बिगड़ते जीवनशैली के बीच बच्चे तेजी से मोटापे के शिकार हो रहे हैं। इसके पीछे खानपान और रहन सहन तथा व्यायाम में कमी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए जानते हैं बचपन में मोटापा बढ़ने के कारण और उपचार के बारे में…
बचपन का मोटापा क्या है ?
बचपन का मोटापा बच्चों के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है। ये मोटापा कई गंभीर बीमारियों की वजह बनता है। बचपन का मोटापा इतना खरनाक होता है कि यह वयस्कता तक भी जारी रहता है। अगर आपने इसे सही समय पर नहीं रोका तो आपका यही मोटापा पूरी जिंदगी रह सकती है।
आपको बताते चले कि बचपन का मोटापा सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करता है बल्कि इसका मानसिक स्तर पर भी पड़ता है। बच्चे और किशोर जो अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं वे निराश हो सकते हैं और उनके अंदर आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की कमी देखने को मिलती है।
बचपन के मोटापा के कारण
पारिवारिक इतिहास, मनोवैज्ञानिक कारक, और जीवन शैली, बचपन के मोटापे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए जानते हैं बचपन के मोटापा के कारण के बारे में…
1. जिन बच्चों के माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्य अधिक वजन या मोटापे से पीड़ित हैं, उन बच्चों के मोटे होने की संभावना ज्यादा रहती है।
2. बचपन में बार-बार और बहुत खाने से मोटापा बढ़ता है।
3. बचपन में व्यायाम न करना और शारीरिक गतिविधियों में भाग न लेना बचपन के मोटापे का मुख्य कारण है। व्यायाम करने से कैलोरी बर्न होती है और स्वस्थ वजन को बनाए रखने में सहायता मिलती है।
4. बच्चों में मोटापा तब बढ़ता है जब वह उच्च वसा और शुगर वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करते हैं। फास्ट फूड, कैंडी और सॉफ्ट ड्रिंक की ललक बचपन के मोटापे को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
5. इसके आजकल देखा गया है कि बच्चे पिज्जा, बर्गर और फ्रेंज फ्राई को खाने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं, जिसकी वजह से उनका वजन बढ़ता है।
6. बच्चों का वजन बढ़ाने में नूडल्स और मोमोज जैसे फास्ट फूड और जंक फूड खाद्य पदार्थ भी भूमिका निभाते हैं।
7. नेचुरल खाद्य पदार्थ से ज्यादा पैक्स और प्रोस्सेड फूड भी बच्चों के वजन को बढ़ाने का काम करते हैं।
8. सुविधाजनक खाद्य पदार्थ, जैसे जमे हुए भोजन, नमकीन, और डिब्बाबंद पास्ता वजन बढ़ाने में योगदान करते हैं।
9. कुछ बच्चे मोटे इसलिए भी होते हैं क्योंकि उनके माता-पिता नहीं जानते कि उन्हें किस तरह का आहार देना चाहिए। बिना कुछ समझे वह कुछ भी अपने बच्चे को खिला देते हैं।
10. मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी कुछ बच्चों में मोटापे का कारण बन सकती है। बच्चे जो ऊब, तनावग्रस्त या उदास हैं, वे नकारात्मक भावनाओं से निपटने के लिए अधिक आहार ले सकते हैं।
बचपन के मोटापे से होती है ये बीमारी
1 बच्चों और वयस्कों, जो अधिक वजन वाले हैं, उनमें 2 टाइप मधुमेह होने की अधिक संभावना रहती है।
2. बचपन के मोटापे से उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप भविष्य में हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाते हैं। 3. बच्चे जो मोटापे से ग्रस्त हैं, वह नींद विकारों से पीड़ित हो सकते हैं, जैसे कि अत्यधिक खर्राटे और स्लीप एपनिया आदि।
बचपन के मोटापे को दूर करने के उपाय
1.ताजे फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
2. अनाज जैसे कि भूरा चावल, गेहूं के पास्ता और पूरे अनाज ब्रेड का सेवन करना चाहिए।
3. कम वसा डेयरी उत्पादों, कम वसा वाले सादे दही और कम वसा वाले पनीर का इस्तेमाल करना चाहिए।
4. इसके अलावा बच्चे शारीरिक गतिविधियों में भाग लें, इसके उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।
5. ज्यादा देर तक टेलीविजन देखना, कंप्यूटर गेम खेलना, या अपने स्मार्टफोन या अन्य उपकरणों के इस्तेमाल से वजन होने की अधिक संभावना रहती है। इसलिए उन्हें बाहर खेलने का माहौल दीजिए।