खांसी एक ऐसा भयानक रोग है जिसके कारण हमारे शरीर को और भी कई रोगों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए यदि हम अपनी खांसी को जल्दी ठीक नहीं करते तो यह विकट रूप धारण कर लेती है। एक कहावत है, ‘रोग का घर खांसी’। देखने में तो खांसी बहुत ही मामूली सी होती है लेकिन जब यह चिकित्सा करने पर भी ठीक नहीं होती, तो इसे मामूली नहीं समझना चाहिए। खांसी को कास भी कहा जाता है क्योंकि जब भी खांसी की शुरुआत होती है तो इसका प्रभाव सबसे पहले गले पर पड़ता है। गले की कंठ में खरखराहट, खराश, या फिर खुजली की अनुभूति होती है साथ में गला भरा-भरा सा महसूस होता है, मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है।
खांसी पांच प्रकार की होती है
1. वातज खांसी
2. पित्तज खांसी
3. कफज खांसी
4. क्षतज खांसी
5. क्षयज खांसी
वातज खांसी
यह खांसी वात प्रकोप के कारण उत्पन्न होती है, इसमें हमारा कफ सुख जाता है, इसमे हमारा कफ बहुत कम निकलता है या फिर निकलता ही नहीं। ऐसे खांसी के कारण पेट, पसली, आंतो, छाती, कनपटी, गले और सिर में बहुत जोर से दर्द होने लगता है।
पित्तज खांसी
इस प्रकार की खांसी में कफ पीला और कडवा निकलता है। वमन द्वारा पीला व कडवा पित्त निकलना, मुंह में गर्म बफारे निकलना, गले, छाती व पेट में जलन का महसूस होना, मुंह का सुखना, प्यास का अधिक लगना, स्वाद कडवा होना आदि पित्तज खांसी के लक्षण होते हैं।
कफज खांसी
इस प्रकार की खांसी में हमारे अंदर से बहुत ही कफ निकलता है, थोडा सा खांसने पर ही मुंह में कफ भर जाता है। इस प्रकार की खांसी में हमारे सिरदर्द व सिर का भारीपन बना रहता है, मुंह का स्वाद खराब हो जाता है,। भोजन में रूचि नहीं रहती और भूख कम लगती है तथा गले में खराश व खुजली रहती है। बार-बार खांसने पर गाढ़ा व सफेद कफ निकलता है।
क्षतज खांसी
यह खांसी उपरोक्त तीनों खांसी से अलग होती है और साथ ही यह उन तीनों से बहुत ही गंभीर होती है। अत्यन्त भारी भरकम बोझा उठाने, बहुत अधिक चलने, लड़ाई झगड़ा करते रहने और बलपूर्वक किसी वेग को रोकने आदि से व्यक्ति के उरप्रदेश में घाव हो जाता है और वायु खांसी पैदा कर देती है।
क्षयज खंसी
यह खांसी क्षयज खांसी से भी अधिक गंभीर, कष्ट साध्य और हानिकारक होती है। विषम तथा असतम्य आहार करना, अत्यंत भोग- विलास करना, वेगों को रोकना, घृणा और शोक के प्रभाव से जठराग्नि का मंद हो जाना तथा कुपित त्रिदोषो द्वारा शरीर का क्षय करना। इन कारणों से क्षयज खांसी होती है और यह खांसी शरीर का क्षय करने लगती है। इस खांसी से रोगी के शरीर में दर्द, ज्वार, मोह और दाद होता है, साथ में उसके शरीर का बल भी मांस क्षीण होता जाता है। इससे हमारा शरीर पतला हो जाता है।
खांसी होने पर घरेलू नुस्खे
खांसी होने पर हमें कुछ घरेलू उपचार करने चाहिए जो कुछ इस प्रकार से है…
लौंग
लौंग हर घर में होता है, इसके एक जोड़े को आग में भूनकर शहद में मिलाकर सुबह शाम चाटने से आपकी कुकर खांसी ठीक हो जाती है।
काली मिर्च और तुलसी के पत्ते का सेवन
खांसी होने पर काली मिर्च और तुलसी के पत्तों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें, फिर इसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाकर दिन में तीन बार एक-एक गोली का सेवन करें। आपको खांसी से राहत मिलेगी। इसके अलावा पीसी हुई काली मिर्च को देसी घी में भूनकर खाने से खांसी दूर होती है।
हल्दी
एक चम्मच पिसी हुई हल्दी को बकरी के दूध के साथ लेने से खांसी दूर होती है। हल्दी और समुद्रफल खाने से खांसी दूर होती है।
अदरक का रस और शहद
6-6 मिलीलीटर अदरक का रस और शहद को मिलाकर खाने से खांसी से राहत मिलती है।
शहद
5 ग्राम शहद में दो तीन लहसुन की बुँदे डालकर बच्चे को खिलने से खांसी से राहत मिलती है। एक चम्मच शहद में आंवले का चूर्ण मिलाकर खाने से खांसी से राहत मिलती है।
सावधानियां
खाना खाने के तुरंत बाद पानी का सेवन नहीं करना चाहिए, अपितु एक घंटे बाद पानी पीने की आदत डालनी चाहिए। ऐसा करने से हमारी पाचन शक्ति मजबूत होती है।