हृदय रोग बहुत ही खतरनाक रोग है। यह बड़ों के साथ-साथ बच्चों को भी प्रभावित करता है। आपको बता दें कि कई विभिन्न प्रकार की हृदय समस्याएं बच्चों को प्रभावित कर सकती हैं। जन्मजात हृदय विकार, हृदय को प्रभावित करने वाले वायरल संक्रमण, और बीमारियों या आनुवंशिक सिंड्रोम जैसे बचपन में हृदय की बीमारी हो सकती है। आइए इसे विस्तार से जानते हैं।
बच्चों में ह्रदय रोग
जन्मजात हृदय रोग
जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) एक प्रकार का हृदय रोग है, जो बच्चों के साथ पैदा होते हैं। आमतौर पर यह बीमारी जन्म के समय मौजूद हृदय दोषों के कारण होता है।
जन्मजात हृदय विकृतियों के बच्चों के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं। इनका इलाज सर्जरी, कैथेटर प्रक्रियाओं, दवाओं और गंभीर मामलों में हृदय प्रत्यारोपण के साथ किया जाता है। कुछ केस में आजीवन निगरानी और उपचार की आवश्यकता होती है।
एथेरोस्क्लेरोसिस
एथ्रोस्क्लेरोसिस शब्द का प्रयोग धमनियों के अंदर वसा और कोलेस्ट्रॉल से भरा पट्टों के निर्माण के वर्णन करने के लिए किया जाता है। इसमें धमनियां कठोर हो जाती हैं और संकुचित हो जाती हैं, जिससे रक्त के थक्के और दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर एथोरोसलेरोसिस के विकास के लिए कई साल लगते हैं। इससे ज्यादातर बच्चे और किशोर ज्यादा प्रभावित होते हैं।
हालांकि, मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अन्य स्वास्थ्य समस्या बच्चों को उच्च जोखिम में डाल देते हैं। इसके उपचार में आमतौर पर जीवनशैली में बदलाव शामिल होता है जैसे व्यायाम और आहार से परहेज आदि।
एरिथमिया
एरिथमिया हृदय की एक असामान्य रोग है। यह तब हो सकता है, जब हृदय कम कुशलता से पंप करता है। बच्चों में कई अलग-अलग प्रकार के एरिथमिया हो सकती हैं। इसके लक्षणों में शामिल हैं: दुर्बलता, थकान, चक्कर आना, बेहोशी, खाने में कठिनाई आदि। एरिथमिया का उपचार अतालता इस बात पर निर्भर करता है कि यह कैसे बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है।
वायरल संक्रमण
वायरस, सांस की बीमारी या फ्लू हृदय स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकते हैं। वायरल संक्रमण से मायोकार्डिटिस हो सकता है, जो पूरे शरीर में रक्त पंप करने की हृदय की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। वैसे हृदय के वायरल संक्रमण दुर्लभ हैं और इसके कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। इसके लक्षणों में थकावट, श्वास की कमी और सीने में परेशानी आदि शामिल है।
कावासाकी रोग
कावासाकी रोग एक दुर्लभ रोग है जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। रक्त के वाहिकाओं में उनके हाथ, पैर, मुंह, होंठ और गले में सूजन पैदा कर सकता है। वैसे शोधकर्ताओं को अभी तक यकीन नहीं है कि इसके कारण क्या है। इसका उपचार, बीमारी की सीमा पर निर्भर करता है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को अक्सर हृदय स्वास्थ्य पर नज़र रखने के लिए आजीवन फॉलो-अप अपॉइंटमेंट की आवश्यकता होती है।
पेरिकार्डिटिस
यह स्थिति तब होती है जब हृदय ( पेरीकार्डियम ) के चारों ओर की पतली थैली या झिल्ली में सूजन आ जाती है या संक्रमित हो जाती है। इसकी दो परतों के बीच तरल पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे रक्त पंप करने की क्षमता में कमी आती है।
इसका उपचार बीमारी की गंभीरता, बच्चे की उम्र और उनके समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।