पित्त की पथरी के लिए योग

पित्ताशय की थैली पेट के दाएं हिस्से में लिवर के नीचे एक छोटा सा अंग है। यह एक थैली है जो पाचन में मदद करता है। पित्त में बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल होने पर अधिकांश पित्त की पथरी बनते हैं। इसलिए आज हम कुछ ऐसे योग के बारे में जानकारी देंगे जो पथरी में इलाज के लिए प्रभावी है।

सर्वांगासन

सर्वांगासन तनाव को दूर करता है, क्योंकि यह मस्तिष्क, और तंत्रिका तंत्र को शांत करता है। इस आसन के कारण थायराइड ग्रंथि को लाभ मिलता है। सर्वांगासन या कंधे का स्टैंड पित्त की पथरी का इलाज करने के लिए एक प्रभावी योग मुद्रा है। यह पित्त मूत्राशय के कामकाज में महत्वपूर्ण सुधार करता है और आपको पित्त की पथरी से छुटकारा पाने में मदद करता है।

सर्वांगासन करने की विधि

सबसे पहले चटाई या दरी बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं और अपने शरीर को ढीला कर दें। इसके बाद सांस लेते हुए धीरे-धीरे से अपने पैरों को बिना मोड़े हुए ऊपर की तरफ उठाएं। अपने पैरों और पीठ को 90 डिग्री तक उठाने का प्रयास करें।

इसके लिए आप अपने हाथों की मदद ले सकते हैं। इसमें कुहनियाँ जमीन के साथ टिकी हुई होनी चाहिए। कुछ समय इस अवस्था में बने रहें और फिर अपनी पुरानी अवस्था में आ जाएं। इस आसन को अपने शरीर की क्षमता के अनुसार ही करें।

शलभासन

शालभासन के लाभ में मांसपेशियों को मजबूत करने और पीठ दर्द जैसी बीमारियों को ठीक करने जैसे फायदे शामिल है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है, मुद्रा में सुधार करता है। शालभसन एक ऐसा योग मुद्रा है जो पित्ताशय की पथरी का काफी हद तक इलाज करने में मदद करता है।

इसका अभ्यास ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है। यह छोटी, बड़ी आंत, और एंजाइम स्राव ग्रंथियों को सक्रिय करता है और आपके पित्त मूत्राशय के कामकाज में सुधार करता है।

शलभासन करने की विधि

सबसे पहले चटाई बिछाकर पेट के बल लेट जाएं। उसके बाद दोनों हाथों को जांघों के नीचे रखें। इसके पैरों को खींचिए और हाथों को तानिए। पेट और पैरों को बिना मोड़े हुए धीरे-धीरे ऊपर उठाएं।

ध्यान रहे अब अपनी गर्दन को उपर की ओर उठा लें और ठोडी को जमीन से लगा लें। इस स्थिति में कुछ देर रुकिए, फिर पूर्व स्थिति में वापस लौटिए। एक बात का ध्यान रखें कि आपको आराम से अपने पैरों को ऊपर उठाना है ना की झटके के साथ।

धनुरासन

यह योग मुद्रा आपकी पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है। यह एड़ियों, जांघों, छाती और पेट के अंगों और रीढ़ की हड्डी को भी मजबूत करता है। धनुरासन पित्त मूत्राशय विकार के इलाज के लिए एक और फायदेमंद योग मुद्रा है।

धनुरासन करने की विधि

धनुरासन को करने के लिए सबसे पहले चटाई पर पेट के बल लेट जाइए फिर धीरे-धीरे घुटनों की एड़ियों को हाथों से पकड़कर पैरों को उपर की तरफ ले जाएं। इसके बाद जांघों को उपर की तरफ उठाने के साथ दोनों हाथों से दोनों पैरों को पीठ की तरफ खीचिए। इस अवस्था में कुछ देर रहने के बाद धीरे-धीरे सांस को छोड़ते हुए वापस अपनी पहली स्थिति में आ जाइए।

भुजंगासन

कोबरा पोस उन बहुमुखी योगों में से एक है जो आपके योग अभ्यास में अनिवार्य है क्योंकि इसमें कुछ महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ हैं। कोबरा पोस या भुजंगासन करने से आपके पेट, रीढ़ और पीठ को खिंचाव और पीठ के दर्द से राहत मदद मिलती है जो अस्वस्थता और पित्ताशय की पथरी के दर्द के कारण होता है।

भुजंगासन करने की विधि

सबसे पहले पेट के बल लेट जाइये तथा पैरों को सीधा व लम्बा फैला दीजिये। हथेलियों को कन्धों के नीचे जमीन पर रखिये तथा सिर को जमीन से छूने दीजिये। धीरे-धीरे सिर को व कन्धों को जमीन से ऊपर उठाइये तथा सिर को जितना पीछे की ओर ले जा सकें, ले जाइये।

धीरे-धीरे पूरी पीठ को ऊपर की ओर तथा पीछे की ओर झुकाते हुए गोलाकार करते जाइये। इस अवस्था में हाथ सीधे होने चाहिए। यह आसन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पीठ पर विशेष तनाव या अनावश्यक खिंचाव न पड़ने पड़े। इस आसन को पांच से छह बार दुहराइये।

पश्चिमोत्तानासन

पश्चिमोत्तानासन एक बहुत ही सिंपल आसन है। यह सबसे अच्छा आसन है जो मधुमेह रिकवरी पाने में मदद करता है। पश्चिमोत्तानासन या बैक-स्ट्रेचिंग पॉज़ करने से आपके पैनक्रिया, गुर्दे और लिवर आपको पित्ताशय के कारण दर्द और असुविधा से मुक्त कर देता है।

पश्चिमोत्तानासन करने की विधि

सबसे पहले चटाई या दरी बिछाकर बैठ जाएं और अपने दोनों पैरों को फैला कर रखें। इसके बाद धीरे-धीरे करके अपने दोनों हाथों से अपने पैरों के अंगूठों को पकड़ने की कोशिश करें। इस प्रकार करते हुए अपने हाथों और पैरों को बिल्कुल सीधा रखें। इस आसन की एक क्रिया पूरी होने के बाद कुछ सेंकड के लिए आराम करें और इसे सिर्फ तीन बार हो दोहराएं।