सर्दियां आते ही हम बीमारियों से बचने के लिए सावधानियां बरतना शुरू कर देते हैं। सर्दियों में खुद को स्वस्थ रखने के लिए तरह-तरह के उपायों का भी सहारा लेते हैं। ऐसे मौसम में त्वचा और होठों के फटने के साथ-साथ अन्य चीजों पर ध्यान देना बहुत ही जरूरी हो जाता है। सर्दियां जब भी आती हैं, अपने साथ छोटे बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं के लिए कई समस्याएं लेकर आती है। य़ह एक ऐसा समय होता है, जब व्यक्ति को खुद का ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है।
इस मौसम में युवाओं का ज्यादा फर्ज बनता है कि वह बच्चों और परिवार के बड़े-बुजुर्गों का ख्याल रखें, क्योंकि यही लोग कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के शिकार होते हैं और जिसकी वजह से उन्हें कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए जो लोग मौसम के अनरुप अपना और अपने परिवार का ख्याल रखते हैं उनके निकट बीमारियां कभी भी नहीं आती है, लेकिन जो लोग इसमें लापरवाही बरतते हैं उन्हें सर्दियों में कई बीमारियों से रुबरु होना पड़ता है।
सर्दी-जुकाम
सर्दियों में त्वचा की देखभाल या सर्दियों में बालें की देखभाल तो आप बहुत ही करते होंगे लेकिन सर्जी-खांसी और बुखार- तापमान में बदलाव के कारण सर्दियों के मौसम में नाक बहना, खांसी होना या फिर बुखार की चपेट में आ जाना भी एक आम बात है। यह समस्या उन लोगों को ज्यादा होती है जिनकी प्रतीरोधक क्षमता कमजोर होती है। सर्दियों में होने वाले जुकाम-खांसी जल्दी ठीक नहीं होते इसलिए हमें छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना चाहिए।
क्या करें
- नमक पानी के गरारे करें या भाप लें
- इसमें गर्म तरल पदार्थ का ज्यादा प्रयोग करना चाहिए।
- तुरंत गर्म से ठंडे में और ठंडे से गर्म में न जाएं, अन्यथा इससे इस संक्रमण की गिरफ्त में आ सकते हैं।
- केसर को हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को नाक पर, माथे, सीने पर और हाथों की हथेलियों पर लगाने से सर्दी-
- जुकाम में राहत मिलती है।
- पीपली, काली मिर्च, सौंठ और मुलहठी का चूर्ण बनाकर शहद के साथ लेना अच्छा रहता है
- मुलहठी के चूर्ण को पान के पत्ते पर रखकर दांतों से चबाकर चूसते रहें
ब्लड प्रेशर
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों को ठंड और सर्द तेज हवाओं से बचकर रहना चाहिए। ऐसे लोगों के लिए यह मौसम खतरनाक साबित हो सकता है।
क्या करें
- खान-पान का विशेष रूप से ध्यान दें।
- तेल और मक्खन से बने खादय पदार्थों से पूरी तरह बचें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें और सूरज निकलने के बाद ही मार्निंग वाक पर जाएं।
गठिया
बढ़ती उम्र के साथ एक समस्या जो सबसे ज्यादा होती है वह गठिया रोग। इसे हम अंग्रेजी में आर्थ्राइटिस कहते हैं। इसमें जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है। सर्दिया आते ही बड़े-बुजुर्गों में यह समस्या बढ़ जाती है।
क्या करें
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें और खुद हाइड्रेट रखें।
- गठिया के रोगी यह ध्यान दें कि उनके शरीर में पर्याप्त रूप स्ए कैल्शियम और विटामिन डी की आपूर्ति सही से हो रही है या नहीं।
- सर्दियों के मौसम में अपने जोड़ों को ज्यादा से ज्यादा गर्म रखें।
विटामिन डी की कमी
शरीर के विकास, हड्डियों के विकास और स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है विटामिन डी। इसकी कमी थकावट, लम्बे समय दर्द रहना, वजन का बढ़ना, माँसपेशियों में दर्द, अवसाद, कमजोरी, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी और ऐंठन जैसी समस्या पैदा कर सकता है। सर्द मौसम में विटामिन डी की कमी शरीर में बहुत ही ज्यादा हो जाती है।
क्या करें
- दिन में एक बार कुछ समय के लिए सूरज की रोशनी लें। इसमें दोपहर की बजाय सुबह की धूप फायदेमंद होती है। इससे चर्म रोग होने का खतरा भी कम हो जाता है। वैसे सर्दियों में आप दोपहर की धूप भी ले सकते हैं।
- डेयरी प्रोडक्ट्स से भी विटामिन डी की कमी पूरी हो जाती है।
- विटामिन डी की कमी है तो गाजर खाना भी फायदेमंद होता है। आप चाहे तो अंडे और मछली का भी सेवन कर सकते हैं।
डिहाईड्रेशन
सर्दियों में मौसम ठंडा होने के कारण हमें पसीना कम आने के साथ-साथ प्यास भी कम महसूस होती है और इस वजह से हम पानी कम पीते हैं। और जब शरीर में पानी की कमी होती है तो वह डिहाइड्रेशन कहलाती है। इसके अलावा ठंड में सांस लेने-छोड़ने के दौरान मुंह से निकलने वाला भाप शरीर में पानी के स्तर को कम कर देता है जो डिहाइड्रेशन का कारण बनता है।
क्या करें
- डिहाइड्रेशन की समस्या पर पानी में थोड़ा-सा नमक और चीनी मिलाकर पिएं।
- रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीएं। आप चाहे तो गुनगुना पानी भी पी सकते हैं।
- नारियल पानी का भी सेवन कर सकते हैं।
- मसालेदार भोजन, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स और चॉकलेट से दूरी बनाकर रखें।
- आपको डिहाइड्रेशन की समस्या न हो इसके लिए सिगरेट और शराब से दूरी बनाकर रखें।
अस्थमा
जिन लोगों को अस्थमा की बीमारी है उन्हें ठंड से बचकर रहना चाहिए। इस मौसम में एलर्जी के तत्व कोहरे की वजह से आसपास ही रहते हैं। हवा में उड़ते नहीं हैं। इन तत्वों से अस्थमा के रोगियों को अधिक तकलीफ होती है। इसलिए धूल-मिट्टी से दूरी बनाएं और कोहरे में घर से बहुत कम बाहर निकलें।
ठंड लगने के लक्षण
सर्दियों के मौसम की अगर बात करें, तो यह बहुत ही सुहाना मौसम होता है, साथ ही इस मौसम में बहुत सी बीमारियाँ पैदा होती हैं। जब भी हम इस मौसम में थोड़ी सी लापरवाही करते हैं, तो हमें इस मौसम में बीमारी का शिकार होना पड़ता है, इसलिए हमें इस मौसम में बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए।
हाथ पैर की अंगुलियाँ लाल होना
अक्सर सर्दियों के दिनों में हमारे हाथ पैर की अंगुलियाँ लाल हो जाती है, ऐसे में हमारी अंगुलियों में सूजन और खुजली होने लगती है। जब बार-बार हमारी अंगुलियां पानी के संपर्क में आती है, तो इसमें पिंक आने लगती है, जिसको ठीक होने में काफी समय लग जाता है। इसके लिए हमें ठंड से बचकर रहना चाहिए और अपने शरीर को गर्म रखना चाहिए।
डर्मेटाइटिस
ठंड में हमारी त्वचा को कई प्रकार की एलर्जी का सामान करना पड़ता है। इसमें डर्मेटाइटिस, त्वचा में दरारे, त्वचा में खुजली होना आदि शामिल है। जब हमारी त्वचा की नमी कम होने लगती है, तब हमें ऐसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
फेफड़ो में एलर्जी
सर्दियों के दिनों में हमारे शरीर की कोशिकाएं और श्वास नली सिकुड़ जाती है, जिसके कारण हमें साँस लेने में दिक्कत आने लगती है। जो लोग अस्थमा के मरीज होते हैं, उन्हें तो इस मौसम में बहुत ही दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इस मौसम में बैक्टीरिया और वायरल इन्फेक्शन का सामना भी करना पड़ सकता है। यह अक्सर धूल और ठंड के कारण होता है।
नाक से एलर्जी
सर्दियों के दिनों में हमें नाक से एलर्जी होती है, जिसे हम ब्रोन्कियल एलर्जी के नाम से जानते हैं। इसमें हमारे नाक का बहना, छींक आना, आँखों से पानी निकलना, नाक में खराश पैदा होना आदि समस्याएं होती है। इसके साथ बुखार का आना एक आम बात है। सर्दियों के दिनों में यह जल्दी ठीक नहीं होता, इसलिए हमें इस मौसम में अधिक सावधानी की आवश्कता होती है। इससे बचने के लिए हमें नमक के पानी से गरारे करना चाहिए और जितना हो सके तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए। हमें एकदम से ठंडे पानी से गर्म पानी और गर्म पानी से ठंडे पानी में नहीं जाना चाहिए।
ब्लड प्रेशर
ठंड के मौसम में उच्च रक्त चाप और दिल से जुडी हुई बीमारी से पीड़ित रोगियों के लिए यह मौसम खतनाक साबित हो सकता है। इसलिए उन्हें ठंड और सर्द हवाओं से बचकर रहना चाहिए
डिहाइड्रेशन
सर्दी का मौसम ठंडा होता है, जिसके कारण हमें कम पसीना आता है और हमें प्यास भी कम लगती है। यही कारण है कि हम पानी कम पीते हैं जिसके कारण हमारे शरीर में पानी की कमी आ जाती है जिसे हम डिहाइड्रेशन कहते हैं। इसके साथ जब हम ठंड में सांस लेते और छोड़ते हैं तो हमारे मुंह से भाप निकलती है जो पानी के स्तर को कम कर देती है जो डिहाइड्रेशन का कारण बनता है। इसलिए हमें सर्दियों के दिनों में आठ से दस गिलास पानी के पीने चाहिए
गठिया
बढ़ती उम्र के साथ हमें जिस रोग का सामना करना पड़ता है उस रोग का नाम है – गठिया इससे जोड़ों में दर्द, अकडन, और सूजन पैदा हो जाती है और पीड़ा होने लगती है। सर्दियों में ठंड के कारण इसकी समस्या बढ़ जाती है। इसके लिए हमें अपने जोड़ों को ज्यादा से ज्यादा गर्म रखना चाहिए और अधिक मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए।