कहते हैं मानसिक रूप से खुद को यदि निरोग रखना है तो दिन में कम से कम एक बार ध्यान जरूर लगाएं। ध्यान जिसे आज के समय में लोग इसे मेडिटेशन के रूप में समझते हैं हिंदू धर्म साहित्य में एक अलग ही स्थान रखता है। शास्त्रों, पुराणों और वेदों में ध्यान को प्रचलित अवस्था में इसका किया गया है।
मेडिटेशन क्या है – Meditation Kya Hai
मेडिटेशन शब्द आते ही दिमाग में कुछ ऐसी तस्वीरें उभरने लगती है जिसका संबंध मानसिक रूप से खुद को शिथिल करने से है। मेडिटेशन यानि ध्यान का मूल अर्थ यदि हम कहे जागरुकता, साझी भाव, दृष्टा भाव से लिया गया है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
मेडिटेशन कैसे करें – Meditation kaise kare
इसमें अभ्यासी को बिना विचलित हुए और बिना किसी प्रकार की शारीरिक पीड़ा के कुछ घंटों तक एक ही स्थिति में बैठना होता है। विशेषज्ञों की माने तो सफल ध्यान तभी लगेगा जब शरीर स्थिर और शांत हो। यदि आप ज्यादा समय के लिए ध्यान लगाना चाहते हैं तो कोशिश कीजिए की रीढ़ की हड्डी सीधी रहे।
मेडिटेशन या ध्यान के विषय में लोगों का एक सवाल है कि क्या शवासन की अवस्था में ध्यान लगाया जा सकता है? इस सवाल के उत्तर में यही कहा जा सकता है कि अभ्यासी को ध्यान लगाते समय यदि नींद आए तो वह ध्यान लगाने की क्रिया में सफल नहीं हो पाएगा। रही बात शवासन की तो इसका अभ्यास करते समय नींद न आए इसकी संभावना कम है।
जो ध्यान लगाने की शुरुआत करना चाहते हैं उन्हें प्रारंभिक रूप से सुखासन की अवस्था में बैठकर ध्यान लगाना चाहिए ताकि वे पद्मासन जैसे कठिन लेकिन ध्यान के प्रमुख आसन के लिए खुद को तैयार कर सकें। एक और बात आसन में स्थिरता प्राप्त किए बिना मेडिटेशन में अच्छी प्रगति नहीं कर पाएंगे।
मेडिटेशन के लाभ – Meditation ke labh
यदि आप नियमित रूप से ध्यान के आसन का अभ्यास करते हैं तो लंबे समय तक किसी तनाव या कष्ट से दूर रह सकते हैं।
ध्यान लगाने से खुद को एकाग्रचित तथा मस्तिष्क को एक बिंदु पर केंद्रित होने के योग्य बना सकेंगे।
यह हमें शांति और आत्मानंद का अनुभव देता है।