तनाव पूरे शरीर की संरचना को बिगाड़ देता है। इसका असर उन गर्भवती महिलाओं पर भी होता है जो एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म देने का ख्वाब देख रही होती हैं। एक नए अध्य्यन से पता चला है कि तनाव से संबंधित हॉर्मोन भ्रूण के विकास को प्रभावित करते हैं।
इसके लिए हाल ही में चूहियों पर इसका टेस्ट किया गया। तनाव से संबंधित हॉर्मोन चूहों की संतति पर प्रभाव डालते हैं या नहीं, गर्भवती चूहिया को विभिन्न समय पर स्वाभाविक ग्लूकोकॉर्टिकॉइड कॉर्टिकोस्टेरॉन हॉर्मोन दिया गया। अध्य्यनकर्ताओं ने पाया कि जिन गर्भवती चूहियों को तनाव हॉर्मोन दिया गया, उनकी भूख में तो बेहद बढ़ोतरी देखी गई, लेकिन उनके अपरा (प्लासेंटा) से भ्रूण को मिलने वाले ग्लूकोज की मात्रा में कमी देखी गई।
निष्कर्ष में इस बात का खुलासा हुआ कि मां के शरीर में मौजूद तनाव हॉर्मोन ग्लूकोकॉर्टिकॉइड भ्रूण के पोषण को नियंत्रित करता है। हॉर्मोन की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, अपरा से भ्रूण में ग्लूकोज का परिवहन उतना ही कम होगा, जिसका परिणाम बच्चे के वजन में कमी के रूप में सामने आएगा।
‘द जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी’ में प्रकाशित इस शोध में यह बात भी सामने आई कि तनाव से संबंधित हॉर्मोन की अधिकता के कारण अपरा के कुछ जिंस में विशेष परिवर्तन होता है, जिसका भ्रूण के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।