बदलते खान-पान के दौर में आज मोटापे से लगभग सभी प्रभावित हैं। लोग मोटापा दूर कर सुंदर दिखने के लिए जिम का सहारा लेते हैं। कई बार ये मोटापा बीमारियों को भी निमंत्रण देता है। इसीलिए मोटापा दूर करने के लिए अपनी खानपान की आदतों में भी बदलाव करना होता है। लेकिन बहुत ही कम लोगों को मालूम होगा कि दैनिक उपयोग में आने वाली पैकजिंग प्लास्टिक भी मोटापा बढ़ने की एक वजह है। सब्जी लाने से खाने पीने की सभी जरूरी सामानों में प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है। लेकन इसके कई खतरे भी है। इसी के तहत दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में प्लास्टिक की बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित की जा चुकी है।
जर्मनी के हेल्महोल्टज रिसर्च सेंटर की मानें तो फूड पैकजिंग प्लास्टिक में डाई एथिलहेक्सिल-2 पैथलेट (डीईएचपी) पाया जाता है। डीईएचपी का प्रयोग प्लास्टिक को मुलायम बनाने के लिए किया जाता है और इसी मुलायम प्लास्टिक का उपयोग फूड पैंकजिंग और बच्चे के खिलौने आदि बनाने में किये जाते हैं। हमारे शरीर में पहुंचकर यह हार्मोंस का संतुलन बिगड़ देता है। इसकी वजह से शरीर का वज़न बढ़ जाता है। इसके साथ ही यह पैथलेट बच्चों में दमा होने के खतरे को बढ़ा देता है। इतना ही नहीं, प्लास्टिक में पाया जाने वाला बेंजोफिनान यौगिक से महिलाओं के प्रजनन पर नकारात्मक असर पड़ता है। कई बार ये बांझपन की वजह भी बनती है।
ब्रिटिश मेडिकल जनरल ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि खाने को संरक्षित करने के लिए उपयोग में लायी जाने वाली प्लास्टिक लोगों की सेहत के लिए नुकसानदायक होती है। हालांकि ब्रिटिश मेडिकल जनरल ने फूड पैकजिंग वाले खाने के प्रभावों को एक लंबी प्रक्रिया करार दिया और इससे न घबराने की सलाह दी। लेकिन इसके साथ ही फूड पैकजिंग खाने के उपयोग को कम करने की सलाह भी दी।
प्रभाव
फूड पैकजिंग खाने के उपयोग से दमा होने का खतरा रहता है। इसके साथ ही कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि फूड पैकजिंग खाने से बांझपन की शिकायत भी हो सकती है। इसके साथ ही बच्चों को संक्रमण रोग हो सकते हैं क्योंकि फूड पैकजिंग प्लास्टिक से ही खिलौने भी तैयार किए जाते हैं।
उपाय
रोजाना उपयोग में आने वाली मुलायम प्लास्टिक की चीजों में सामान रखने की आदत को छोड़ देना चाहिए। बच्चों को प्लास्टिक के खिलौनों से दूर रखना चाहिए। इसके साथ पैकजिंग खाने से भी अपने और अपने परिवार को दूर रखना चाहिए। हालांकि पैकजिंग फूड से पूरी तरह नहीं बचा जा सकता है क्यों कि मौजूदा दौर में दूध जैसी रोजाना उपयोग की वस्तु भी प्लास्टिक पैकजिंग मे आती है। लेकिन ऐसा किया जा सकता है कि बाकी फूड पैकजिंग के सामानों का जितना कम हो सके उतना कम उपयोग करना चाहिए।