क्या है अंगदान
अंगदान एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक मृत और कभी-कभी जीवित इंसान से स्वस्थ अंगों और टिशूज को ले लिया जाता है और फिर इन अंगों को किसी दूसरे जरूरतमंद शख्स में ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। इस तरह अंगदान से किसी दूसरे शख्स की जिंदगी को बचाया जा सकता है। हर वर्ष लाखों लोग मात्र इस वजह से मौत के मुंह में समा जाते हैं, क्योंकि उन्हें कोई डोनर नहीं मिल पाता। कभी ऑर्गन फेलियर के चलते, तो कभी एक्सीडेंट्स के कारण ऑर्गन ट्रांसप्लांट करना ज़रूरी हो जाता है और उसके बाद जान भी बच जाती है। लेकिन ऑर्गन डोनेट करनेवालों की कमी के चलते ऐसे मामलों का अंत भी अक्सर मौत के रूप में ही होता है।
सामान्य प्रत्यरोपण में दिल, लीवर, अग्नाशय, आँत, हड्डियाँ, फेफड़े, बोन मेरो, त्वचा, कोर्निया इत्यादि शामिल होते हैं। लेकिन अंगदान सम्बन्धी बहुत से मिथक हमारे समाज में प्रचलित हैं, जिसके विषय में हम आज बात करने जा रहे हैं।
1. मिथक- अंग और टिशूज़ दान करने पर शरीर में चीरफाड़ करनी पड़ती है और यह विरूपित हो जाता है
सत्य- दान किये गए अंगों को सर्जरी के माध्यम से हटाया जाता है जो शरीर को विरूपित नहीं करता, क्यूंकि दान देने वाले व्यक्ति के शरीर पर कपड़ा लपेट कर उसका दाहसंस्कार किया जाता है इसलिए दान सम्बन्धी कोई लक्षण नज़र नहीं आता। आँखे दान करने के पश्चात एक कृत्रिम आँख लगाकर पलकें बंद कर दी जाती हैं और किसी को इस बारे में पता नहीं चल पाता। यदि हड्डियों का दान किया जाता है, तो उसकी जगह रोड लगा डी जाती है। त्वचा दान में अंगदाता की पीठ से बेहद पतली त्वचा ही ली जाती है अतः इस बारे में भी ज्यादा पता नहीं चल पाता।
2. मिथक- धर्म में अंग दान की मनाही
सत्य- असल में अधिकतर धर्म अंग दान की इजाज़त देते है या वो ऐसा करने का फैसला व्यक्ति के विवेक पर छोड़ देते हैं। यदि आप अपने विश्वास के प्रति आश्वस्त नहीं हैं, जो आपने धार्मिक गुरुओं से सलाह लें। कोई भी धर्म अंग दान या प्रत्यारोपण की मानही नहीं करता इसके विपरीत धर्म देने की इच्छा का समर्थन करते हैं, ज़िन्दगी देने से बड़ा क्या हो सकता है।
3. मिथक- दान देने वाले के परिवार से पैसे लिए जाते हैं
सत्य- दान देने वाले के परिवार से किसी प्रकार कोई पैसा या भुगतान नहीं लिया जाता, यदि परिवार को लगता है की भुगतान गलत तरीके से लिया गया है तो इस विषय में सम्बंधित स्थानीय अंगदान संबंधी संस्था को सूचित कर सकता है।
4. मिथक- कोई भी व्यक्ति अंग दान कर सकता है
सत्य- जो लोग पूर्णत मर चुके हैं या जिनकी धडकने बंद हो चुकी हैं उनसे डॉक्टर कभी भी महत्वपूर्ण अंग नहीं लेना चाहते। कुछ मेडिकल कंडीशन में अंग दान को अपने आप मना कर दिया जाता है। किस अंग का प्रयोग करना है या नहीं, यह एक कड़े मेडिकल पैमाने पर आधारित होता है। ऐसा हो सकता है कुछ अंग प्रत्यारोपण करने लायक हो वहीँ कुछ नहीं। मृत्यु के समय केवल दक्ष चिकित्सक ही यह तय कर सकता है कि कोई अंग प्रत्यरोपण के लायक है या नहीं। कुछ परिस्थियों जैसे सक्रीय एचआईवी, सक्रीय इन्फेक्शन, सक्रीय कैंसर में अंग दान को मना कर दिया जाता है। यदि किसी व्यक्ति को पूर्व में हेपेटाइटिस रहा हो तो उसके विषय में मृत्यु के समय और जानकारी ली जाती है। यदि किसी व्यक्ति को हेपेटाइटिस सी है तो वह हेपेटाइटिस सी से ग्रसित व्यक्ति को अंग दान कर सकता है। अतः किस व्यक्ति से अंग लिया जाना है किससे नहीं यह बड़ी सावधानी से तय किया जाता है।
5. मिथक – मेरी उम्र 18 साल से कम है मैं यह तय करने के लिए बहुत छोटा हूँ
सत्य – कानूनी तौर पर यह बात सही है पर आपके अभिभावक इस फैसले में अधिकृत कर सकते हैं। आप अपनी इच्छा अपने अभिभावकों को बता सकते हैं और वे आपकी इच्छा के मद्देनज़र अपनी सहमती दे सकते हैं। कई बार बच्चों को भी अंग की जरूरत होती है ऐसी स्थति में उन्हें अपने से छोटी उम्र के व्यक्ति के अंग की आवश्यकता होती है अतः अंग दान की कोई तय आयु सीमा नहीं होती।
6. मिथक – केवल हृदय,किडनी,और लीवर का ही दान किया जा सकता है ।
सत्य- अंग जैसे फेफड़े, छोटी आँत, बड़ी आँत, अग्नाशय, पेट भी दान किए जा सकते हैं साथ ही टिशूज़ जैसे त्वचा, हड्डियाँ, हृदय वाल्व का भी दान किया जा सकता है।
7. मिथक- अगर आईसीयू चिकित्षक को पता चल गया की मैं अंगदाता हूँ तो वे मुझे बचाने की कोशिश नहीं करेंगे।
सत्य- यदि आप घायल या बीमार हैं तो आपकी ज़िन्दगी बचाना डॉक्टर का पहला लक्ष्य होता है। अंगदान की प्रक्रिया तब ही शुरू की जाती है जब ब्रेन डेथ (दिमाग की मृत्यु) हो जाती है वैसे भी आपका अंग प्रत्यापण करने वाले टीम इलाज करने वाली टीम से अलग होती है ।
8. मिथक- यदि मैं ब्रेन डेथ की स्थति से बाहार आ जाता हूँ तब ?
सत्य- यह संभव नहीं हो सकता, किसी व्यक्ति की दिमागी मृत्यु हुई है या नहीं यह घोषित करने की प्रक्रिया बेहद सख्त होती है और यदि किसी ने अंग दान सम्बन्धी इच्छा जाहिर की हो तब उसकी कई अन्य जांचे की जाती है, ताकि यह पता लगाया जा सके की वास्तव में व्यक्ति मृत है भी या नहीं।
9. मिथक – प्रत्यारोपण के समय समृद्ध और प्रसिद्ध लोगों को प्राथमिकता दी जाती है।
सत्य- वास्तव में ऐसा नहीं है किसे पहले अंग दिया जाना है। यह बीमारी की गंभीरता, उसके इंतज़ार कर सकने के समय, ब्लड ग्रुप और अन्य मेडिकल कंडीशन पर निर्भर करता है। इसका धन सम्पदा और सामाजिक स्थति से कोई लेना देना नहीं होता।