बथुआ के पराठे, बथुआ का रायता, बथुए की रोटी और बथुआ का साग आदि व्यंजन बना के खाया होगा आपने लेकिन कभी बथुए का इस्तेमाल रोगों को दूर करने के लिए औषधीय के रूप में किया है। कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर बथुए में लोहा, पारा, सोना और क्षार पाया जाता है। यह न केवल कब्ज की समस्या को दूर करता है बल्कि पेट के हर प्रकार के रोग यकृत, तिल्ली, अजीर्ण, गैस, कृमि, दर्द, अर्श पथरी आदि को ठीक करने में एक औषधीय की भूमिका निभाता है।
बथुए की प्रकृति तर और ठंड़ी होती है जो गेहूं के खेत में गेहूं के साथ उगता है।
बथुए के औषधीय फायदे
- कब्ज और बवासीर रोग होने की स्थिति में बथुए का सौ ग्राम रस प्रतिदिन पीना चाहिए।
- बथुए के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से सिर धोने पर जूएं खत्म हो जाते हैं।
- साठ ग्राम बथुआ उबालकर, छानकर पीने से मासिक धर्म का अवरोध नष्ट होता है और मासिक धर्म समय पर होने लगता है।
- पेट के सभी तरह के कीड़े को नष्ट करने के लिए बथुए का डेढ़ सौ ग्राम रस लेकर, उसमें अजवायन का चूर्ण और सेंधा नमक मिलाकर एक सप्ताह तक सेवन कीजिए।
- बथुए के रस का कुछ सप्ताह तक नियमित सेवन करने से लिवर की समस्याएं नष्ट होती है और लिवर की कार्यक्षमता विकसित होती है।
- सौ ग्राम बथुए के रस में थोड़ी-सी चीनी मिलाकर पीने से पथरी टूट-टूटकर निकल जाती है।
- बथुए का शाक दही के साथ दो-तीन दिन सेवन करने से कब्ज की जटिल समस्या में बहुत लाभ देता है।
- पेशाब की जलन और दर्द नष्ट करने के लिए ढाई दौ ग्राम बथुए के पत्तों को पानी में उबालकर, फिर किसी कपड़े द्वारा निचोड़कर रस निकालें। इसमें काली मिर्च, जीरे का चूर्ण और सेंधा नमक मिलाकर पिएं, लाभ देगा।
- बथुए के सेवन से कब्ज से उत्पन्न गैस, शिर:शूल और उदरशूल भी नष्ट होते हैं।
- बथुए का रस सौ ग्राम मात्रा में दिन में कई बार पीने से मूत्रावरोध में बहुत लाभ होता है।
- बथुए के आठ ग्राम बीज पानी में देर तक उबालें। उस पानी को छानकर पीने से स्त्रियों का रुका हुआ मासिक धर्म फिर प्रारम्भ हो जाता है।
- ताजे बथुए के दो सौ ग्राम रस में सेंधा नमक मिलाकर पीने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं।
- नेत्रों की लालिमा व शोथ के लक्षण दिखाई देने पर रोजाना बथुए का शाक बनाकर खाने से कुछ सप्ताह में भरपूर लाभ होता है।
- बथुए को पानी में उबालकर, कपड़े द्वारा निचोड़कर उस पानी को पीने से गैस नष्ट होते है। आप स्वाद के लिए नींबू का रस और सेंधा नमक मिला सकते है।
- भोजन को पचाने के लिए बथुए के पत्तों को उबालकर, पीसकर दही, काली मिर्च और सेधा नमक मिलाकर खाना चाहिए।
- बथुए के पत्तों के रस को तिल के तेल में मिलाकर आग पर पकाएं। इस तेल को सफेद दाग और दूसरे चर्म रोगों पर लगाने से बहुत लाभ होता है। इसके अलावा सफेद दाग होने पर बथुए को उबालकर, उसके पानी से प्रतिदिन दागों को धोना चाहिए।