बुखार, भूख का कम हो जाना, नाक में से पानी का बहना जैसे होता है। लेकिन कुछ लोगों को गले में खारिश, जलन, उल्टी और डायरिया भी हो सकता है। इसलिए उपरोक्त में से जिसमें भी तीन लक्षण दिखाई दे तो समझ जाना चाहिए कि स्वाइन फ्लू है।आइये जानते हैं इसके लक्षण…
स्वाइन फ्लू एक आम फ्लू की तरह ही होता है, लेकिन जब भी इस प्रकार का फ्लू हो तो हमें इसका उपचार शीघ्र ही करवा लेना चाहिए, अन्यथा इसका परिणाम घातक भी हो सकता है। इस फ्लू के लक्षण कुछ इस प्रकार से है…
मांसपेशियों में दर्द होना,
गले में खराश और दर्द
सुखी खांसी
बुखार, उल्टी या दस्त का होना
सिर दर्द
भूख न लगना
गंभीर मामलों में शरीर के किसी अंग का काम न करना आदि ।
स्वाइन फ्लू से रोकथाम
अगर आप इस खरतनाक बीमारी से बचना चाहते हैं, तो आप को कुछ बातों को अपने ध्यान में रखना चाहिए जैसे कि…
1. सबसे पहले आप को एक प्लान तैयार करना चाहिए और उस के बारे में सभी को बताना चाहिए।
2. संक्रमण की पुष्टि करने के लिए नजदीकी स्वास्थ्य विभाग से लगातार संपर्क बना कर रखें।
3. अगर आप स्वाइन फ्लू की चपेट में हो तो, आप लोगों से कम तालमेल बनाकर रखना चाहिए।
4. काम करने वाले व्यक्ति को तब तक आराम करना चाहिए जब तक कि अच्छी तरह से ठीक न हो जाए। जिसे ठीक होने में कम से कम पांच दिन लग जाते हैं।
5. अगर किसी में फ्लू के लक्षण दिखाई दे, तो उसे सभी से अलग होने को कहें या उसे घर जाने को कहें घर में भी उसे दूरी बनाकर रखने की आवश्यकता होती है। ऐसे में अगर घर में दूरी न बन पायें तो घर वाले सर्जिकल मास्क पहन सकते हैं।
6. स्वाइन फ्लू से पीड़ित व्यक्ति को बार-बार अपने हाथ साबुन के साथ धोने चाहिए इससे संक्रमण को रोका जा सकता है।
7. छींकते, खांसते हुए टिशु पेपर का इस्तेमाल करना चाहिए और बाद में टिशु पेपर को कचरा दान में दाल कर नष्ट कर देना चाहिए। ऐसा करने से संक्रमण दूसरे इंसान तक नहीं फैलता।
8. दरवाजों के हैंडल, रिमोड़, कंप्यूटर आदि को साफ रखना चाहिए।
स्वाइन फ्लू के घरेलू उपचार
स्वाइन फ्लू होने पर हम कुछ घरेलू नुस्खे भी कर सकते हैं, जो हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं जैसे कि…
1. स्वाइन होने पर तुलसी के पत्तों को धोर खाएं जिससे हमारे फेफड़े साफ हो जाते हैं।
2. स्वाइन फ्लू से बचने के लिए कपूर का सेवन महीने में एक बार करना चाहिए।
3. लहसुन की एक से दो कलियों को अच्छे से चबा कर खाना चाहिए।
4. गुनगुने दूध में हल्दी डालकर इसका सेवन करना चाहिए।
5. हवा को साफ करने वाले गुण नीम में पायें जाते हैं, इसके साथ ही इसमें यह हमारे खून को भी साफ करता है। इसके लिए दिन में तीन से पांच पत्तियां चबा सकते हो।
6. रोजाना प्राणायाम करना चाहिए इसे गला और फेफड़े साफ होते हैं।
7. रोजाना जूस का सेवन करना चाहिए, जिसमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा पाई हो।
स्वाइन फ्लू के बचने के अन्य उपाय
गले में दर्द होना
‘एसिटेमिनोफेन’ या ‘इबुप्रोफेन’ दर्द को कम करने में मदद कर सकती है। बता दें कि बिना किसी डॉक्टर से सलाह लिए इसे ना लें। कुछ लोगों में नमक के पानी से गरारा करने से उनके गले के दर्द को आराम मिल सकता है।
ठंड और दर्द का इलाज
‘एसिटेमिनोफेन’ या ‘इबुप्रोफेन‘ दर्द को कम करने में मदद कर सकती है। ठंड से बचाव के लिए पीड़ित व्यक्ति को कंबल या गर्म कपड़े से लपेट देना चाहिए।
कन्जेशन का उपचार
फ्लू से पीड़ित रोगी को नाक, कान और छाती का कन्जेशन हो सकता है, जिसके कारण दर्द हो सकता है। ‘एसिटेमिनोफेन‘ या ‘इबुप्रोफेन’ आपके दर्द को कम करने में मदद कर सकती है। फिर भी आपके या आपके बच्चे के लिए कुछ भी उपचार लेने से पहले अपने चिकित्सक से संपर्क करने की सलाह दी जाती है। ध्यान रहें, 4 साल से कम उम्र के बच्चे को कोई कफ या ठंड के लिए दवा नहीं देनी चाहिए।
पेट की समस्याओं का उपचार
स्वाइन वायरस फ्लू पेट दर्द, उल्टी और दस्त का कारण भी बन सकता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को जितना हो सके उतना हल्का भोजन दें, इससे पाचन क्रिया आसान हो जाएगी। इसके रोगी को अधिक से अधिक पानी या तरल देना ही उचित होगा ताकि भोजन पचने में आसानी हो। यदि रोगी को पेट में असहनीय दर्द, बार बार उल्टी या दस्त की शिकायत हो, तो अपने चिकित्सक से तुरंत परामर्श लें।
स्वाइन फ्लू के रोगी का अगर सही इलाज हो तो वह ठीक हो सकता है। बता दें कि इलाज के दौरान रोगी को पर्याप्त आराम की जरूरत होती है और डॉक्टर द्वारा सुझाए दवाईयों को नियमित रूप से लेना होता है।
वैसे यह दवाईयां रोग को पूरी तरह खत्म नहीं करतीं लेकिन ये बीमारी की अवधि को कम करने और लक्षणों को कम करने के अलावा न्यूमोनिया जैसी बीमारी के खतरे को भी कम करती हैं।
लक्षणों की सही जानकारी के लिए आपका डॉक्टर फ्लू की जांच करवाने के लिए भी कह सकता है, अतः स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखने पर डॉक्टर की परामर्श अवश्य लें और बगैर चिकित्सकीय देख-रेख के कोई दवा स्वयं ना लें।
स्वाइन फ्लू होने पर इसका इलाज आम तौर पर संभव है। एंटीवायरल दवाओं जैसे कि ओसेल्तामिवर और ज़नामिविर का कोर्स करने से इस बीमारी से लड़ा जा सकता है। ये दवाईयां इस वायरल को फैलने और अपनी संख्या बढाने से रोकती है। यदि आप स्वाइन फ्लू होने के 48 घंटो के भीतर ही इस दवाई का सेवन करते हो तो आपको इसका अच्छा असर देखने को मिलता है। लेकिन इस दवाईयों को चिकित्सकों के निरीक्षण में ही लेना चाहिए। इसमें कुछ साइड इफ़ेक्ट भी हो सकते हैं जैसे कि जी का मचलना, उल्टी आना, बैचेनी होना आदि।
जिन लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है अर्थात् जिन लोगों को दमा हो उनको इसका खतरा अधिक होता है। जिन लोगों को मधुमेह, या ह्र्दय का रोग हो उन्हें भी इसका खतरा अधिक होता है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं और 5 साल के बच्चों को भी इसका खतरा अधिक होता है। इसलिए उन्हें इस रोग से घबराना नहीं चाहिए। बल्कि सही तरीके से इसका इलाज करवाना चाहिए।
सर्दी और फ्लू में क्या अंतर है
सर्दी और फ्लू वायरस से फैलने वाली बीमारी होती है कई बार हमें समझ नहीं आता कि यह सर्दी है या फ्लू। सामान्य होने के साथ इसमें कुछ अंतर इस प्रकार से पाएं जाते हैं जैसे कि :-
1.जब भी सामान्य सर्दी लगती है तो वो जल्द ही ठीक हो जाती है परन्तु फ्लू जल्दी ठीक नहीं होता और उसका प्रभाव भी अधिक घातक होता है जिसके कारण हमारे शरीर में कमजोरी आ जाती है।
2. सर्दी होने पर हमें बुखार का अनुभव नहीं होता, लेकिन फ्लू होने पर 100 डिग्री तक बुखार आम बात है।
3. सर्दी लगने पर सिरदर्द, बदन में दर्द कम होती है लेकिन इसके विपरीत फ्लू होने पर सिरदर्द के साथ साथ असहनीय बदन दर्द होता है।
4. सर्दी लगने पर हमें कम कमजोरी का अहसास होता है परन्तु फ्लू होने पर हमारे शरीर में अत्यधिक कमजोरी आ जाती है।
5. सर्दी होने पर हमारा नाक जाम हो जाता है परन्तु फ्लू होने पर जाम नहीं होता।
अब बात आती है कि यह बीमारी कैसे फैलती है…
देखा जाए तो यह इंसानों में न होने वाला वायरस होता है, लेकिन अब यह इंसानों में भी फैलने लगा है, क्योंकि जो लोग सुअरों के संपर्क में रहते हैं। उनसे यह वायरस दूसरे इंसान तक आसानी से फैल जाता है।
यह बीमारी एक इंसान से दूसरे इंसान तक आसानी से चली जाती है क्योंकि जब भी स्वाइन फ्लू वाला इंसान छिकता है या खांसता है, तो इसके कण वायु में मिल जाते हैं और आसानी से पास खड़े व्यक्ति में प्रवेश हो जाते हैं, इसलिए जब भी छिकना या खांसना हो तो मुंह पर रुमाल या टिस्यू पेपर रख लेना चाहिए।
स्वाइन फ्लू में सावधानी
1. छींकते समय अपनी नाक को टिस्यू पेपर के साथ ढंक लें और उस पेपर को सावधानी के साथ नष्ट कर दें और फिर कचरे में इसे फेंक दे।
2. अपने हाथों को साबुन के साथ धोते रहें और साथ ही ऑफिस के दरवाजों के हेंडल, कीबोर्ड, मेज आदि साफ करते रहें।
3. यदि आपको जुकाम के लक्षण दिखाई दे तो अपने घर से बाहर न जाएं अगर हो सकें तो किसी व्यक्ति के पास न जाएं।
4. यदि आपको बुखार आ गया हो तो उसके ठीक होने के 24 घंटे बाद तक घर पर रहें। जितना हो सकें उतना पानी का सेवन करते रहना चाहिए।
5. अगर हो सके तो अपने चेहरे पर फेस मास्क पहन लें।
क्या कहता है विश्व स्वास्थ्य संगठन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अगस्त 2010 में एच1 एन1 महामारी की घोषणा की थी। तब से, एच1 एन1 वायरस एक नियमित मानव फ्लू वायरस के रूप में जाना जाता है।
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) द्वारा हर साल फ्लू का शॉट विकसित किया जाता है। इसमें आमतौर पर एच1 एन1 वायरस के एक प्रकार के खिलाफ टीकाकरण शामिल होता है।
फ्लू के अन्य उपभेदों की तरह, एच1 एन1 बेहद संक्रामक है, जिससे यह व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक जल्दी से फैल सकता है। आपको बता दें कि छींकने भर से ही हजारों रोगाणु हवा में फैल सकता है। स्वाइन फ्लू से निपटने का सबसे अच्छा साधन स्वच्छीकरण है। संक्रमित लोगों से दूर रहना व्यक्ति-से-व्यक्ति संचरण को रोकने में मदद करेगा।