अस्थमा फेफड़ों की एक इंफ्लेमेटरी बीमारी है। इसका इलाज करना बहुत ही जरूरी है। इसमें बीमारी में सांस लेना मुश्किल होता है। इसके अलावा अस्थमा में खांसी, घरघराहट, छाती में जकड़न, सांसों की कमी होना भी इसके लक्षण हैं। अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिससे बड़े तो बड़े बुढ़े भी प्रभावित होते हैं।
अस्थमा को समझने के लिए, आपको थोड़ा सा समझना होगा कि जब आप सांस लेते हैं तो क्या होता है। आम तौर पर, हर सांस लेने के साथ, हवा नाक के माध्यम से आपके गले तक जाती है और अंत में इसे आपके फेफड़ों में ले जाती है।
आपके फेफड़ों में बहुत से छोटे हवा के मार्ग हैं, जो आपके रक्तप्रवाह में हवा से ऑक्सीजन देने में सहायता करते हैं।
अस्थमा के लक्षण तब होते हैं जब ये हवा के मार्ग सूज जाते हैं और इनके आस-पास की मांसपेशियां कस जाती हैं। इससे आपको खांसी और जकड़न जैसी समस्या देखने को मिलती है।
अस्थमा के प्रकार
अस्थमा को कभी कभी ब्रोन्कियल अस्थमा के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह फेफड़ों में ब्रांकाई को प्रभावित करता है। बचपन के अस्थमा और वयस्क अस्थमा अलग-अलग हैं। डॉक्टर के मुताबिक वयस्क अस्थमा में, लक्षण कई साल तक प्रकट नहीं होते हैं। आइए जानते हैं अस्थमा के प्रकार
एलर्जी अस्थमा (बाहरी अस्थमा) – पालतू पशुओं की रूसी, भोजन और धूल आदि से एलर्जी अस्थमा ट्रिगर करती हैं।
गैर एलर्जी अस्थमा (आंतरिक अस्थमा) – इस तरह का अस्थमा जलती हुई लकड़ी और सिगरेट का धुआं, ठंडी हवा, वायु प्रदुषण, वायरल बीमारियां आदि से ट्रिगर होती हैं।
अस्थमा के अन्य प्रकार
कफ-वेरियंट अस्थमा, व्यायाम प्रेरित अस्थमा, नॉक्टर्नल अस्थमा, व्यावसायिक अस्थमा।
अस्थमा से बचने के टिप्स बचाव
कोई भी बीमारी क्यों न हो उससे बचाव बेहद जरूरी है। लगातार बिगड़ते वातावरण और प्रदूषण में अस्थमा ने ज्यादातर बच्चों और बुढों में भयानक रूप ले लिया है। ऐसे में इससे बचाव या इसके विकराल रूप में जाने से बचने के लिए आप कुछ टिप्स अपना सकते हैं-
1. अस्थमा के मरीज को खुद का ध्यान रखने की बेहद जरूरत है। अस्थमा होने पर धूल-मिट्टी से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
2. अस्थमा में सुबह टहलना, लो इम्पेक्ट एरोबिक्स और पानी से जुड़े व्यायाम करना जरूरी है।
3. अपनी सेहत का ख्याल रखने के लिए आपको पालतू जानवरों थोड़ी दूरी बनाने की जरूरत है, क्योंकि जानवरों की रूसी अस्थमा रोगियों के लिए सही नहीं माना गया है।
4. इस बात का ख्याल रखें कि आप साफ-सफाई का काम न करें। इससे उड़ने वाली धूल आपको सांस लेने में दिक्कत पैदा कर सकता है या अस्थमा के अटैक का खतरा बढ़ा सकता है। आप पुराने धूल-मिट्टी के कपड़ों से भी दूर रहें।
5. अस्थमा रोगियों के लिए व्यायाम बेहद जरूरी माना जाता है। जब भी आप व्यायाम करें अपनी दवा और इनहेलर को पास में रखें। ताकि जरूरत पड़ने पर आप इन्हें इस्तेमाल कर सकें। डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही योग या व्यायाम करना शुरू करें।
6. धूम्रपान बिलकुल न करें। अगर कोई दोस्त या आपके घर में धूम्रपान करता है, तो उसे भी इससे दूर रहने के लिए मना करें।