किडनी रक्त में पानी और खनिजों (जैसे सोडियम, पोटेशियम और फास्फोरस) को संतुलन रखने में बहुत ही सहायता करता है। पाचन, मांसपेशियों की गतिविधि तथा रसायनों या दवाओं के संपर्क में आने के बाद आपके खून से अपशिष्ट निकालने में सहायता करता है। इसके अलावा किडनी रेनिन को बनाता है, जिसे आपका शरीर आपके रक्तचाप का प्रबंधन करने में मदद करता है।
यह एरिथ्रोपोएटिन नामक रसायन बनाता है, जो आपके शरीर को लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने के लिए प्रेरित करता है। इसके अतिरिक्त यह विटामिन डी को सक्रिय भी करता है जो हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायता करता है।
किडनी की बीमारी कैसे होती है
किडनी या गुर्दे की बीमारी का सबसे आम कारण डायबिटीज है। इसे कभी-कभी डायबिटिक नेफ्रोपैथी कहा जाता है। आपको बता दें कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों में से एक-तिहाई लोग किडनी बीमारी की समस्या का सामना करते हैं। हाई ब्लड शुगर का स्तर किडनी में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और कचरे को अच्छी तरह से छानने से रोकता है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर से भी किडनी बीमारी की समस्या हो सकती है। – किडनी ट्रांसप्लांट क्या है ?
क्या है रिस्क फैक्टर
- डायबिटीज
- उच्च रक्त चाप
- हृदय और रक्त वाहिका (हृदय) की बीमारी
- धूम्रपान
- मोटापा
- किडनी की बीमारी का पारिवारिक इतिहास
- असामान्य गुर्दे की संरचना
- बड़ी उम्र
किडनी की बीमारी न हो इसके लिए क्या करें
धूम्रपान न करें
विशेषज्ञों का कहना है कि मोटापे की वजह से किडनी कैंसर का खतरा लगभग 70 प्रतिशत बढ़ जाता है। वहीं धूम्रपान से इसकी आशंका 50 प्रतिशत बढ़ जाती है। सिगरेट पीने से आपकी किडनी ख़राब हो सकती है। यदि आप धूम्रपान छोड़ने वाले हैं, तो धूम्रपान छोड़ने की रणनीतियों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। इसके अलावा सहायता समूह, परामर्श और दवाएं सभी आपको रोकने में मदद कर सकती हैं।
मोटापा
किडनी की बीमारी के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। शुगर और मोटापा इसकी बड़ी वजह बताई जाती हैं। वहीं खराब लाइफस्टाइल भी क्रॉनिक किडनी डिजीज की वजह बनता है। यदि आपका वजन हेल्दी है, तो सप्ताह के अधिकांश दिनों में शारीरिक रूप से सक्रिय रहकर इसे बनाए रखने के लिए काम करें। यदि आपको वजन कम करने की आवश्यकता है, तो वजन घटाने के लिए रणनीतियों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
डिब्बाबंद चीजों से बनाएं दूरी
ब्लड प्रेशर काबू न रखना-उच्च रक्तचाप से रक्त कोशिकाओं पर दबाव पड़ता है, जो किडनी पर असर डालता है। अगर बीपी की समस्या रहती है, तो सही समय पर दवाएं लेना और खान-पान का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है। सोडियम की ज्यादा मात्रा दिल ही नहीं, किडनी की समस्या भी बढ़ाती है। डिब्बाबंद चीजों में नमक व चीनी का ज्यादा इस्तेमाल होता है। इसलिए इससे दूरी बनाएं।
अधिक दवाओं का सेवन
अधिक दवाओं का सेवन आपकी किडनी को प्रभावित कर सकता है। खासतौर पर लंबे समय तक दर्द निवारक दवाएं लेना या डॉक्टर की बिना सलाह से खुद से दवा लेते रहने की आदत कई रोगों को बुलावा दे सकती है। खुद से एंटीबायोटिक या दर्द निवारक दवाएं लेने से बचें। अगर पेशाब संक्रमण जल्दी-जल्दी होता है तो डॉक्टर से जरूर मिलें। ऐसा होना किडनी की खराबी का संकेत भी हो सकता है।