भारत को मसालों और औषधीय पौधों के लिए दुनिया भर में मान्यता दी गई है। भारतीय मसालों का उपयोग अनेक व्यंजनों में स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है, लेकिन इनके पास बहुत से स्वास्थ्य लाभ भी हैं। आइए जानते हैं कैंसर जैसे बड़े रोगों में ये मसाले किस तरह से फायदेमंद है।
कैंसर के लिए उपयोगी हैं यह आयुर्वेदिक मसाले
कैंसर से बचाव करे अदरक
अदरक का उपयोग करने का इतिहास बहुत ही लंबा है। इसका सेवन आप पाचन समस्याओं जैसे मितली, भूख न लगना और दर्द में बहुत ही राहत देने का काम करता है। यह एक ऐसा मसाला है जिसमें औषधीय गुण भी है। यह न केवल कोलेस्टॉल को कम करने में मदद करता है बल्कि मेटाबॉलिजम को बढ़ावा देता है और कैंसर कोशिकाओं को मारने में मदद करता है।
कैंसर से लड़ने में बहुत उपयोगी अजवायन की पत्ती
अजवायन की पत्ती एक तरह की जड़ी बूटी है। इसका उपयोग आप कई तरह की बीमारियों को दूर करने के लिए कर सकते हैं। यह श्वसन पथ विकार, जठरांत्र संबंधी (जीआई) विकार, मासिक धर्म में ऐंठन और मूत्र पथ संबंधी विकारों के इलाज के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसके अलावा यह मुंहासे और बालों की रूसी में भी बहुत ही फायदेमंद है। इसके अलावा अजवाइन कैंसर से लड़ने में बहुत उपयोगी है। अध्ययन में पाया गया है कि अजवायन की पत्ती पिज्जा और अन्य इतालवी भोजन में आमतौर पर इस्तेमाल किये जाने वाला यह मसाला प्रोस्टेट कैंसर के खिलाफ एक शक्तिशाली हथियार बनने की क्षमता है।
कैंसर रोग में लाभकारी है हल्दी
हल्दी को मसालों में एक राजा का दर्जा मिला हुआ है। हल्दी में कर्क्यूमिन होता है, जो एक एंटी इफ्लेमेंट्री और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरा हुआ है। हल्दी में शक्तिशाली पॉलीफेनोल कर्क्यूमिन होता है जो कैंसर की कोशिकाओं के विकास को रोकने का काम करता है। यह प्रोस्टेट कैंसर, मेलेनोमा, स्तन कैंसर, ब्रेन ट्यूमर और अग्नाशयी कैंसर को रोकने का काम करता है।
कैंसर के विकास के जोखिम को कम करे सौंफ सौंफ़ के स्वास्थ्य लाभों में एनीमिया, अपच, पेट, कब्ज, पेट का दर्द, दस्त, श्वसन विकार, मासिक धर्म संबंधी विकारों से राहत देना शामिल है। इसके अलावा सौंफ कोलोन कैंसर के विकास के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। क्योंकि यह कोलोन से कैसरजनिक विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करता है।
केसर
केसर अपने विशिष्ट स्वाद, स्वास्थ्य और औषधीय गुणों की वजह से बेहद मूल्यवान मसाला है, जिसका उपयोग खाँसी और ठंड जैसी बीमारियों के इलाज में किया जाता है। केसर में प्राकृतिक कैरोटीनॉयड डायकार्बोक्सेलिक एसिड होता है जिसे ‘क्रोकेटिन’ कहा जाता है। यह कैंसर से लड़ने वाला प्राथमिक तत्व होता है।
जीरा
जीरा यह पाचन में सहायता करता है और संभवत: यही कारण है कि लोग भोजन के अंत में जीरा चबाना पसंद करते हैं। ये एक विलक्षण मसाला है जिसमें थाइमोक्वीनोन नाम का पदार्थ होता है जो प्रॉस्टेट कैंसर बनाने वाले सेल्स को बढ़ने से रोकता है। शोध भी बताते हैं कि जीरे के अंदर ऐसे कंपाउंड मौजूद रहते हैं जो कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने में मददगार हैं।
दालचीनी
दालचीनी का पौधा जितना छोटा है यह गुणें में उतना ही बड़ा है, यह कई बड़ी बीमारियों में कारगर सिद्ध है। कैंसर के जोखिम को दूर रखने के लिए प्रतिदिन दालचीनी पाउडर के आधे चम्मच का उपयोग काफी है। दालचीनी लोहा और कैल्शियम का एक स्रोत है। यह ट्यूमर के विकास को कम करने में उपयोगी है। टेक्सास विश्वविद्यालय में किए गए अध्ययन के मुताबिक दालचीनी शरीर में कैंसर की कोशिकाओं में वृद्धि को कम करती है।