बीमारी और उपचार रीढ़ की हड्डी

पीठ में दर्द या बैकपेन – अपनाए ये घरेलू टिप्स

Back pain home remedies in hindi

पीठ में दर्द या बैकपेन - अपनाए ये घरेलू टिप्स

आए दिन लोग बैकपेन के शिकार हो रहे हैं। अब जब ऑफिस में लोग घंटो-घंटो भर अपनी कुर्सी से चिपके रहेंगे तो उनका बैकपेन होना स्वभाविक है। वहीं सही तरीके से नहीं सोने पर भी आपको हो सकती है बैकपेन। 90 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिन्हें इस बात का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं कि बैठने और चलने की सही और अच्छी मुद्रा क्या है? आप तो कहीं भी बेफिक्र होकर गलत तरीके से बैठ जाते हैं और इसका भुगतान आपको बाद में रीढ़ की हड्डी के दर्द के रूप में करना पड़ता है।

लोग इस बैकपेन से निजात पाने के लिए हर वह कोशिश करते हैं जिससे वह ठीक हो जाए जैसे कि ऑयल मसाज, दर्द निवारक दवाएं और गरम पानी से सिकाई, लेकिन कभी अपना बैठने या उठने का तरीका नहीं सही करते। आइए हम बताते हैं आपको कुछ टिप्स जिससे आपकी बैकपेन को मिल सकती है राहत:

1.रोज़ करें योग या व्यायाम: अपने बीज़ी शेड्यूल से थोड़ा समय निकालकर रोज़ योग या व्यायाम करें। योग से ना सिर्फ बैकपेन बल्कि आपके बॉडी का हर दर्द ठीक हो जाएगा। बहुत जरूरी है कि आप योग करने की आदत बचपन से ही लगा लें। बैकपेन के रोग का कोई उम्र नहीं है। 20-21 साल के युवाओं में भी यह दर्द काफी कॉमन हो गया है। ध्यान दें, जब दर्द ज्यादा हो तब योग ना करें क्योंकि इससे दर्द और बढ़ सकता है। ऐसे में सही होगा कि आप जल्द-से-जल्द डॉक्टर को दिखाए।

2.संतुलित आहार को नहीं करें इग्नोर: रीढ की हड्डी को विशेष तौर पर पोषण चाहिए होता है जिससे की वह हमेशा सीधी और मजबूत बनी रहे। मांसपेशियों और हड्डियों में विटामिन, कैल्शियम और पोषण की कमी से उनमें कमजोरी आती है और पीठ दर्द पैदा होता है। ऐसे में जरूरी है अच्छा और सही आहार। खाना को बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ मत करिए। टाइम से अपना भोजन करें और स्वस्थ रहें।

3.अपने बैठने और उठने की आदतों पर रखें नज़र: कुछ लोगों की आदत होती है गलत तरीके से लेटने और बैठने या फिर चलते समय नीचे सिर झुका कर चलने की। ध्यान रहें, जो लोग पीठ झुका कर बैठते हैं उनको यह समस्या होते ज्यादा देर नहीं लगती है। अकसर बैठने वाली जॉब पीठ दर्द का बड़ा कारण होती है। लगातार बैठने की वजह से गर्दन और सिर दोनों ही आगे कि ओर निकल जाते हैं जिससे दर्द पैदा होता है। कपड़े और जूते शरीर की मुद्रा पर बहुत असर डालते हैं। ऐसे में आपके लिए अच्छा यही होगा कि आप अपने बैठने और उठने की आदतों पर नज़र रखें।

4.ड्राइविंग के वक्त सीट आरामदायक हो: आज हर घर में कार और बाइक मौजूद रहता है। ड्राइविंग अगर सही ढंग से ना हो तो आपके स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। घंटों एक ही सीट पर बैठकर लंबी दूरी पूरी करना एक टफ जॉब है, इससे ना सिर्फ ड्राइवर बल्कि उसके पीछे बैठी सवारी को भी बैकपेन सहित कमर दर्द, कंधे का दर्द और घुटनों का दर्द झेलना पड़ता है। सबसे अच्छी बात यही होगी कि अपनी सीट को आरामदायक बना लें। सफर को एंजॉय करना है ना कि दर्द को।

 

क्या है बैकपेन के लक्षण:

•आपके शरीर के किसी नर्व के दब जाने से पैरों में अकडऩ होगी।

•जलन, सुन्नपन और झुनझुनी की शिकायत रहेगी।

•शुरुआत कमर के पिछले हिस्से से सामान्य दर्द के तौर पर होगी।

•आपका दर्द पैर की अंगुलियों तक पहुंच जाएगा।

•जितना ज्यादा रेस्ट आप अपने शरीर को देंगे उतना ही दर्द से राहत आपको मिलेगा।

 

जब बैकपेन हो तब क्या ना करें:

 

•औंधे मुंह न सोएं।

•खुद को झटका देकर अचानक नहीं उठें और ना ही एकदम से बैठें।

•खुद से भारी सामान को उठाने या धकलने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं करें।

•दो हफ्तों से ज्यादा बेड रेस्ट भी आपको बैकपेन का शिकार बना सकता है।

 

डिसक्लेमर : Sehatgyan.com में जानकारी देने का हर तरह से वास्तविकता का संभावित प्रयास किया गया है। इसकी नैतिक जिम्मेदारी sehatgyan.com की नहीं है। sehatgyan.com में दी गई जानकारी पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। अतः हम आप से निवेदन करते हैं की किसी भी उपाय का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलह लें। हमारा उद्देश्य आपको जागरूक करना है। आपका डाॅक्टर ही आपकी सेहत बेहतर जानता है इसलिए उसका कोई विकल्प नहीं है।

Leave a Comment