आधुनिक जीवनशैली के कारण भारत में हृदय रोगियों की संख्या विदेशों की अपेक्षा लगातार बढ़ रही है। खाने-पीने के चीजों में मिलावट भी हृदय रोगियों के लिए घातक है। बदलते खान-पान और रहन-सहन की वजह से छोटी उम्र में ही हार्टअटैक आने लगे हैं जो आज से कुछ साल पहले 50 साल की उम्र के बाद हार्टअटैक आते थे। हार्टअटैक को दिल के दौरे के रूप में जाना जाता है।
हृदय रोग विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में हार्टअटैक आने की ज्यादा संभावना रहती है। सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, मिचली, उल्टी, घबराहट व पसीना आना ये कुछ ऐसे लक्षण हैं जो हार्टअटैक आने के संकेत देते हैं। अगर आप इस खतरे से बचना चाहते हैं तो अपने जीवनशैली और खान-पान में परिवर्तन करके ऐसा कर सकते हैं।
इसके लिए आपको नियमित रूप से व्यायाम करना होगा, सोने के समय को निर्धारित करना, सुबह-शाम घूमने की आदत डालना होगा तथा फास्ट फूड से परहेज करते हुए खान-पान में हरी सब्जियों व ताजे फल का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करना होगा। यही नहीं, शराब और सिगरेट जैसी बुरी आदतों को भी खुद से दूर करना होगा।
आपकी डाइट कैसी हो इस पर विशेषज्ञ बताते हैं कि अपने खान-पान में उस तरह के खाद्य पदार्थों का उपयोग करें जिसमें फाइबर ज्यादा हो। फाइबर पाचन तंत्र को कोलेस्ट्रॉल सोखने से रोकता है। ओटमील, जई का चोकर, सेब, केले, संतरे, नाशपाती, आलूबुखारे, काबुली चने, राजमा, दाल, लोबिया में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
हार्टअटैक बढ़ने के और भी दूसरे कारण हैं जिनमें प्रदूषित वातावरण काफी हद तक जिम्मेदार है। शहरों में दिनोंदिन वाहनों की संख्या बढ़ रही है। इस कारण प्रदूषण फैल रहा है, जो हृदय रोग के लिए घातक है। इसके लिए शहरों और आसपास के क्षेत्रों को हराभरा बनाने की जरूरत है, और यह तभी संभव होगा जब आप खुद जागरुक होंगे और दूसरों में जागरुकता फैलाएंगे।