हर्निया प्राचीन रोगों में से एक है. यह एक ऐसा रोग से जिसे देख कर और छूकर महसूस किया जा सकता है. हर्निया का मुख्य कारण दोषयुक्त या अस्वाभाविक विकास होता है. ऐसा माना जाता है कि जन्म के समय शरीर के किसी तंतु में कोई ऐसा स्थान होता है जो कालांतर में हर्निया की सूजन का रूप ले लेती है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि तलपेट की माँसपेशियाँ गलत खान-पान और रहन-सहन के कारण जब कमजोर हो जाती है तो पेडू में जमा विकृति पदार्थ का अवांछित भार आंतों पर पड़ता है. इससे अक्सर आंत उतरने की बीमारी हो जाती है. जानकारी या इसके अभाव में शरीर में एक कमजोर जगह बनती है जिसमें से होकर एक सूजन उठती है जो बाद में शरीर के तंतु या अवयव द्वारा भर जाती है. ज्यों-ज्यों दबाव बढ़ता जाता है त्यों-त्यों ज्यादा से ज्यादा तंतु या अवयव हर्निया की थैली में प्रवेश करते जाती है और हर्निया का छिद्र असामान्य होता जाता है. इस दबाव से रक्त के संचार में रूकावट होती है.
ये हैं हर्निया के लक्षण
हर्निया किसी को भी हो सकता. फिर चाहे वो बच्चे हों या बूढ़े. वैसे तो यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है लेकिन सामान्यतया यह पेट या जाँघ की संधि पर होता है. बच्चों में अक्सर यह नाभि के आसपास होता है. गलत नाल कटने के कारण भी हर्निया हो जाता है. हर्निया का लक्षण प्रबावित हिस्से पर सूजन का होना है. खड़े होने, चलने-फिरने के समय यह दिखायी देता है. हर्निया के रोगी को मीठा-मीठा दर्द, बेचैनी होने लगती है. उन्हें लगता है कि प्रभावित स्थान से कोई चीज सरक रही है.
हर्निया के भयावह होने के संकेत
हर्निया रोगी को अगर दर्द के साथ तेज उल्टी हो तो यह समझना चाहिये कि हर्निया बँधा जा रहा है. हर्निया के बँधने का मतलब यह है कि सूजन के स्थान पर रक्त संचार रूक जाती है और आंतें सड़ने लगती है. इससे शरीर में जहर फैल जाती है और रोगी के मरने की सम्भावना प्रबल होने लगती है.
हर्निया के कारण
किसी चोट के कारण जब उतक फट जाए तो हर्निया होने की समस्या बढ़ जाती है.
जब शरीर की मांसपेशियां (इसमें पेट की मांसपेशियां शामिल है) कमजोर हो जाती है तो भी हर्निया होने की संभावना बढ़ जाती है. एक युवा की तुलना में वृद्ध लोगों को यह बीमारी ज्यादा होती है.
इसके अलावा महिलाओं की तुलना में पुरुषों को यह रोग ज्यादा होता है.
हर्निया के प्रकार
शरीर के विभिन्न स्थानों के अनुसार हर्निया के कई प्रकार हैं. आइये जानते हैं हर्निया के प्रकार-
1. कटिप्रदेश हर्निया, 2. श्रोणि गवाक्ष (obturator) हर्निय 3. उपजंघिका (perineal) हर्निया 4. नितंब (gluteal) हर्निया 5. उदर हर्निया 6. महाप्राचीरपेशी विवर हर्निया 7. नाभि हर्निया (जन्मजात, शैशव, युवावस्था में हो सकता है) 8. परानाभि हर्निया (para numblical) 9. उर्वी हर्निया, कंकनाभिका (pectineal) हर्निया भी इसी के अन्तर्गत आता है.
हर्निया रोग के उपचार
पानी का सेवन
हर्निया रोग में ज्यादा से ज्यादा पानी पीजिए तथा ताजी सब्जियों और फल का सेवन करना चाहिए.
अदरक का सेवन
अदरक की जड़ पेट में गैस्ट्रिक एसिड और हर्निया से हुए दर्द में भी काम करता है.
बर्फ
बर्फ से हर्निया वाले जगह दबाने पर काफी आराम मिलता है और सूजन भी कम होती है। यह सबसे ज्यादा प्रचलन में है.
मुलैठी
कफ, खांसी में मुलैठी तो रामबाण की तरह काम करता है लेकिन यह हर्निया के इलाज में भी यह कारगर साबित हो सकता है, खासकर पेट में जब हर्निया निकलने के बाद रेखाएं पड़ जाती है तब इसे आजमाएं.