हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। हम में से कई लोग इस दिन हमारे शिक्षकों को उनके योगदान के लिए सम्मान करते हैं। वैसे हम में से अधिकांश को यह नहीं पता कि भारतीय शिक्षक का काम कितना तनावपूर्ण है। आइए जानते हैं कि एक शिक्षक भी किस तरह की स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करता है।
पीठ दर्द की समस्या
एक शिक्षक का बहुत सारा समय खड़े होकर या चलने में ही व्यतीत होता है। ज्यादा समय तक खड़े रहने से न केवल पैर थक जाते हैं बल्कि पीठ दर्द की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। ऐसा देखा गया है कि शिक्षकों का बैठने का तरीका भी बहुत गलत होता है। यह रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचा सकता है।
सुनने में समस्या
गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में सहलग्रेन्स्का अकादमी द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि 10 में से 7 महिला प्री-स्कूल शिक्षकों को सुनने की समस्याएं होती हैं, क्योंकि शिक्षक, विशेष रूप से, प्री-स्कूल शिक्षक नियमित रूप से आवाजों और चीखों से अवगत होते हैं जो अक्सर महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं और इससे बचना मुश्किल होता है, क्योंकि उन्हें बच्चों को सुनना है।
तनाव की समस्या
वैसे स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे तनाव का सामना करते हैं लेकिन इससे शिक्षक भी अछूते नहीं रहते हैं। कुछ छात्र विशेष रूप से उनकी चिंता या व्यवहार संबंधी समस्याएं शिक्षकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। शिक्षक शांत रहने के लिए योग करने का भी प्रयास कर सकते हैं।
आवाज से संबंधित समस्याएं
क्लास में चिल्लाने, निर्देश देने और जोर से पढ़ने से शिक्षको का वोकल कोड प्रभावित हो सकता है। गैर-मौखिक सिग्नलिंग का उपयोग करना जैसे कि सीटी का उपयोग करना शिक्षकों को कुछ हद तक मदद कर सकता है।
आंखों पर पड़ता है दबाव
शिक्षकों को किताब पढ़ने की जरूरत होती है। यह उनकी आंखों को दबाव डाल सकता है। उन्हें 20-20-20 नियम का पालन करना चाहिए। उन्हें प्रत्येक 20 मिनट कम से कम 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज को देखना चाहिए।