एरिथमिया के कई प्रकार हैं और अधिकांश हानिरहित हैं। लगभग हर किसी को जीवन में एक बार एरिथमिया या अनियमित दिल की धड़कन का सामना जरूर करना पड़ता है। दिल की धड़कन जो बहुत धीमी है उसे ब्रेडीकार्डिया कहते है, और जो बहुत तेज़ है उसे एक टेचिकार्डिया कहते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि एरिथमिया क्या है, साथ ही इसके लक्षण और उपचार के बारे में भी जानते हैं।
क्या है अनियमित दिल की धड़कन (एरिथमिया)
अनियमित दिल की धड़कन जिसे हम एरिथमिया कहते हैं दिल से संबंधित विकार है। जो दिल के रेट या रिदम को प्रभावित करती है जिस पर हार्ट बीट होती है। इसका अर्थ यह हुआ कि दिल की धड़कन अपनी सामान्य गति से नहीं चल रहा है। एरिथमिया या अतालता तब होता है जब विद्युत आवेग, जो दिल की धड़कन को प्रत्यक्ष और विनियमित करते हैं, ठीक से कार्य नहीं करते हैं।
लगभग हर कोई कम से कम एक बार अनियमित दिल की धड़कन या एरिथमिया का अनुभव करता है। इसमें ऐसा महसूस हो सकता है कि आपका दिल दौड़ रहा है या फड़फडा रहा है।
एरिथमिया सामान्य और आम तौर पर हानिरहित होती हैं, लेकिन कुछ समस्याग्रस्त भी होती है। जब एरिथमिया आपके शरीर में रक्त प्रवाह (ब्लड फ्लो) में हस्तक्षेप करती है, तो यह आपके मस्तिष्क, फेफड़ों और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है। अगर इलाज नहीं किया जाता है, तो ये आपकी जान भी ले सकती है।
एरिथमिया के लक्षण
दिल की धड़कन जो बहुत तेज़ है, दिल की धड़कन जो बहुत धीमी है, अनियमित दिल की धड़कन और दिल की धड़कन के बीच में विराम आदि ये सभी एरिथमिया के आम लक्षणों में शामिल है। इसके अलावा छाती में दर्द, साँसों की कमी, सीने में बेचैनी, चक्कर आना, बेहोशी, चिंता और पसीना आना आदि एरिथमिया के गंभीर लक्षण है।
डॉक्टर से कब मिलें
एरिथमिया या अतालता के लक्षणों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। यदि आपको एरिथमिया के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। कुछ लक्षण में तत्काल देखभाल की जरूरत होती है।
एरिथमिया के उपचार
एरिथमिया के लिए एक्यूपंक्चर
कई अध्ययनों की समीक्षा से पता चलता है कि 87 से 100 प्रतिशत अध्ययन प्रतिभागियों ने एक्यूपंक्चर का उपयोग करने के बाद नार्मल हार्ट रिदम देखने को मिला है।
जर्नल ऑफ़ कार्डिओवास्कुलर इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी में प्रकाशित अनुसंधान से पता चलता है कि एक्यूपंक्चर एट्रियल फिब्रिलेशन के लिए कार्डियोवर्सन के बाद एबनॉर्मल हार्ट रिदम को रोकने में मदद कर सकता है।
यह प्रक्रिया हार्ट रिदम को को रीसेट करती है। आपको बता दें कि एट्रियल फिब्रिलेशन सामान्यतः हृदय की गति हृदय में विद्युत संकेतों द्वारा नियंत्रित होती है। और साइनस नोड बाकी हृदय को विद्युत संकेत भेजता है। इन संकेतों से ही हृदय सिकुड़ता है और रक्त को पंप भी करता है।
ओमेगा-3 फैटी एसिड
हमारे डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड का बहुत ही महत्व है। इस पौष्टिक तत्व को गर्भवती महिला के लिए बेहतर माना जाता है। इसके अलावा ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन हार्ट अटैक के जोखिम को कम करने में मदद करता है। यह धमनियों के फैलने में सहायता करता है, जिससे उनमें ब्लड फ्लो ठीक ढंग से हो पाता है और एन्जाइम्स फैट को आसानी से शरीर में घुलने में मदद करते हैं और उनका मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है।
इसके अलावा अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) ने दिखाया है कि वसायुक्त मछली और ओमेगा -3 फैटी एसिड वाले अन्य खाद्य पदार्थ खाने से हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है और एरिथमिया को रोकने में मदद मिल सकती है।
ओमेगा-3 फैटी एसिड के स्रोत में मूंगफली, अलसी, सूरजमुखी, सरसों के बीज, स्प्राउट्स, टोफू, गोभी, हरी बीन्स, ब्रोकली और शलजम के अलावा सैल्मन और दूसरी समुद्री मछली शामिल है।
एरिथमिया के लिए विटामिन सी
विटामिन सी सेहत के लिए अन्य विटामिन्स की तुलना में कई गुना ज्यादा महत्वपूर्ण है। विटामिन-सी हमारी सेहत के साथ-साथ सौंदर्य व त्वचा के लिए भी लाभदायक है। एरिथमिया और अन्य हृदय की स्थिति ऑक्सीडेंट तनाव और सूजन के साथ जुड़ी हुई हैं। इनको कम करने में विटामिन सी और विटामिन ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट प्रभावी होते हैं।
हमारा दिल कैसे काम करता है
हमारा दिल चार कक्षों में विभाजित है। हृदय का ऊपरी कक्ष एट्रियम कहलाता है और निचला कक्ष वेंट्रिकल कहलाता है। ये दोनों दो हिस्सों में पंप होते हैं, जो दिल के दोनों तरफ एक होते हैं। सही तरह से हार्ट बीट करना, विद्युत आवेग प्रत्येक पंप को दिल के माध्यम से सटीक रास्ते का अनुसरण करते हैं।
ये संकेत दिल की मांसपेशियों की गतिविधि का समन्वय करते हैं ताकि हृदय के अंदर और बाहर रक्त पंप हो। इन मार्गों या आवेगों में किसी भी रुकावट से हृदय पर असर डालता है। एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति का दिल एक मिनट में 72 से 80 बार तक धड़कता है। जो एक घंटे में 4,800 बार और 24 घंटे में 115,200 धड़कता है।