डिप्रेशन (तनाव) एक बहुत ही गंभीर बीमारी होती है जो एक बार किसी को अपने घेरे में ले लें तो उसकी जान ही लेकर छोड़ती है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप इस बीमारी से कोसो दूर ही रहें। अकसर लोग इस डिप्रेशन नामक बीमारी को अपने रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सार समझकर अनदेखा कर देते हैं, जो बिल्कुल गलत बात है। डिप्रेशन (तनाव) हाइपरटेंशन, हृदय रोग, पाचन संबंधी विकार, अवसाद और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की वजह तो बनता ही है साथ ही अब इसका असर हड्डियों पर भी पड़ने लगा है।
हाल ही में हुए एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि तनाव का सीधा असर आपके हड्डियों पर पड़ता है जिससे कम उम्र में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या भी हो सकती है।
कैसे युवाओं में बढ़ रही है ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या?
डिप्रेशन (तनाव) होने का कोई उम्र नहीं है। इन दिनों यह बीमारी छोटे बच्चे और युवाओं में भी देखने को मिल रही है। इस बीमारी के कारण कुछ युवाओं में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या देखी गई है। गांव की महिलाओं के मुकाबले शहरी महिलाओं में काम और परिवार की देखभाल के चलते ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। नींद की कमी, कम फिजिकल एक्टिविटी और घंटों काम करने आदि से डिप्रेशन (तनाव) पैदा हो जाता है। आपको भी अगर ऐसी कोई शिकायत है तो ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए प्राकृतिक उपचार का उपयोग कर सकते हैं।
डेली वर्कआउट है बहुत जरूरी –
यूं तो डिप्रेशन (तनाव) जब कम होता है, तो उसे बहुत ही हल्के में माना जाता है लेकिन डिप्रेशन (तनाव) ज्यादा होने पर इसका बॉडी और माइंड पर बुरा असर पड़ना शुरू हो जाता है। बता दें कि, जब तनाव ज्यादा होता है तो उस समय आपका शरीर कोर्टिसोल नामक हार्मोन जारी करती है। बॉडी के जरिए कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ने से हड्डी के निर्माण में बाधा होती है।
यहां बता दें कि, बॉडी कोर्टिसोल के पीएच (PH) संतुलन को प्रभावहीन करने के लिए हड्डियों से कैल्शियम जारी करती है। वहीं, तनाव ज्यादा होने पर व्यक्ति अपनी स्वस्थ आदतें जैसी पूरी नींद, पर्याप्त भोजन और एक्सरसाइज करना आदि छोड़ देता है। इन प्रमुख कारणों के चलते भी हड्डियों को नुकसान पहुंचता है।
रेगुलर चेकअप कराए:
डॉक्टरों की मानें तो उनके सलाह के बाद ही आप कैल्शियम से भरपूर फूड्स और सप्लीमेंट्स लेना शुरू करें। शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों का ख्याल रखें और उन्हें पूरा करने की कोशिश भी करें। डिप्रेशन से बचने के लिए शारीरिक गतिविधि भी बहुत जरूरी होती है। आप योग और ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं।
ध्यान रहें – 35 साल की उम्र के बाद हड्डिरयों की नियमित जांच करवाते रहें।