वर्तमान समय में सामान्य और आकस्मिक रोगों की गिनती में जिस एक रोग का नाम प्रमुखता से लिया जाता है उनमें दिल का दौरा निश्चित रूप से एक है। अमूमन 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में होने वाला यह रोग युवाओं को भी अपने चपेट में ले रहा है। यह उन घातक रोगों में से एक है जिनमें फौरन जान जाने का खतरा सबसे अधिक होता है।
दिल का दौरा पड़ने का किसे रहता है अत्यधिक खतरा :
पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों के भारी बोझ से लदे व्यक्तियों को दिल का दौरा पड़ने की सबसे अधिक सम्भावना बनी रहती है। ऐसा इसलिये भी क्योंकि ये दायित्व उन्हें अंदर ही अंदर घोलते रहते हैं।
क्या हैं दिल का दौरा पड़ने के प्रमुख कारण
इस रोग यानी दिल का दौरा पड़ने के कई कारणों में से प्रमुख हैं धूम्रपान करना, शारीरिक श्रम की कमी, खाने में पौष्टिक आहार का अभाव, मोटापा (जिसके कारण पेट, छाती व श्वसन नली पर ) अत्यधिक वसा जम जाती है), मानसिक तनाव और खून में चर्बी की अधिकता इत्यादि।
दिल का दौरा – लक्षण
तनाव और आपाधापी के कारण होने वाले इस रोग में पीड़ित को चलते-फिरते सीने में दर्द की शिकायत होती है। सीने में होने वाली यह दर्द स्वयं ही खत्म हो जाती है। कई बार शारीरिक श्रम करने के दौरान रोगी को सीने में दर्द की अनुभूति होती है। कभी-कभी बैठे या लेटे रहने पर अचानक रोगी को अपने सीने पर दबाव, खिंचाव महसूस होता है और फिर उन्हें सीने में दर्द होने लगता है। सिर्फ सीने में ही नहीं, इस दर्द की अनुभूति उन्हें जबड़े, पेट और बाँह(अक्सर बाईं) में होती है। कभी मामूली और कभी तेज़ होने वाले इस दर्द के अलावा पीड़ित को अत्यधिक पसीना और चक्कर आने की भी शिकायत होती है। उसकी साँसें चढ़ने लगती है। इस दौरान उन्हें साँस लेने में परेशानी होती है। पीड़ितों के दिल की धड़कनों के अनियमित रहने के कारण रोगी का रक्त प्रवाह असंतुलित हो जाता है। यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है।
दिल का दौरा – बचाव के उपाय
कोशिश की जानी चाहिये कि दिल के दौरे को स्वयं से दूर रखा जाये। इसके लिये सामान्य व्यक्तियों को भी अपने आहार और उसके साथ-साथ शारीरिक व्यायामों को सख़्ती से अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेना चाहिये। धूम्रपान, मोटापे से बचाव के लिये भी यह जरूरी है जो दिल का दौरा पड़ने के मुख्य कारणों में शामिल हैं। इसके साथ ही रक्तचाप की नियमित जाँच कराते रहें। इससे उस पर नियंत्रण आसान हो जाता है।