थैलेसीमिया एक विरासत में मिली रक्त विकार है, जिसमें शरीर हीमोग्लोबिन का असामान्य रूप बनाता है। हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में प्रोटीन अणु है, जो शरीर में ऑक्सीजन ले जाने का काम करता है। इसके अलावा यह फेफड़ों से कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकालने के लिए होती है।
थैलेसीमिया क्या है?
इसको यदि आसान भाषा में समझे तो थैलेसीमिया खून से संबंधित विकार है, जो एक जेनेटिक रोग है। यह माता-पिता से बच्चों को होता है।हीमोग्लोबिन निर्माण के कार्य में गड़बड़ी देखने को मिलती है। इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि कोई भी कपल यदि बच्चे की प्लानिंग कर रहे हैं तो थैलेसीमिया टेस्ट जरूर करवा लें।
थैलेसीमिया का प्रभाव
सामान्य रूप से शरीर में रेड ब्लड सेल की उम्र करीब 120 दिनों की होती है, लेकिन थैलेसीमिया के कारण इनकी उम्र सिमटकर मात्र 20 दिनों की हो जाती है। इसका सीधा प्रभाव बॉडी में स्थित हीमोग्लोबीन पर पड़ता है। हीमोग्लोबीन की मात्रा कम हो जाने से शरीर कमजोर हो जाता है तथा अशक्त होकर हमेशा किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहने लगता है।
थैलेसीमिया बीमारी के कारण रेड ब्लड सेल में भारी कमी देखने को मिलती है, जिससे एनीमिया रोग होने का खतरा रहता है। आपको बता दें कि एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपके शरीर में पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिका नहीं होती है।
थैलेसीमिया के प्रकार
वैसे तो थैलेसीमिया के कई प्रकार है लेकिन मुख्य रूप से यह दो प्रकार की होती है। एल्फा थैलेसीमिया और बीटा थैलेसीमिया। यह बीमारी बच्चों को अधिकतर ग्रसित करती है। उचित समय पर उपचार न होने पर बच्चे की मृत्यु तक हो सकती है।
थैलेसीमिया के लक्षण
अत्यधिक थकान और कमजोरी
गहरा मूत्र
त्वचा का पीला रंग
शारीरिक और मानसिक विकास का धीमा होना
एक विकृति, विशेष रूप से चेहरे पर
पेट की सूजन
थैलेसीमिया के कारण
थैलेसीमिया तब होता है जब हीमोग्लोबिन उत्पादन में एक जीन में असामान्यता या उत्परिवर्तन होता है। बच्चा अपने माता-पिता से इस आनुवांशिक दोष को प्राप्त करता है।
यदि माता-पिता में से किसी एक को थैलेसीमिया है, तो बच्चे को थैलेसीमिया माइनर के नाम से जानी जाने वाली बीमारी हो सकती है। यदि ऐसा होता है, तो संभवतः लक्षण दिखाई नहीं देंगे, लेकिन आगे चलकर वह बच्चा रोग वाहक बन सकता है। थैलेसीमिया माइनर वाले कुछ लोग माइनर लक्षण विकसित करते हैं।
यदि माता-पिता दोनों थैलेसीमिया हैं, तो उसकी पूरी संभावना है कि तो बच्चे को मेजर थैलेसीमिया हो सकता है जो कि बहुत ही गंभीर होता है।
थैलेसीमिया गर्भावस्था को कैसे करता है प्रभावित
थैलेसीमिया गर्भावस्था से संबंधित विभिन्न चिंताओं को भी सामने लाती है। यह विकार प्रजनन अंग के विकास को प्रभावित करता है। इस वजह से, थैलेसीमिया वाली महिलाओं में प्रजनन संबंधित समस्याएं आ सकती हैं। आप और आपके बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए, यथासंभव समय से पहले प्लान बनाने की जरूरत है। यदि आप एक बच्चा चाहते हैं, तो उससे पहले आप सभी तरह जांच जरूर करवां लें।
थैलेसीमिया से बचने के उपाय
बच्चा थैलेसीमिया रोग के साथ पैदा ही न हो। इसके लिए शादी से पूर्व लड़के और लड़की का ब्लड टेस्ट करवाकर इस रोग की उपस्थिति की पहचान कर लेनी चाहिए।
यदि शादी हो गई है तो गर्भधारण के चार महीने के अंदर भ्रूण का टेस्ट कराना चाहिए।
भ्रूण में थैलेसीमिया के लक्षण मिलते ही डॉक्टर गर्भपात करवाने की सलाह देते हैं।