चांदी को इंगलिश में सिल्वर के नाम से जाना जाता है। यह एक खनिज पदार्थ है। सोने के बाद चांदी को लोग सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। अक्सर लोग इसका उपयोग गहने बनाने में करते हैं। इसकी तसीर ठंडी होती है। आयुर्वेद में भी चांदी का बहुत महत्व है क्योंकि इससे औषधि तैयार की जाती है। चांदी में नौ गुण बताएं गए हैं।
यह भारी, लचीली, चमकदार, नर्म, तपाने और तोड़ने पर सफेद, सिंगंध और देखने में अच्छी लगती है।
चांदी भस्म बनाने की विधि
दवाई में प्रयोग करने के लिए चांदी की भस्म तैयार की जाती है। भस्म बनाने के लिए चांदी का पहले शोधन और फिर मारण किया जाता है। शोधक करने के लिए चांदी के पत्रों को आग में जलाया जाता है। फिर इसे छाछ, गौ मूत्र, घी, तेल, कांजी और कुल्थी के काढ़े से तीन बार अलग अलग करके बुझाया जाता है। इसका शोधक और मारण आयुर्वैदिक तरीके के साथ किया जाता है।
रजत यानी चांदी भस्म के द्वारा विभिन्न प्रकार के रोगों को नष्ट किया जा सकता है। इसका मुख्य उपयोग तंत्रिकाओं, मस्तिष्क और गुर्दों पर होता है। आइये जानते हैं इसके फायदे के बारे में।
चांदी भस्म के फायदे
#1 चांदी भस्म पक्षाघात, लकवा, फालिस फेसियल परालिसिस के लिए
लकवा होने पर एक ग्राम चांदी के भाग का चौथा हिस्सा शहद में मिलाकर सुबह शाम खाना चाहिए। इसे लकवा के रोगियों को देने से पुराने से पुराना लकवा भी ठीक हो जाता है।
#2 चांदी भस्म कमरदर्द के लिए
कमर दर्द होने पर चांदी भस्म का सेवन करना चाहिए। इसके लिए लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चांदी की भस्म, बशलोचन और लगभग 1 ग्राम इलाइची दाने का चौथा भाग शहद में मिला लें। इसका सेवन आप सुबह शाम करें आपको फर्क खुद ही नजर आ जायेगा।
#3 चांदी भस्म पीरियड्स और मेनोपॉज के लिए
चांदी भस्म महिलाओं के लिए पीरियड्स और मेनोपॉज में लाभकारी होती है।
#4 चांदी भस्म मानसिक रोग के लिए
इस भस्म का इस्तेमाल हम चिंता, डिप्रेशन, तनाव, उदासी, चिंता के कारण भूख न लगना, तनाव के कारण हिंसक हो जाना, चिड़चिड़ापन आदि में कर सकते हैं।
#5 चांदी भस्म पुरुषों के लिए
पुरुषों के लिए यह भस्म बहुत असरदार होती है। यौन शक्ति की कमी में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। वीर्य विकार, शुक्राणुओं की संख्या कम होना आदि में भी यह लाभकारी होती है।
स्वर्ण भस्म – फायदे, उपयोग और नुकसान
#6 चांदी भस्म पेट के रोगों के लिए
चांदी भस्म भूख कम लगना, साइन में जलन, एसिडिटी, लीवर फैटी आदि में भी यह गुणकारी होती है।
#7 चांदी भस्म न्यूरोलॉजिकल रोगों के लिए
सिर दर्द, माइग्रेन, ब्रेन सेल्स का सही से काम न करना, भूलने की बीमारी आदि में चांदी की भस्म गुणकारी होती है।
#8 चांदी भस्म की विधि और मात्रा
इसका सेवन करने से पहले इसकी मात्रा को जानना अति आवश्यक होता है। आइये जानते हैं इसको लेने की विधि और मात्रा के बारे में-
- 30mg से लेकर 125mg तक दिन में दो बार सुबह और शाम को लें।
- इसे दूध, शहद, मिश्री, मक्खन और मलाई में रोग अनुसार लें।
- इसका सेवन भोजन के बाद करें।
चांदी भस्म की सावधानियां
- अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से आंतो और गुर्दों को नुकसान हो सकता है।
- सही तरीके के साथ बनी हुई चांदी भस्म का प्रयोग करें।
- इसके सेवन से मल का रंग बदल सकता है। इससे कोई नुकसान नहीं होता।
- कच्ची या अशुद्द भस्म का सेवन करने से हमारे शरीर में कई हानिकारक प्रभाव जैसे धातु में कमी, खुजली, बुखार, खून की कमी, कब्ज, सिर दर्द कमजोरी आदि हो सकते हैं।
- इसका सेवन चिकित्सक के परामर्श से लें।
- चांदी का अधिक मात्रा में प्रयोग ठंडे स्वभाव वाले लोगों की आंत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
नोट: चांदी का भस्म बनाने और उसे इस्तेमाल में लाने से पहले किसी विशेषज्ञ की राय जरूर लें।