भारत में जिस तरह पीपल, आम, नीम, पारिजात और पलाश आदि वृक्षों को सम्मान की नजरों से देखा जाता है उसी तरह बेल के वृक्ष या फल धार्मिक दृष्टि से एक सम्मानीय वृक्ष है। शिव की पूजा में विशेष स्थान रखने वाला बेल के बारे ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इसका सेवन करते हैं उनकी मनोकामनाएं भगवान शिव पूरी करते हैं। अक्सर आपने देखा होगा कि इसके पत्तों को शिवलिंग पर अर्पण किया जाता है।
धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बेल आंखों की रौशनी में कमी, पेट में कीडे या गैस और लू लगने जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिये एक दवा के रूप में काम करती है। लोह, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नेशियम से भरपूर बेल वात पित्त और कफ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत में बेल हिमालय की तराई, सूखे पहाड़ी क्षेत्रों में चार हजार फीट की ऊंचाई तक पाये जाते हैं।
बेल के औषधीय गुण
1. गर्मियों में शरीर में जलन हो तो कच्ची बेल की गिरी को एक सप्ताह तिल के तेल में डालकर रखें, फिर उस तेल से प्रतिदिन मालिश करके, स्नान करने से शरीर की गर्मी व जलन दूर होती है।
2. बेरी-बेरी रोग में दिन में 3-4 बार बेल का रस निकालकर पिलाने से बहुत फायदा होता है।
3. बेल के बीजों को तेल में पकाकर, उस तेल को छानकर रोजाना सिर में मालिश करने से बाल काले और घने होते हैं।
4. बेल और आम की छाल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर और छानकर शहद और मिश्री मिलाकर सेवन करने से दस्त की समस्या से निजात मिलता है।
5. बेल का शर्बत पीने से लू के प्रकोप से सुरक्षा मिलती है।
6. बेल के पत्तों को सुखाकर जलाने से घरों में मक्खी, मच्छर नहीं आते।
7. बेल को कांजी में डालकर सेवन करने से आमवात रोग में बहुत फायदा होता है।
8. बेल के पत्तों के रस का सेवन करने से अम्लपित्त के कारण उत्पन्न गले के विकार दूर होते हैं।
9. तेज बुखार होने पर बेल का रस सिर पर लगाने से बुखार कम होता है, रोगी को बहुत शांति मिलती है।
10. शरीर के किसी भाग में सूजन होने पर बेल के पत्तों का रस से लेप करने से सूजन कम होता है।
11. बेल के पत्तों का रस पिलाने से नाक से खून निकलने की समस्या से निजात मिलता है।
12. बेल की जड़ का काढ़ा पीने से बुखार और श्वास रोग में ह्रदय की धड़कन शांत होती है, रोगी की घबराहट दूर होती है।
13. पेट में कीडे होने की स्थिति में तीन-चार दिन तक बेल के पत्तों का रस पिलाने से सभी तरह के कीडे दूर होते हैं।
14. बेल के पत्तों के रस का सेवन करने से पसीने से दुर्गध आने की समस्या दूर होती है।
15. बच्चों को दस्त होने पर दिन में 3-4 बार बेल का गूदा खिलाने से बहुत लाभ होता है।
16. बेल के बीजों के तेल से मालिश करने से वात विकारों को दूर किया जा सकता है।
17. बेल के फूलों को पीसकर पानी में मिलाकर, छानकर थोड़ा-थोड़ा सेवन करने से उलटी की समस्या से छुटकारा मिलता है।
18. कच्ची बेल के फल के टुकड़े करके पानी में उबालकर, छानकर उस पानी से कुल्ले व गरारे करने से मुंह के छाले दूर होते हैं।
19. पित्त की समस्या होने पर रोगी को बेल का मुरब्बा खिलाने से बहुत लाभ होता है।
20. बेल की जड़ को पानी में उबालकर उसका काढ़ा बना लें। यह काढ़ा उन्माद के रोगियों बहुत लाभ देता है।