हम भारतीय आंख मूँदकर पश्चिमी संस्कृति और सभ्यता को फॉलो करने लगते हैं। हम उनके व्यंजन से लेकर परिधान और अन्य तौर तरीको को बहुत ही जल्दी अपनाने लगते हैं। इन सबके अलावा हमने उनके शौच करने की पद्धति को भी अपना रखा है जो स्वास्थ्य के लिहाज से सही नहीं माना जाता है।
ऐसा देखा गया है कि कई भारतीय इंडियन टॉयलेट सिस्टम को अपनाने में शर्म महसूस करते हैं जबकि वेस्टयर्न टॉयलेट सिस्टम उन्हें गर्व का एहसास दिलाता है। खैर, यहां हम कुछ वैज्ञानिक कारणों का जिक्र करने जा रहे हैं कि इंडियन टॉयलेट सिस्टम वेस्टटर्न टॉयलेट सिस्टम से की तुलना में बेहतर क्यों हैं।
आपके शरीर का होता है व्यायाम
यदि आप नियमित रूप से एक्स रसाइज नहीं कर पाते हैं, तो इंडियन टॉयलेट का इस्तेिमाल करना शुरु कर दें। इंडियन टॉयलेट में आप उठते-बैठते हैं और हाथों का इस्तेसमाल करते हैं।
माना जाता है कि जिस तरह से हम भारतीय शौचालय पर बैठते हैं वह रक्त परिसंचरण या ब्लैड सर्कुलेशन के लिए वास्तव में अच्छा है और विशेष रूप से यह हाथों और पैरों को अच्छा व्यायाम करने में भी मदद करता है। इसके अलावा इससे आपके हाथ-पैरों और मांसपेशियों में होने वाले दर्द से छुटकारा मिलेगा। जबकि वेस्टचर्न टॉयलेट में आप आराम की मुद्रा में बैठते हैं जिससे आप ज्या दा मुवमेंट नहीं कर पाते है।
पाचन शक्ति को मजबूत करे इंडियन टॉयलेट
इंडियन टॉयलेट पर बैठने से आपकी पाचन शक्ति को मजबूत करने में मदद मिलती है। जब आप इंडियन टॉयलेट में बैठते हैं तो आपके पूरे पाचन तंत्र पर दबाव बनता है जिससे आपका पेट अच्छी तरह से साफ होता है। जबकि दूसरी ओर वेस्टॉर्न टॉयलेट में आप आराम से तो बैठ जाते हैं और दबाब कम बनता है और पेट साफ नहीं हो पाता है। पेट साफ न होने की वजह से पाचन से जुड़ी समस्यायएं पैदा हो जाती हैं।
ईको फ्रेंडली
क्या आपने इंडियन टॉयलेट सिस्टम के खिलाफ कोई आवाज उठाई है? खैर, वेस्टनर्न टॉयलेट सिस्टम के बारे में बात करें, इसमें टॉयलेट पेपर का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार इस तरह के टॉयलेट से कागज की बर्बादी होती हैं जिसको लेकर विरोध भी किया जाता रहा है। कागज बनाने के लिए पेड़ों को काटा जाता है जबकि इंडियन टॉयलेट सिस्टम में आपको साबुन और कुछ पानी के उपयोग करने की आवश्यकता है। इंडियन टॉयलेट सिस्टम में कोई पेपर की बर्बाद नहीं होती है।
प्रेग्नेंट महिला के लिए है अच्छा
इंडियन टॉयलेट सिस्टम गर्भवती महिलाओं के लिए भी अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह प्राकृतिक तरीके से लाभ पहुंचाता है। एक गर्भवती महिला इंडियन टॉयलेट पर स्क्वाट पोजिशन पर बैठती है। इससे उनके गर्भाशय पर दबाव भी नहीं बढ़ता है। साथ ही, ऐसा कहा जाता है कि इंडियन टॉयलेट सिस्टम का उपयोग करके गर्भवती महिला को प्राकृतिक डिलीवरी के लिए अधिक आसान बनाने में मदद मिल सकती है।
ज्यादा साफ और स्वच्छ
ऐसा देखा गया है कि वेस्ट र्न टॉयलेट का इस्तेमाल करते हुए लोग साबून से हाथ धोने की बजाय टॉयलेट पेपर का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं वहीं इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करने वाले लोग अच्छी तरह से साबून से हाथ धोते हैं।
पानी को बचाए
जब हम इंडियन टॉयलेट का उपयोग करते हैं, तो हम आम तौर पर केवल 3-4 मग पानी का उपयोग करते हैं और उससे अधिक की आवश्यकता नहीं होती है जबकि र हम वेस्ट र्न टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं, तो हम ज्यादा पानी का उपयोग करते हैं। वास्तव में फ्लश सिस्टम है पानी की बर्बादी का कारण बनता है।