गाउट जिसे हम सामान्य भाषा में “गठिया” या “गठिया-वात” के नाम से भी जानते है, जो शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा सामान्य से अधिक बढ़ जाने के कारण होता हैं। यूरिक एसिड एक प्रकार का विषैला तत्व है जो कि शरीर में प्यूरीन से तैयार होता हैं। सामान्तः किडनी इस विषैले तत्व को मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकाल देता हैं। किसी कारण किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाने के कारण रक्त में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है और यह विषैला तत्व छोटे-छोटे स्फटिक के रूप में जोड़ो में जमा होकर दर्द, सूजन और जकड़न इत्यादि लक्षण पैदा करता हैं।
गाउट रोग का कारण
- गाउट रोग रक्त में यूरिक एसिड की अधिक मात्रा के कारण होता हैं।
- शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने के कारण जैसे की मोटापा, ज्यादा शराब पीना, अत्यधिक मांसाहार, एस्पिरिन और
- ज्यादा डाइयुरेटिक्स दवाइयों का इस्तेमाल और वंश-परंपरा इत्यादि कारणों से गाउट रोग हो सकता हैं।
- महिलाओ में मीनोपॉज के बाद गाउट रोग होने का खतरा अधिक रहता हैं।
- किसी बड़ी बीमारी या ऑपरेशन के बाद भी गाउट होने का खतरा रहता हैं।
गाउट रोग के लक्षण
- गठिया रोग में जोड़ो में सूजन, दर्द और जकड़न जैसे लक्षण नजर आते हैं।
- रोग के अधिक बढ़ जाने पर चलने-फिरने में परेशानी होती हैं। जोड़ो को सिर्फ छूने पर भी अत्यधिक दर्द होती हैं।
- पीड़ित जोड़ की त्वचा लाल रंग की दिखने लगती हैं। कभी-कभी जोड़ो को आकर भी ख़राब हो जाता हैं।
गाउट या एलिवेटेड यूरिक एसिड स्तर के 4 चरण
असिम्पटोमैटिक हाइपरिरिसीमिया
यह वह स्थिति है जब हाइपरिरिसीमिया के कोई लक्षण नहीं होते हैं। यूरिक एसिड के स्तर को शरीर में ऊंचा किया जा सकता है लेकिन वे किसी भी बाहरी लक्षण को नहीं दिखाते हैं।
एक्यूट गाउट
यह अवस्था तब होती है जब एलिवेटेड यूरिक के स्तर के कारण शरीर में पेशाब के क्रिस्टल का गठन होता है, जिसके कारण अचानक दर्द और सूजन होता है।
इंटरवल गाउट
गाउट इन लक्षणों के बीच निष्क्रिय हो सकता है, जिसे आम तौर पर एक दर्द-मुक्त अवधि माना जाता है। हालांकि, यूरिक एसिड अपने ब्लडस्ट्रीम और जॉइंट स्पेस में अगले लक्षणों के लिए जमा रख सकता हैं।
क्रोनिक टोपहेसियस गाउट
इसमें शरीर अपने जोड़ों के आसपास नरम टिश्यू में यूरिक एसिड के नोड्यूल विकसित कर सकता है। ये उंगलियों, कोहनी और पैर की उंगलियों पर सबसे आम हैं।
गाउट की रोकथाम
गाउट रोग का ईलाज करने के लिए डॉक्टर रोगी को दर्द और सूजन कम करने के लिए स्टेरॉयड और दर्दनाशक दवाइयां देते हैं। रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा को सामान्य करने के लिए विशेष दवाई दी जाती हैं।
अत्यधिक दर्द और सूजन होने पर पीड़ित जोड़ो पर बर्फ लगाने से भी लाभ होता हैं। अधिक दर्द और सूजन होने पर यूरिक एसिड के क्रिस्टल्स निकालने के लिए ऑपरेशन भी किया जा सकता हैं।
गाउट रोग के आहार
गाउट रोग में रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक बढ़ने के कारण यूरिक एसिड को नियंत्रण करने वाला आहार लेना चाहिए। अधिक पोटैशियम युक्त आहार जैसे केला, दही, मक्का, बाजरा, दलिया इत्यादि लेना चाहिए। अधिक काम्प्लेक्स-प्रोटीन युक्त आहार जैसे की जामुन, अजवाइन, गोभी इत्यादि लेना चाहिए।
प्यूरीन की कम मात्रा वाले आहार जैसे की अंडा, पनीर, चावल, मकई, सिरका इत्यादि लेना चाहिए। ज्यादा प्यूरीन युक्त आहार जैसे की झींगा, लाल मांस, प्रोसेस्ड मांस, फूलगोभी, पालक, मशरूम, कोल्ड ड्रिंक्स इत्यादि नहीं लेना चाहिए।