कई ऐसे रोग हैं जो स्त्रियों की परेशानी का कारण बनते हैं. इन रोगों में थकान, गैस, बदहजमी जैसी आम समस्याओं के अलावा प्रदर रोग भी है. वैसे प्रदर भी स्त्रियों में पाया जाने वाला आम रोग है. प्रदर दो प्रकार की होती है. इनमें से एक श्वेत प्रदर है तो दूसरा रक्त प्रदर.
इन दोनों प्रदर यानी श्वेत और रक्त में एक अंतर है. यह अंतर यही है कि श्वेत प्रदर के बिगड़ने पर योनिमार्ग से रक्त आने लगती है. योनि से रक्त आने को ही रक्त प्रदर कहते हैं. सामान्य तौर पर कभी-कभी स्त्रियों का शरीर एक श्वेत पदार्थ का निष्कासन करता है जिसे श्वेत प्रदर कहते हैं. इस आम तौर पर सामान्य अवस्था भी कहते हैं.
लेकिन, जब अधिक मात्रा में बार-बार दर्द के साथ श्वेत पदार्थ निकले और योनि मार्ग पर जलन और खुजली हो तो यह श्वेत प्रदर की बीमारी होती है. स्त्रियों को इसका एहसास होते ही चिकित्सक से परामर्श लेनी चाहिये. इसे श्वेत पदार्थ के निष्कासन के समय इनसे बदबू निकलती है. सामान्य अवस्था में इससे बदबू नहीं आती.
जब किसी स्त्रियों को श्वेत प्रदर की बीमारी होती है तो इससे उनकी पाचन क्रिया बिगड़ जाती है. इस दौरान स्त्रियों को कब्ज़ की शिकायत रहती है. ऐसी स्त्रियों के पैरों में और विशेष रूप से उनकी पिंडलियों में दर्द होता है. उन्हें इस दौरान अक्सर सिर भारी रहने की शिकायत रहती है.
प्रदर रोग के कारण
स्त्रियों में श्वेत प्रदर के मुख्य कारणों में खान-पान की अहम भूमिका होती है. खाने में मिर्च-मसाले और तैलीय पदार्थों की अधिकता, अत्यधिक चाट-पकौड़ी का शौक, अत्यधिक चाय और कॉफी का सेवन स्त्रियों को श्वेत प्रदर की ओर धकेलते हैं. खान-पान के अलावा उत्तेजक और अश्लील साहित्य का पढ़ना भी श्वेत प्रदर के कारण हो सकते हैं. शरीर की सफाई न रखना भी श्वेत प्रदर के कारणों में शामिल है.
प्रदर रोग के दौरान क्या करें
स्त्रियों को इस रोग का आभास होते ही हल्का भोजन, फल. हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिये. इस दौरान या उसके बाद भी खाने में मिर्च, मसाले की मात्रा जरूरत से ज्यादा न करें.