होंठ मानव शरीर का सबसे कोमल, लचीला और मुलायम अंग हैं। इसके द्वारा न केवल चेहरे की खूबसूरती का पता चलता है बल्कि इंसान के चेहरे के हाव भाव का भी पता चल जाता है। आँखें और होंठो की प्रतिक्रिया से किसी भी मानव के मन की बात को समझा जा सकता है। हम अपने होठों का इस्तेमाल अक्सर खाने, हंसने और बोलने के लिए करते हैं।
यह आहार को ग्रहण करने में मदद करने वाला होंठ ध्वनि का उच्चारण करने में बहुत ही सहायता करता है। जिसके कारण मनुष्य गले से निकलने वाली ध्वनि को वार्तालाप में परिवर्तित करने में सक्षम होते हैं। होंठ संवेदी अंग होता है। यह पुरुष और नारी के अन्तरंग समय में कामुकता को बढाने में अहम भूमिका भी निभाता है।
होंठो की सरंचना
- होंठ दो भागों में विभाजित होते हैं – उपरी और निचली होंठ।
- ऊपर वाले होंठ के मांसल उभार को कामुक अंग भी कहा जाता है
- जिस हिस्से में होंठ त्वचा के साथ स्पर्श करते हैं उस हिस्से को वर्मिलियम बार्डर कहते हैं।
- उसी तरह होंठो की लाल खाल को वर्मिलियन जोन के नाम से जाना जाता है। वर्मिलियन जोन मुंह के अंदर की शलेष्मी झिल्ली और शरीर के उपर की त्वचा के बीच का परिवर्तन क्षेत्र होता है।
- होंठ के तीन से पांच परते पाई जाती है।
- जब होंठो की त्वचा में पिगमेंट मेलानिन की मात्रा कम होती है, तो होंठ की त्वचा के अंदर रक्त वाहिकाओं के फैल जाने के कारण होंठो का रंग गुलाबी हो जाता है।
- जब होंठो की त्वचा में मेलानिन पिगमेंट की मात्रा बढ़ जाती है तो होंठ काले नजर आने लगते हैं।
- होंठो पर न तो बाल होते हैं और न ही पसीने की ग्रन्थि होती है।
- होंठो पर तैतीय ग्रन्थि भी नहीं होती, जिसके कारण हमारे होंठ जल्दी से सूखने और फटने लगते हैं।
होंठो के कार्य
होंठ के कार्य कुछ इस प्रकार से होते हैं…
- भोजन को ग्रहण करने का कार्य
होंठ में खुद की मांसपेशियां पाई जाती है, जिसके कारण यह आसानी से मूवमेंट करते हैं। होंठ भोजन को पकड़कर मुंह में लेने, पानी पीने और चूसने में इसकी मांसपेशियां खुद हो काम करने लगती है।
2. आवाज
हम जो भी विभिन्न प्रकार की आवाजों को निकालते हैं, वो होंठों के द्वारा ही निकाली जाती है। होंठ से बांसुरी, क्लारनेट, और सेक्साफोन जैसे वाद्य यंत्र पर सुरीली धुन को बजाए जाते हैं।
3. हाव भाव और अभिव्यक्ति
होंठ के द्वारा ही चेहरे के हावभाव और अभिव्यक्ति को समझा जा सकता है जब भी आप हंसते हैं या रोते हैं या फिर उत्तेजित होते हैं, तो होंठ पर इस भाव नजर आते हैं। हसंते या रोते समय होंठो का खुलना या बंद होना या वक्र का बनना और उत्तेजित होने पर होंठ का फूल जाना इसके संकेत होते हैं।
4. स्पर्श
होंठ की त्वचा के अंदर कई तंत्रिकाएं होती है जो स्पर्श इन्द्रियों के हिस्से के रूप में प्रतिक्रिया करती है। होंठ स्पर्श के प्रति बहुत ही सवेंदनशील के रूप में पाए जाते हैं जो गर्मी और ठंड के संपर्क में आने पर तुरंत प्रतिक्रिया करते हैं।
5. कामोत्तेजना
होंठ की त्वचा के अंदर तंत्रिकाओं का जाल होता है। जिसके कारण होंठ की त्वचा में स्पर्श इन्द्रिया बहुत ही सक्रिय रहती है। इसी कारण होंठ को कामोत्तेजना का क्षेत्र भी कहा जाता है। चुबन और अंतरंगता को बढाने में होंठ की अहम भूमिका होती है।
होंठ के रोग
हमारे इन होंठ को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे कि…
1. होंठ का फटना
2. होंठ में सूजन
3. होंठ पर छालों का होना
4. होंठो का कालापन