आज हम शराब छुड़ाने के लिए योग के बारे में बात करेंगे। जो लोग शराब का सेवन करते हैं उन्हें शारीरिक और मानसिक समस्या हो सकती है। शराब का सेवन करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्या यकृत रोग, मधुमेह, ह्रदय संबंधी रोग, आँख की समस्या, हड्डियों की क्षति, मस्तिष्क संबंधी जटिलता, कैंसर आदि। शराब का सेवन करने वाले लोगों का आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है। उसकी एकाग्रता भी क्षीण होने लगती है।इसलिए आज हम बात करेंगे शराब छुडाने के लिए योग के बारे में।
शराब पीने से पूरे शरीर में शराब का जहर फैल जाता है। शराब का सेवन करने से शराब का जहर पूरे शरीर में फैल जाता है। ऐसे में यदि मुंद्रा, ध्यान तथा योग क्रियाओं को किया जाए तो शरीर से विकार को दूर किया जा सकता है। इन विकारों के दूर होने से अल्कोहलिस्म के शिकार लोगों को बहुत अधिक राहत मिल सकती है। आइये जानते हैं शराब छुड़ाने के लिए योग के बारे में।
शराब छुड़ाने के लिए योग – Sharab chudane ke liye yoga hindi me
#1 ज्ञान मुद्रा
ज्ञान मुद्रा को करने से आत्मविश्वास में वृद्दि होती है और इसके साथ ही मन का शुद्धिकरण भी होता है। ज्ञान मुद्रा करने के लिए सबसे पहले सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएं। फिर दाहिने हाथ के अंगूठे को तर्जनी के टिप पर लगाएं और बाई हथेली को छाती के ऊपर रखें। इस मुद्रा में अपनी साँस को सामान्य रखें। इस क्रिया को लगभग 45 मिनट तक करें। यह क्रिया आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है। आप इस क्रिया को चलते फिरते भी कर सकते हैं। शराब छुड़ाने के लिए यह योग काफी मददगार सिद्ध होता है।
#2 कुंजल क्रिया
पानी से पेट साफ़ करने वाली क्रिया को कुंजल क्रिया कहा जाता है। इसमें गुनगुने पानी में नमक मिला लें और इस पानी को पेट भर कर पियें। बाद में उल्टी कर दें इस प्रकार करने से आपके शरीर का शुद्दिकरण हो जाता है।
#3 ध्यान
ध्यान करने से शरीर के अंदर से खराब तत्व बाहर निकल जाते हैं। शरीर में एकाग्रता लाने के लिए त्राटक आसन करना चाहिए। इसमें पलक झपकाए प्रकाश की रौशनी को लगातार देखने का अभ्यास भी किया जाता है। जब आप लगातार इसका अभ्यास करते हो तो एक दिन ऐसा आता है जब यह आपको केवल एक मात्र बिंदु दिखाई पड़ता है।
#4 योग क्रिया
कुछ योग क्रियाओं को करके शरीर में फैलें हुए विष को आसानी से शरीर से बाहर निकला जा सकता है। इसको करने से पेट शंख की तरह धुल जाता है।
#5 बस्ति क्रिया
बस्ति का अर्थ होता है उदर का निचला भाग। बस्ति योग क्रिया में उदर के निचले भाग विशेष कर पाचन तन्त्र को स्वच्छ करने के लिए किया जाता है यह आंत की सफाई करने की एक प्राचीन क्रिया है। इस क्रिया द्वारा गुदा मार्ग के द्वारा पानी या वायु को बड़ी आंत में खींचा जाता है और फिर इसको निकाल दिया जाता है। इस क्रिया द्वारा आंत के निचले हिस्से को साफ़ करने में मदद मिलती है।
#6 शंख प्रक्षालन
यह एक क्लींजिंग योगाभ्यास होता है, जो आपके शरीर को टॉक्सिन्स, विषैले पदार्थ एंव अन्य बेकार तत्वों को आपके शरीर से बाहर बचाता है। इस योग के अभ्यास से न केवल आप सेहतमंद रहते हैं बल्कि यह आपको बहुत सी बीमारियों से भी महफूज रखता है। इस योग को करने के लिए सबसे पहले नमक मिलाकर गुनगुने पानी का सेवन करना चाहिए और बाद में भुजंगासन किया जाता है। इस क्रिया को करने के बाद हरी पत्तेदार सब्जियां, मूली, मैथी आदि का सेवन करना चाहिए। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और साथ ही पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है।
ये सभी योग किसी विशेषज्ञ की सलाह से करें