बीमारी और उपचार

सोते समय सांस लेने में परेशानी, कारण, लक्षण तथा उपाय

सोते समय सांस लेने में परेशानी, कारण, लक्षण तथा उपाय

शारीरिक व्यायाम या शारीरिक गतिविधियों के बाद या अत्यधिक तनाव के क्षणों के दौरान सांस लेने में परेशानी असामान्य नहीं है। हालांकि, जब आप सो रहे रहे हों, तो सांस लेने में तकलीफ एक चिंता का विषय है जिसे डॉक्टर से दिखाना बहुत ही जरूरी है। आपको बता दें कि बहुत सी ऐसी चीजें है जिसके कारण सोते समय सांस लेने में तकलीफ हो सकती है जिसमें बीमारियां, चिंता विकार और लाइफस्टाइल फैक्टर आदि शामिल है। वैसे ऐसी स्थिति हमेशा मेडिकल इमरजेंसी नहीं हो सकती, इसके बावजूद भी आपको अपने डॉक्टर के साथ संपर्क में जरूर रहना चाहिए।

सोते समय सांस लेने में तकलीफ के कारण

सोते समय सांस लेने में तकलीफ के कारण

आकस्मिक भय विकार, खर्राटे, श्वासप्रणाली में संक्रमण (respiratory infections), क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीस (सीओपीडी) और स्लीप एप्निया आदि के कारण सोते समय सांस लेने में दिक्कत होती है। स्लीप एप्निया सोते समय सांस लेने में कमी आमतौर पर वायुमार्ग की बाधा के कारण होती है। खाने के तुरंत बाद लेटने से सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।

यदि आप मोटापे से ग्रस्त हैं या आपका अत्यधिक वजन हैं, तो आपको सोते समय सांस लेने में परेशानी का अनुभव हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अतिरिक्त वजन फेफड़ों और डायाफ्राम पर दबाव डालता है। तंग कपड़े पहनने से भी यह भावना हो सकती है। कुछ मामलों में, सांस लेने में तकलीफ चिकित्सा आपातकाल या मेडिकल एमरजेंसी की ओर इशारा करता है। यह हार्ट फेलियर का कारण हो सकता है। – सोने का सही तरीका – जाने कैसे सोना चाहिए

सोते समय सांस की तकलीफ के लक्षण

सोते समय सांस की तकलीफ के लक्षण

  • सोने में कठिनाई
  • दिन के दौरान थका हुआ लगना
  • सोते समय खर्राटे
  • सिरदर्द के साथ जागना
  • गले में दर्द के साथ जागना
  • पुरानी खांसी
  • काम करते समय सांस लेने में कठिनाई
  • घरघराहट
  • लगातार छाती का संक्रमण, जैसे ब्रोंकाइटिस

कुछ अन्य लक्षण

  • छाती में दर्द
  • हाथ और गर्दन या कंधों में तेज दर्द
  • बुखार
  • तेजी से सांस लेना
  • तेजी से हार्ट रेट
  • खड़े या बैठेने पर चक्कर आना

सोते समय सांस लेने में दिक्कत के उपाय

सोते समय सांस लेने में दिक्कत के उपाय

श्वसन संक्रमण – Respiratory infection

यदि आपको रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन की समस्या है जो सोते समय सांस लेने में कठिनाई का कारण बनता है, तो आपका डॉक्टर संक्रमण दूर करने में मदद के लिए एंटीबायोटिक्स या एंटीवायरल दवाएं लिख सकता है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में, मामूली चेस्ट पेन किसी भी दवा के उपयोग के बिना ठीक हो सकता है।

मोटापा

आप पीठ की बजाय साइड में सोकर सोने से मोटापे के कारण अस्थायी रूप से सांस लेने की समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। साइड से सोकर वजन के कारण आपके फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता है। इसके अलावा आप अपने वजन को घटाने के बारे में विचार करें और नियमित रूप से व्यायाम करें। मोटापा कम करने से भविष्य की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को रोकने में मदद मिल सकती है।

सीओपीडी

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीस (सीओपी) के लिए कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन आप तेजी से फास्ट एक्टिंग इनहेलर्स या फेफड़ों के संक्रमण को दूर करने के लिए उपयोग की जाने वाली अन्य दवाओं के साथ सांस लेने में कठिनाइयों से छुटकारा पा सकते हैं।

स्लीप एप्निया

यदि स्लीप एप्निया की वजह से आपको सोते समय सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो आप माउथ गार्ड या सीपीएपी मशीन की सहायता ले सकते हैं। इन सबके अलावा आप अपने तनाव को कम करके भी सोते समय सांस लेने में परेशानी को दूर कर सकते हैं। – हमें कितने घंटे सोना चाहिए

क्या कहता है शोध

क्या कहता है शोध

सोते-सोते अचानक सांस लेने में परेशानी होती है या सांस लेने के लिए थोडा प्रयास करना पड़ता है तो सावधान हो जाइए। यह सामान्य लक्षण नहीं बल्कि स्लीप एपनिया नामक एक बीमारी है जो कि पुरुषों की तुमला में महिलाओं में अधिक पाई जाती है। यह बात कुछ साल पहले किए गए शोध से आमने आई है।

शोध के मुताबिक सोते वक्त अचानक सांस धीमी हो जाना या सांस लेने में प्रयास करने से लगातार नींद में खलल पड़ने से सबसे अधिक महिलायें परेशान रहती हैं। यह देखा गया है कि जो महिलाएं मोटापे से ग्रस्त हैं और जिनको उच्च रक्त चाप होता है उन्हें यह बीमारी जल्दी पकड़ती है।

कार्ल फ्रैंकिलन जो स्वीडन के उमीय विश्विवद्यालय के प्रोफेसर हैं, उनकी अगुवाई में हुए इस शोध के लिए 400 महिलाओं को चुना गया। इन महिलाओं को एक प्रश्नावली दी गई और पूछे गए विभिन्न प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कहा गया। नींद संबंधी इस जांच के बाद अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि 20 वर्ष की करीब 50 प्रतिशत महिलायें आब्स्ट्रिक्टव स्लीप एपनोई (ओएसए) से पीडित थीं।

यह बीमारी का बिगड़ा हुआ रूप है। इस बीमारी से पीडित व्यक्ति सुबह तरोताजा महसूस नहीं करता। दिनभर सुस्ती आलस रहना, एकाग्र नहीं कर पाना जैसी समस्याओं से जूझता रहता है लंबे समय तक यही अवस्था दूसरी अन्य बीमारियों का भी कारण बनती है। प्रोफेसर फ्रैंकिलन कहते हैं कि अक्सर यह माना जाता था कि स्लीप एपनोई से पुरुष ज्यादा ग्रसित रहते हैं, लेकिन इस शोध ने हमें आश्चर्य में डाल दिया।

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