शलभासन योग की विधि और लाभ

ऑफिस या घर पर लागातार कंप्यूटर के सामने काम करने से पीठ या पीठ के निचले हिस्से में दर्द की समस्या होने लगती है। यह समस्या लगातार बढ़ती चली जाती है। कई बार देखा गया है कि ऑफिस के लोग अपनी पीठ के दर्द से राहत पाने के लिए जिस चेयर पर बैठते हैं वहां तकिया या फिर बैल्ट लगाते हैं ताकि कमर में दर्द न हो।

कमर में दर्द होने की वजह से काम करने में परेशानी होती है। हमारा ध्यान काम पर कम अपने कमर के दर्द पर ज्यादा होता है। जिन लोगों को कमर दर्द की समस्या है उनके लिए शलभासन एक उपयोगी आसन है। इस आसन से न केवल रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है बल्कि वजन भी कम होता है। आइए जानते हैं इसे कैसे करते हैं…

शलभासन करने की विधि
सबसे पहले तो समतल जगह पर दरी या चटाई बिछाकर पेट के बल लेट जाएं। उसके बाद दोनों हाथों को जांघों के नीचे रखें। इसके पैरों को खींचिए और हाथों को तानिए। पेट और पैरों को बिना मोड़े हुए धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। ध्यान रहे अब अपनी गर्दन को उपर की ओर उठा लें और ठोडी को जमीन से लगा लें। इस स्थिति में कुछ देर रुकिए, फिर पूर्व स्थिति में वापस लौटिए। एक बात का ध्यान रखें कि आपको आराम से अपने पैरों को ऊपर उठाना है ना की झटके के साथ। फिर आराम से धीरे-धीरे पैरों को नीचे की और लाएं। इस आसन को आप 10 बार दोहरा सकते हो।
अगर आपको संतुलन बनाने में दिक्कत आ रही है तो आप लटते समय अपने जांघों के नीचे कंबल रख लीजिए। इससे आप यह आसन कर पाओगे। जो लोग पहली बार इस आसन को कर रहे हैं, वह केवल अपना पैर उठाएं और अपनी पूरी बॉडी को नीचे रखें। सपोर्ट के लिए हाथ का सहारा ले सकते हैं।

श्वास कब लें और छोड़े
जमीन पर लेटी हुई स्थिति में श्वास अंदर लीजिए। अंतिम स्थिति में श्वास को अंदर रोकिए और वापस लौटते समय श्वास को बाहर छोड़िए।

सावधानी
1. यह आसन करते समय आपका पेट और आंत खाली होना चाहिए। या फिर खाना खाने के 4 से 6 घंटे बाद ही इस सासन को करना चाहिए। आप इस आसन को सुबह करते हैं तो बहुत ही अच्छा है।
2. जो महिला गर्भवती है उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।
3. अगर आपके गर्दन में दर्द है तो उस स्थिति में भी आप इस आसन को न करें।
4. सिर दर्द या माइग्रेन और रीढ़ की हड्डी में चोट हो तो आप इस आसन को करने से बचें।
5. पेप्टिक अलसर, हर्निया व आंत के कष्ट से पीड़ित या कमजोर ह्र्दय वाले व्यक्ति को बिना सलाह के इस आसन को नहीं करना चाहिए।

शलभासन के लाभ
1. शलभासन का अभ्यास करने से कमर लचीली बनती है और छाती चौड़ी होती है, तथा यह शरीर को संतुलन में सहायक है।
2. इससे उदर व उससे संबंधित अंगों पर विशेष प्रभाव पड़ता है।
3. इस आसन के करने से रक्त संचार की क्रिया सुचारू होती है।
4. यह आसन तनाव को कम करने में मदद करता है।
5. शलभासन करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और मानसिक निराशा दूर होती है।
6. वजन को कम करने में मदद करता है साथ ही इससे मेटाबॉलिज्म नियंत्रित में रहता है।
7. डायबिटीज के रोगियों के लिए भी यह लाभप्रद है।
8. इस आसन के करने से कमर और पीठ के स्नायु मजबूत होते हैं। इसके साथ ही इससे पैरों को मजबूती मिलती है।
9. साथ ही यह आसन गर्भाशय संबंधी परेशानी को दूर करता है।
10. इससे कलाई, जांघों, कंधे, पैर, पिंडली की मांसपेशियों और कूल्हों को भी मजबूती मिलती है।