एक और दो सदस्यों वाले परिवार में नवजात शिशु की देखभाल कैसे की जाती है इसकी पूरी जानाकारी होनी चाहिए? अक्सर पढ़ाई और आफिस में व्यस्त रहने वाली कामकाजी महिलाओं के लिए बच्चों की देखभाल करना थोड़ा कठिन कार्य हो सकता है। इसलिए ये जानना जरूरी हो जाता है कि नवजात की देखभाल कैसे की जाती है? नवजात डायपर को जल्दीह-जल्दीी गीला करते हैं इसलिए इसको बार-बार बदलने की जरूरत पड़ती है। डायपर बदलने के लिए बच्चों को उठाते समय ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे की गर्दन पर हाथ जरूर लगाएं क्योंकि नवजात बच्चों की गर्दन की हड्डी कमजोर होती है।
छोटे बच्चों की त्वहचा इतनी कोमल होती है कि उसपर किसी भी चीज से जल्दग इंफेक्शतन हो जाता है। अगर छोटे बच्चे की त्वकचा की देखभाल अच्छे ढंग से नहीं करेंगे तो उसकी त्वंचा पर इंफेक्शन भी हो सकता हैं। वहीं अगर मौसम सर्दी का मौसम है, तो नवजात बच्चों का एक्सट्रा ख्याल रखना होता है। नवजात बच्चों की रोगों से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है। ऐसे में बच्चे को सर्दी, जुखाम होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए नवजात बच्चों को पूरी तरह से ढककर रखें। हमेशा सफेद और हल्के कलर के डाइपर का ही प्रयोग करें। रंगीन डायपर नवजात के लिए नुकसानदायक हो सकता है। हमेशा बच्चे को डायपर पहनाकर भी नहीं रखना चाहिए। गंदा डायपर निकालने के बाद नवजात को कम से कम 10 मिनट तक वैसे ही रहने दीजिए, जिससे उसका शरीर पूरी तरह से सूख जाए। उसके बाद नवजात के दोनों पैर ऊपर करें और एक हाथ से उसके गंदे डायपर को बाहर निकालें। नवजात को साफ कॉटन या रूई और गर्म पानी से नमी वाले भाग को अच्छी तरह से साफ करें और पानी को पूरी तरह से सूखने दीजिए। डायपर बदलते समय बच्चे का ध्यान दूसरी बातों में लगाने की कोशिश करें। डायपर बदलते समय हमेशा अपना एक हाथ नवजात के पेट पर रखें। जब आप बच्चे का डायपर बदल रहे हो तो उसे खेलने के लिए खिलौने दें। डाइपर को शरीर पर थोड़ा ढीला कर बांधें, ताकि उसकी त्वचा पर निशान न बनें।
प्रभाव – अगर नवजात बच्चे की ढ़ंग से देखभाल न की गई तो उसे ठंड लगने की संभावना बढ़ जाती है। जिससे निमोनिया, बुखार और इंफेक्सन का खतरा बढ़ जाता है। बच्चे को अगर खांसी या जुखाम हो तो उसे नजरअंदाज न करें तुरंत डाक्टर से परामर्श लें।
उपचार – नवजात बच्चे को डॉक्टर द्वारा बताए गए निश्चित समय पर टीके लगवाएं। टीके लगवाने के बाद बच्चों को बुखार और सूजन आने की संभावना होती है। ऐसे में बच्चे के टीके वाली जगह की बर्फ से सिकाई करें। इसके साथ बुखार आने पर उसे बुखार की दवा दें। अक्सर डॉक्टर नजवात को तरह माध्यम में बुखार की दवा उपलब्ध कराते हैं, जिससे दवा को बच्चों को देने में आसानी होती है। इसके साथ ही अगर हो सके तो बच्चे को अकेला न छोड़े और अगर अकेले छोड़े तो किसी जिम्मेदारी व्यक्ति के हवाले ही करें, जो बच्चे की उचित देखभाल कर सके।