हड्डियों का टूटना चिंता की बात हो सकती है। इसमें भी बच्चों की हड्डियों का टूटना। बच्चों की हड्डियाँ किशोरों और वयस्कों की अपेक्षा मुलायम और कोमल होती है। यही कारण है कि उनकी हड्डियाँ टूटने की सम्भावना ज्यादा होती है।
कैसे जानें कि हड्डियाँ टूटी की नहीं
कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जिनसे हड्डियों के टूटने का अनुमान लगाया जा सकता है। इन लक्षणों में प्रमुख है-
चोट ग्रस्त स्थान यानी प्रभावित स्थान पर सूजन हो जाती है। इसके कारण लगातार पीड़ितों को दर्द की भी शिकायत रहती है। चोट प्रभावित स्थान पर काले या नीले चिन्ह उभर आते हैं। इस चोट के परिणामस्वरूप पीड़ित शरीर के अंग-विशेष को हिलाने में असमर्थ होता है।
कलाई की हड्डी टूटने पर ये लक्षण बाहर से ही दिखते हैं। सूजन न भी हो तो भी कलाई की हड्डी टूट सकती है। क्रिकेट खेलने के दौरान गेंद पकड़ते समय या वॉलीबॉल, फुटबॉल खेलते समय चोट लगने के कारण भी उंगलियाँ, आदि टूट सकती है। बच्चे के अचानक पीठ के बल गिरने से रीढ़ की हड्डियाँ भी टूट सकती हैं। इस समय चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
इस स्थितियों में हड्डियों के टूटने पर प्राथमिक चिकित्सा की जा सकती है। हालांकि, प्राथमिक चिकित्सा के दौरान यह ध्यान रखें कि टूटी हुई उंगलियों को न हिलाएं। इस दौरान बच्चों को भी हिलने न दें। रीढ़ की हड्डी टूटने पर बच्चे को हिलाये बिना सावधानीपूर्वक लिटे दें। यदि उसे उठाने की जरूरत महसूस हो तो स्ट्रेचर के सहारे या लकड़े के तख्ते पर उठाएं। इस दौरान यह भी ध्यान रखें कि रीढ़ की हड्डी बाहर की ओर न मुड़ें। इसके पीछे का कारण यह है कि रीड़ की हड्डी बाहर होने पर पैरों में लकवा होने की सम्भावना होती है।
सिर में गम्भीर चोटें लगने पर प्राथमिक चिकित्सा
खेलने-कूदने के दौरान बच्चों के सिर पर चोट लगना साधारण बात है। अगर सिर के बल गिरने के 15 मिनट बाद बच्चा रोना बन्द कर दें या उल्टी नहीं करे तो डरने की कोई बात नहीं होती। सिर पर गम्भीर चोट लगने पर कुछ लक्षण प्रकट होते हैं जिनके बारे में जानना जरूरी है।
इन लक्षणों में प्रमुख हैं –
भूख न लगना, शरीर का कुछ घंटों तक पीला पड़ जाना, सिर में भारी दर्द होना, बेहोशी अथवा आँखों से ठीक से दिखायी न देना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
प्राथमिक चिकित्सा
ऐसी स्थिति में बच्चों को दो से तीन दिनों तक बिस्तर पर लिटाकर आराम करने दें। कुछ और लक्षणों के दिखने पर चिकित्सक से परामर्श लें। सिर के बल नीचे गिरने पर सिर में सूजन आ जाती है। अमूमन यह चिंता की बात नहीं होती। इसके पीछे यह तर्क दिया जाता है कि यह सूजन त्वचा के नीचे रक्तनलिका का फट जाना है।