खून के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। शरीर में निरन्तर प्रवाहित होने वाली खून शरीर के सारे अंगों को पोषक तत्व प्रदान करती है। यह खून ही है जो कोषाणुओं को अन्न, जल और वायु पहुँचाता है। नये जीवन के सृजन में भी खून का अहम योगदान है। इससे ही वीर्य बनता है।
यह भी खून ही है जिसके कारण माँस, स्नायु आदि का निर्माण और संवर्द्धन होता है। मस्तिष्क, श्वास यंत्र और लगभग सभी मर्म स्थानों की क्रियायें उसी पर निर्भर करती है। नये कोषाणुओं का निर्माण भी उसी से होता है। धातुओं की क्षतिपूर्ति में भी खून सहायक होता है। इन कारणों से खून सही मायनों में जीवन-धारा कही जा सकती है।
शरीर में शुद्ध खून प्रवाहित होने के दौरान मस्तिष्क में चैतन्य, अंगों में शक्ति-स्फूर्ति, ताजगी और चेहरों पर चमक-दमक रहती है। खून ही शरीर की उष्णता का प्रमुख आधार है। खून की गर्मी और तेजी ही अंगों को चेतन रखती है। शरीर का तापमान भी खून के प्रवाह से ही स्थिर होता है। रक्त की सबसे बड़ी उपयोगिताओं में से एक है शरीर की सफाई। वह मल, कार्बन डाइऑक्साइड जैसे अनावश्यक पदार्थों को वह उनके निकासी वाले स्थान तक पहुँचा देता है।
क्या होता है खून की कमी होने पर
शरीर में खून की कमी होने पर चेहरे का तेज नष्ट हो जाता है। मस्तिष्क की चेतना के साथ ही शरीर की क्षमताओं पर प्रतिकूल असर पड़ता है। जिस व्यक्ति के शरीर में खून की कमी होती है उसका सिर चकराता है और मामूली श्रम करने पर उसका दम उखड़ने लगता है। उसके शरीर में कमजोरी का एहसास उसे बार-बार होता है। उसकी इंद्रियाँ शिथिल होने लगती है। खून का प्रवाह बंद होने पर शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं और जीवन समाप्त हो जाता है। इसका कारण यह है कि खून की कमी होने पर धातुओं को अन्न, जल, हवा नहीं मिल पाती जो जीवन के लिये जरूरी है। ये है मानव शरीर में खून की महत्ता।