न्युट्रोपेनिया हमारे ब्लड में पैदा होने वाली समस्या है, जिसमें ब्लड ग्रैनुलोसाइट की समस्या हो जाती है और न्यूट्रोफिल की संख्या कम होने लगती है। न्यूट्रोफिल एक ऐसा ब्लड सेल्स होता है जो हमारे शरीर की सुरक्षा के लिए इन्फेक्शन के खिलाफ लड़ता है। न्युट्रोपेनिया का सामना अक्सर उन लोगों को करना पड़ता है, जिनमें न्यूट्रोफिल सेल्स की संख्या कम हो जाती है। ये ऐसे सेल्स होते हैं, जो हमारे शरीर के बाहर आक्रमण करने वाले बैक्टीरिया और अन्य जीवों पर आक्रमण करके उन्हें शरीर पर पनपने से रोकते हैं। न्यूट्रोफिल ऐसे सेल्स होते हैं जिनका निर्माण बोन मेरो से होता है, यह हमारे ब्लड में मिलकर हमारे पुरे शरीर से होते हुए उस जगह पर पहुंच जाते हैं जहाँ पर बैक्टीरिया द्वारा संक्रमण होता है, ये वहां पहुंचकर हमारे शरीर की रक्षा करते हैं।
न्युट्रोपेनिया के लक्षण
अधिकतर मामलों में इसके लक्षण शुरू में नजर नहीं आते। इसलिए इसका पता लगाना थोडा सा मुश्किल हो जाता है। देखा जाए तो किसी भी बीमारी की जानकारी हमें ब्लड टेस्ट करवाने से ही पता चलती है। लेकिन न्युट्रोपेनिया के मरीजों के लक्षण हमें इन्फेक्शन होने पर नजर आने लगते हैं। अधिकतर मामलों में इसके लक्षण तब नजर आते हैं, जब इसका इन्फेक्शन बहुत अधिक हो चूका होता है। इसके लक्षण इस प्रकार से होते हैं…
- मुंह या त्वचा पर अल्सर
- फोड़े होना
- चोट या घांव का जल्दी ठीक न होना
न्युट्रोपेनिया के कारण
- पोषक तत्वों की कमी
- इन्फेक्शन होना
- वायरस इन्फेक्शन होना
- टीबी या डेंगू बुखार होना
- ब्लडप्रेशर या मानसिक बीमारियों के दवाई का उपयोग
न्युट्रोपेनिया का उपचार
न्युट्रोपेनिया होने पर डॉक्टर हमेशा इसके लक्षणों की घातकता पर नजर रखते हैं।
- बैक्टीरियल इन्फेक्शन को खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक्स
- रोग प्रति रोधक क्षमता को न्युट्रोपेनिया के आक्रमण से रोकने के लिए कुछ द्वाइयां
- ग्रैनुलोसाइट कालोनी स्टिम्युलेटिंग फैक्टर के लिए ट्रीटमेंट।
इसके साथ न्युट्रोपेनिया से पीड़ित लोगों को इलाज के साथ-साथ संक्रमण को रोकने की भी ख़ास सलाह दी जाती है जैसे कि :-
- इस से पीड़ित लोगों को साफ़ सफाई पर बहुत ही ध्यान देना होता है। उन्हें बार-बार अपने हाथों को पानी के साथ धोना चाहिए। जिससे वह बैक्टीरिया को कम कर सकते हैं। इसके साथ उन्हें अपने दांतों को साफ़ रखना चाहिए। उन्हें दिन में दो से तीन बार ब्रश करना चाहिए और कुछ भी खाने के बाद कुल्ला जरूर करना चाहिए।
- अगर कोई बीमार है, तो उन्हें उन लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
- न्युट्रोपेनिया से पीड़ित लोगों को नंगे पाँव नहीं रहना चाहिए बल्कि उन्हें हमेशा जूते पहनकर रखने चाहिए ।
- यदि कभी उन्हें चोट लग जाए, तो उन्हें तुरंत उसका इलाज करवाना चाहिए और अपने घाव को ढक कर रखना चाहिए।
- उस्तरे के स्थान पर उन्हें इलेक्ट्रॉनिक शेवर का इस्तेमाल करना चाहिए।
- जानवरों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।