एक नए अध्ययन में बताया गया है कि यदि शरीर में विटामिन डी की कमी है तो इससे डिमेंशिया या मनोभ्रंश होने का जोखिम बढ़ सकता है। इस अध्ययन के अनुसार, विटामिन डी की अधिक कमी वाले लोगों में डिमेंशिया होने की संभावना 122 प्रतिशत अधिक होती है।
क्या है डिमेंशिया
डिमेंशिया मस्तिष्क रोगों की एक व्यापक श्रेणी है। डिमेंशिया का अर्थ होता है स्मृतियों का क्षय हो जाना अर्थात याददाश्त का खो जाना। यदि आप बार-बार और छोटी-छोटी बातें भी जल्दी से भुल जाते हैं और किसी बात को याद करने में दिमाग पर बहुत जोर डालना होता है, तो आप इस रोग के शिकार हैं।
वैसे डिमेंशिया एक रोग नहीं है। यह विभिन्न बीमारियों या चोटों के कारण हो सकता है। इसमें मानसिक हानि हल्के से गंभीर तक हो सकती है। कुछ डिमेंशिया के उपचार योग्य हैं या फिर प्रतिवर्ती भी हैं।
विटामिन डी में भारत की स्थिति
वैसे विटामिन डी के मामले में भारत की स्थिति भी कुछ सही नहीं है। यूरोप और दूसरे देशों के मुकाबले भारत में हमेशा धूप खिली रहती है। इसके बावजूद यहां लगभग 65 से 70 प्रतिशत भारतीय लोगों में विटामिन डी की कमी देखी गई।
विटामिन डी के कार्य
आपका शरीर को प्राकृतिक रूप से विटामिन डी का उत्पादन करता है, जब यह सीधे सूर्य के प्रकाश के संपर्क में होता है। अर्थात विटामिन डी शरीर की लगभग हर कोशिका को प्रभावित करता है और सूर्य के प्रकाश में रहने पर त्वचा में उत्पन्न होता है। विटामिन डी में कई महत्वपूर्ण कार्य हैं। कैल्शियम के अवशोषण और फास्फोरस तथा हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए हमेशा इसकी जरूरत होती है।
सामान्य विकास और हड्डियों और दांतों के विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी प्राप्त करना महत्वपूर्ण है, साथ ही साथ कुछ बीमारियों के खिलाफ बेहतर काम भी करता है।
विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग का नाम
विटामिन डी का लेवल कम होने पर हड्डियों को नुकसान पहुंचता है। यदि आपके शरीर को पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिलता है, तो आपको ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोमलेशिया रोग खतरा रहता है। इससे दांतों को भी नुकसान होता है। आपको अवसाद, मांसपेशियों में दर्द, बालों झड़ना आदि का सामना करना पड़ सकता है।
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, विटामिन डी की कमी मैटाबोलिक सिंड्रोम, हृदय रोगों और प्रजनन क्षमता से जुड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि साल में कम से कम 40 दिन में 40 मिनट तक रोजाना सूर्य की रोशनी में जरूर रहना चाहिए। इसका सही फायदा तब मिलता है जब शरीर का कम से कम 40 प्रतिशत हिस्सा सूर्य की रोशनी के संपर्क में आएं। वैसे विटामिन डी हमें खाद्य पदार्थ से भी मिल सकता है। आइए इसके स्रोत के बारे में जानते हैं।
ये हैं विटामिन डी के अच्छे स्रोत
सैल्मन मछली
पोषक तत्वों से भरपूर सैल्मन मछली विटामिन डी का बहुत ही अच्छा स्रोत है। यह प्रोटीन, विटामिन और खनिजों (पोटेशियम, सेलेनियम और विटामिन बी12 सहित) का उत्कृष्ट स्रोत है। इसके अलावा कॉड लिवर ऑयल कॉड मछली के जिगर से प्राप्त होता है और विटामिन डी के लिए बेहद अच्छा माना जाता है।
अंडे की जरदी
अंडे की जरदी ओमेगा -3 वसा के साथ-साथ विटामिन ए, विटामिन डी, विटामिन ई और विटामिन के भी शामिल है। सफेद के मुकाबले, अंडे की जरदी में अधिक लाभकारी फोलेट और विटामिन बी12 भी होते हैं।
विटामिन डी के अन्य स्रोत
यदि आपको मशरूम पसंद हैं, तो आपको विटामिन डी भरपूर मिल सकता है। सूखे शिटेक मशरूम विटामिन डी3 के साथ-साथ विटामिन बी के भी शानदार स्रोत हैं। इसके अलावा विटामिन डी के सूरजमुखी के बीज भी ले सकते हैं। आप झींगा, दूध, अनाज और दही का भी सेवन कर सकते हैं।