स्वाद में खट्टा, मीठा, और फीका तथा रंग में लाल और हरा होने की वजह से अनार बच्चे-बुढ़े हर किसी का पसंदीदा फल है। कैल्शियम, सोडियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, तांबा, लोहा और विटामिन्स से भरपूर अनार वैसे तो खाने में स्वादिष्ट है लेकिन बहुत ही कम लोगों को जानकारी है कि इसके फल, फूल, छिलके और पत्ते औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किए जाते हैं। आइये जानते हैं अनार खाने के औषधीय फायदे।
- अनार के छिलके को पानी में उबालकर, उसको छानकर कुल्ला करने से मुंह की दुर्गध आने बंद हो जाते हैं।
- अनार के सौ ग्राम रस में थोड़ा-सा सेंधा नमक और शहद मिलाकर सेवन करने से भूख न लगने की समस्या से निजात मिलता है और पाचन शक्ति विकसित होती है।
- चेहरे पर मुंहासे व झाइयों को दूर करने के लिए अनार के छिलके को हल्दी के साथ पीसकर उसका लेप चेहरे पर लगाइए। इससे मुंहासे तो दूर होंगे साथ ही चेहरा अधिक सुंदर होता है।
- अनार के पत्तों को पानी के साथ कूट-पीसकर, हल्का-सा गर्म करके बवासीर के अंकुरों मस्सों पर बाधने से लाभ होता है।
- अनार के पत्तो को जल के साथ पीसकर मधुमक्खी, मच्छर, बिच्छू आदि के काटने वाली जगह पर लेप करने से विष और जलन के प्रभाव को दूर किया जा सकता है।
- अनार के पत्तो को पानी में उबालकर, छानकर उस पानी से फोड़े-फुंसियों वाली जगह को धोने से बहुत लाभ होता है।
- अनार के फूलों को सूखाकर तथा पीसकर चूर्ण बना लीजिए। इससे मंजन करने से दांतों से रक्त निकलने की विकृति नष्ट होती है।
- अनार का रस आंखों में डालने से आंखों की उष्णता व लालिमा नष्ट होती है।
- अनार की छाल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से पेट के सभी तरह के कीडे नष्ट होते हैं। रोगी को इस काढ़े का सेवन बिना कुछ खाए-पीए करना चाहिए।
- अनार के छिलके सौ ग्राम और पचास ग्राम सेंधा नमक लेकर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इन गोलियों को सूखाकर शीशी में भरकर रखें। इन गोलियों को चूसकर सेवन करने से खांसी में बहुत लाभ होता है।
- प्रतिदिन सौ ग्राम अनार का रस पीने से ह्रदय, पेट्, लिवर और आंत्रों के अनेक रोग-विकार नष्ट होते हैं। अनार के रस के सेवन से पाचन क्रिया तीव्र होती है और भूख अधिक लगती है।
- अनार की कली को बकरी के दूध में पीसकर चटाने से बच्चों की कफ की समस्या दूर होती है।
- तीव्र अतिसार से पीड़ित लोग अनार के रस में लौंग, सोंठ और जायफल का चूर्ण और शहद मिलाकर सेवन करें। रोगी को बहुत लाभ होगा।
- पित्त ज्वर होने पर अनार के ड़ेढ सौ ग्राम रस में बीस ग्राम चावलों से बने मुरमुरे को कूटकर, चूर्ण बनाकर उसमें थोड़ी-सी शक्कर मिलाकर पिलाने से शरीर की गर्मी दूर होती है और मस्तिष्क को इससे बहुत लाभ होता है।
- अनार के छिलके को पीसकर, चावलों के निकले मांड के साथ सेवन करने से स्त्रियों का ल्यूकोरिया रोग दूर होता है।
- अनार का शर्बत पानी में मिलाकर पीने से गर्मी के मौसम में लूह के प्रकोप से राहत मिलेगी। इससे प्यास शांत होता है और अधिक पसीने से मुक्ति मिलती है।
- गर्भावस्था में अधिक उलटी होने पर अनार के दाने खिलाने से बहुत लाभ होता है। बस या रेल में यात्रा करते समय खट्टे-मीठे अनार के दाने खाने से उलटी नहीं होती है।
- अनार के रस में मिश्री मिलाकर रोजाना पीने से ह्रदय की कमजोरी दूर होती है।
- अनार का रस पचास ग्राम या सौ ग्राम मात्रा में लेकर उसमें थोड़ी-सी चीनी मिलाकर बच्चों को पिलाने से उनकी रक्तस्राव की समस्या दूर होती है।
- अनार को कूट-पीसकर, उसके मिश्रण को सरसों के तेल में देर तक पकाएं। जब अनार का मिश्रण जल जाए तो उस तेल को छानकर शीशी में भरकर रखें। इस तेल को स्तनों पर मलने से स्तन अधिक सुडौल और विकसित भी होते हैं।
- अनार की ताजी कलियों को पीसकर पानी के साथ पिलाने से महिलाओं में गर्भधारण की क्षमता विकसित होती है। इसके सेवन से ल्यूकोरिया रोग भी नष्ट होता है।
- अनार के छिलकों, बायविडंग और पलाश के बीजों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से उदर के सभी तरह के कीड़े दूर होते हैं।
- अनार के ताजे पत्ते बीस ग्राम, काली मिर्च दो ग्राम, लेकर पानी में उबालकर, छानकर सुबह-शाम पीने से ल्यूकोरिया रोग से निवारण मिलता है।
- अनार के दो सौ ग्राम रस में तीन सौ ग्राम चीनी मिलाकर उसको आग पर पकाकर चाशनी बना लें। इसमें पचीस-तीस ग्राम पानी के साथ मिलाकर दिन में कई बार पिलाने से पीलिया रोग में बहुत लाभ होता है।
- खट्टे अनार के छिलके और शहतूत को पानी में उबालकर, छानकर पिलाने से आंत्र कृमि की समस्या से निजात मिलता है।
- अनार के पेड़ की छाल और कुटज का काढ़ा बनाकर, छानकर, उसमें शहद मिलाकर पिलाने से रक्तातिसार (खूनी पाखाना होना) की समस्या दूर होती है।
- अनार के पांच ग्राम छिलके को पीसकर, पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम लेने से स्वप्नदोष की परेशानी दूर होती है
- अनार के रस का कुछ दिनों तक रोजाना सेवन करने से पेशाब खुलकर आने लगता है।
- अनार के पत्तों को छाया में सूखाकर, फिर उन पत्तों को पीसकर, गाय के दूध से बने मट्ठे के साथ सेवन करने से आंत्रकृमि नष्ट होते है।