माँ का दूध उनके नवज़ात के लिये काफी जरूरी होता है. पैदा होने वाले बच्चों के माँ का दूध ही पौष्टिक भोजन होता है. बच्चे के सेहत की जो नींव गर्भावस्था के दौरान पड़ी उसी नींव को प्रसव के बाद मज़बूत यानी पक्का करना होता है.
प्रसव के बाद का समय बच्चे की सेहत माँ के दूध पर निर्भर है. प्रसव के बाद जो माँ खाती है वही बच्चा दूध के जरिये ग्रहण करता है. माँ के भोजन में से मिलने वाले फायदों से बच्चा सेहतमंद बन सकता है और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बच्चे के सेहत पर नकारात्मक असर डालती है. इसलिये यह जानना भी जरूरी है कि अपने बच्चे को दूध पिलाने वाली स्त्रियों का भोजन क्या होना चाहिये.
प्रसव के दस महीने बाद तक माँ को अपने भोजन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. बच्चे के दूध पीने से माँ की शक्ति का ह्रास होता है. इसकी पूर्ति उसके भोजन में पोषक तत्वों की वृद्धि द्वारा की जा सकती है. माँ को कम खाना मिलने या आवश्यक भोजन न मिलने पर बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है.
इस दौरान ये खायें
माँ के भोजन में अनावश्यक चीजें होने पर बच्चों को कब्ज़, पेट दर्द व अन्य रोग हो सकते हैं. दूध पिलाने वाली माँ के भोजन में दूध, घी, ताजे फल, हरी पत्तीदार सब्जियाँ अनिवार्य रूप से होनी चाहिये. दूध पिलाने वाली माँ के भोजन में साग, मौसमी फलों जैसे आम, जामुन, छुहारा, खजूर, बेल आदि शामिल होने चाहिये.
इन सबके अतिरिक्त टमाटर, पपीता, नासपाती, नींबू, नारंगी, आदि का सेवन भी प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिये. इन खाद्य पदार्थों को दूध पिलाने वाली माँ के भोजन में शामिल करने से एक ओर जहाँ माँ का भोजन संतुलित और पौष्टिक होता है वहीं दूसरी ओर, बच्चे भी माँ के दूध से पर्याप्त और अपने सेहतमंद शरीर के विकास के लिये आसानी से पोषक तत्व ग्रहण कर लेते हैं.