एक औषधीय पौधे के रूप में जाने जानी वाली एलोवेरा को धृतकुमारी, ग्वारपाठा और घीकवार के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि एलोवेरा में एक जड़ी-बूटी के समान गुण होते हैं. एलोवेरा का इस्तेमाल घरों में जूस के रूप में किया जाता है. इसका इस्तेमाल बीमारियों को दूर रखने के लिये घरेलू उपचार के बतौर भी किया जाता है. माना जाता है कि एलोवेरा में विटामिन, खनिज, एमिनो अम्ल जैसे करीब 200 तत्व पाये जाते हैं.
एलोवेरा के गुणों की जानकारी इसके इस्तेमाल से होती है. इसका इस्तेमाल दमा, खाँसी, पथरी आदि से राहत पाने के लिये किया जाता रहा है. एलोवीरा का पौधा काँटेदार और उसके किनारे पतले होते हैं। एलोवीरा से निकलने वाला गुदा ही असल औषधि है। एलोवेरा में विटामिन ए, सी, ई, बी1, बी2, बी3 पाया जाता है। एलोवेरा उन पौधों में भी शामिल है जिसमें विटामिन बी12 भी होता है और करीब 20 प्रकार के खनिज जिनमें कैल्सियम, मैग्नीशियम, जिंक, सोडियम, लौह तत्व, मैंगनीज इत्यादि शामिल हैं। एलोवेरा के अनेक फायदे हैं जिनमें से ये प्रमुख हैं-
एलोवेरा का जूस पीने से कब्ज की बीमारी दूर होती है. एलोवेरा के जूस से शरीर में खून की कमी को दूर किया जा सकता है. फटी एड़ियों पर एलोवेरा लगाने से बहुत जल्दी ठीक होने लगती है. सरसों के तेल में एलोवेरा के रस को मिलाकर सिर धोने से पहले लगाने से बालों में चमक आती है. एलोवेरा का जूस रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करता है. एलोवेरा का रस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार और स्वस्थ होते हैं. एलोवेरा शरीर के सेहतमंद रहने के लिये जरूरी डिटॉक्सिफिकेशन करता है. यह भोजन को पचाने में भी अहम भूमिका अदा करता है. शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है. यह सूजन को कम करने के साथ ही मोटापा घटाने में भी मदद करता है.
10 ग्राम एलोवेरा के रस में 10 ग्राम करेले का रस मिलाकर सेवन करने से मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है. बवासीर में ज्यादा रक्तस्राव होने पर एलोवेरा के पत्तों का सेवन 25-25 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम करना चाहिये. बवासीर के मस्से को खत्म करने के लिए एलोवेरा के गूदे में नीम की पत्तियों को जलाकर उसका राख मिला लें. इस पेस्ट को मलद्वार पर बांध लेना भी राहत भरा होता है.