यह तो सिद्ध हो चुका है कि योग से कई तरह की बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। हालांकि कई ऐसे योग भी है जिसके जरिए गंभीर बीमारियों को खुद से मुक्त कराया जा सकता है। ऐसा देखा गया है कि अलग-अलग रोगों के लिए अलग-अलग योग भी है जिसको यदि नियमित रूप से किया जाए तो रोग मुक्त हुआ जा सकता है। जैसे मधुमेह रोगियों के लिए गोमुखासन को सही माना गया है। वैसे गोमुखान गठीया, कब्ज और हर्निया में भी लाभदायक है।
आपको बता दें इस आसन में व्यक्ति की आकृति गाय के मुख के समान बन जाती है इसीलिए इसे गोमुखासन योग कहते हैं।
गोमुखासन योग की विधि
बाएं पैर को एड़ी को दाहिने नितंब के समीप रखिए और दाहिने पैर को बायीं जांघ के ऊपर रखिए। घुटने एक-दूसरे के ऊपर रखिए। इसके बाद बाएं हाथ को पीठ के पीछे ले जाइए। फिर दाहिने हाथ को भी दाहिने कंधे पर से पीछे ले जाइए। हाथों को परस्पर एक-दूसरे से बांध लीजिए।
ये ध्यान रखें कि इस आसन को करते समय आपकी गर्दन सीधी रहे और आंख बंद रहे। इसमें आप अपनी सुविधानुसार तीस सेकंड से एक मिनट तक हाथों के पंजों को पीछे पकड़े रह सकते हैं। इस आसन के चक्र को दो या तीन बार दोहरा सकते हैं।
अब एक ओर से करने के पश्चात दूसरी ओर से इसी प्रकार करें। जब तक इस स्टेप में आराम से रहा जा सकता है तब तक करते रहें।
गोमुखासन योग के लाभ
- इस आसन के करने से इससे हाथ-पैर की मांसपेशियां चुस्त और मजबूत बनती है।
- लैंगिक विकारों को दूर करने में यह आसन बहुत ही कारगर सिद्ध होता है।
- कंधे और गर्दन की अकड़न या कड़ेपन को दूरकर कमर, पीठ दर्द आदि में भी लाभदायक है।
- इस आसन के करने से तनाव की समस्या दूर होती है और मन शांत होता है।
- इसके अलावा याह छाती को पुष्ट बनाता है और फेफड़ों की शक्ति को बढ़ाता है जिससे श्वास संबंधी रोग में लाभ मिलता है।
- वैसे आपको बता दें कि गोमुखासन कई बड़े रोगों को दूर करने में भी लाभदायक है। जैसे; गठीया, कब्ज, यकृत, गुर्दे, धातु रोग, बहुमूत्र, मधुमेह एवं स्त्री रोगों में यह बहुत ही लाभदायक सिद्ध होता है।
गोमुखासन योग में बरते सावधानी
जिन लोगों को हाथ, पैर और रीढ़ की हड्डी में कोई गंभीर समस्या है या कोई रोग है तो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए। अभ्यास करते समय धीरे-धीरे आगे बढ़ें और अगर पीठ के पीछे हाथ बंध नहीं रहे तो जबरदस्ती न करें। इसके अलावा इस आसन को करते समय योग विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।