मैदा, रिफाइंड शुगर, सोफ्ट ड्रिंक जैसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ बाजार में व्यापक रूप से उपलब्ध हैं और अधिकतर अपरिहार्य हैं। मैदा से बने अधिकांश खाद्य पदार्थ बहुत स्वादिष्ट हैं, लेकिन ये वास्तव में हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
आज देखा जाए तो जानकारी के अभाव में लोग ज्यादा से ज्यादा मैदा का सेवन करते हैं। भारत के कोने-कोने में मैदा से बनी चीजें बेची जा रही है और लोग बड़े ही चाव से इसका सेवन कर रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इसका ज्यादा सेवन कई बीमारियों का कारण बन सकता है।
मैदा कैसे है नुकसानदेह
मैदा से बने खाद्य पदार्थों हैसे नूडल्स, पास्ता, व्हाइट ब्रेड, आदि में उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स एक ऐसा नंबर है जो हमें किसी व्यक्ति के रक्त शर्करा के स्तर पर भोजन के प्रभाव के बारे में बताता है। चूंकि मैदा में उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, यह ब्लडस्ट्रीम में जल्दी शुगर को रिलीज करेगा। यह एक तेज इंसुलिन प्रतिक्रिया का कारण बनता है। इसे ज्यादा समय तक सेवन करने से सूजन, इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप 2 मधुमेह को जन्म दे सकता है।
मैदा खाने से बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) भी बढ़ता हैं। इससे शरीर चर्बी, क्लोग्स धमनी, रक्तचाप बढ़ता है, ब्लड शुगर में बाधा आती है और मूड स्विंग का कारण बनता है। लोग इसे खाते हैं क्योंकि वे शायद इसके परिणामों से अनजान हैं।
मैदा क्या है
इसको यदि आसान भाषा में समझे तो मैदा आटे का री-फाइन्ड रूप होता है। इसे बारीक और महीन बनाने के लिए कई बार पीसा जाता है। ऐसा करने से अच्छी क्वालिटी का मैदा तो मिल जाता है, लेकिन उसमें मौजूद सभी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसमें मौजूद फाइबर खत्म हो जाते हैं।
मैदा खाने के नुकसान
मोटापा बढ़ाने का काम करे मैदा
यदि आप पहले से ही फैट से पीड़ित है और आप उस फैट से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आप अपनी डाइट से मैदा को हटा दें। दरअसल बहुत ज्यादा मैदा खाने से शरीर का वजन बढ़ना शुरु हो जाता है और आप मोटापे के शिकार होने लगते हैं। यही नहीं इससे कोलेस्ट्रॉल का लेवल और खून में ट्राइग्लीसराइड भी बढ़ता है। – मोटापा बढ़ाने वाली बुरी आदतें
मैदा से होती है फूड एलर्जी
मैदे में ग्लूटन होता है, जो फूड एलर्जी को जन्म दे सकता है। मैदे में भारी मात्रा में ग्लूलटन पाया जाता है जो खाने को लचीला बना कर उसको मुलायम टेक्सचर देता है। वहीं गेंहू के आटे में ढेर सारा फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है। मैदा एनाफिलैक्सिस को ट्रिगर कर सकता है जिसमें रेपिड पल्स दर, गले की सूजन और सांस लेने में कठिनाई होती है।
पेट के लिये अच्छा नहीं है मैदा
मैदा एक रिफाइंड आटा है जो पेट के लिये अच्छा नहीं है। इसलिए इसमें कोई फाइबर नहीं है। इससे पाचन, कब्ज जैसी समस्याएं होती हैं। सही से पाचन न होने कारण इसका कुछ हिस्सा आंत में चिपक जाता है, जो कई बीमारियों का कारण बनता है।
कार्डियोवैस्कुलर बीमारी
कार्डियोवैस्कुलर बीमारी (सीवीडी) दुनिया में मौत का एक प्रमुख कारण है। कार्डियोवैस्कुलर बीमारी दिल या रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करने वाली स्थितियों के लिए एक सामान्य शब्द है। मैदा खाने से ब्लड शुगर बढ़ता है और खून में ग्लूकोज़ जमने लगता है, फिर इससे शरीर में केमिकल रिएक्शन होता है, जिससे हार्ट की बीमारियां हो सकती हैं।
हड्ड्यों को कमजोर करे मैदा
शोध के अनुसार, अम्लीय खाद्य पदार्थों (जैसे पिज्जा, पास्ता, बर्गर और अन्य मैदा उत्पाद) हड्डी के घनत्व को प्रभावित करता है। दरअसल मैदा बनाते वक्त इसमें से प्रोटीन निकल जाता है और यह एसिडिक बन जाता है जो हड्डियों से कैल्शिटयम को खींच लेता है। इससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। – हड्डियों की कमजोरी का इलाज
मैदा से डायबिटीज का खतरा
एक नए ऑस्ट्रेलियाई अध्ययन के मुताबिक, मैदा खाने से टाइप 2 मधुमेह के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स ब्लड शुगर पर भोजन के प्रभाव को मापता है। इसे ज्यादा खाने से शुगर लेवल तुरंत ही बढ़ जाता है। मैदा, केक, और बिस्कुट जैसे उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ नाटकीय रूप से ब्लड शुगर को बढ़ाते हैं।