पीठ, कंधे और छाती में तनाव को दूर करना है तो बलासन एक उपयुक्त आसन है। इसे हम चाइल्ड पोज के नाम से भी जानते हैं। इसे संस्कृत के शब्द ‘बाल’ से लिया गया है जिसका मतलब है बच्चे और ‘आसन’ (आसन) जिसका अर्थ है मुद्रा। यह आसन भ्रूण की स्थिति जैसा दिखता है। यह एक आराम की मुद्रा है जो जांघों पर केंद्रित है और पीठ के दर्द को कम करने में भी मदद करता है। इस आसन को करने से पहले आपका पेट खाली होना चाहिए। इसे भोजन के चार घंटे बाद किया जाना चाहिए।
बालासना एक आसान योग आसन है जिसे हर कोई कर सकता है। योग की शुरुआत करने वाले भी इस आसन को आसानी से कर सकते हैं। आइए जानते हैं बलासन करने की विधि और लाभ के बारे में…
बलासन करने की विधि
1. बलासन करने के लिए सबसे पहले योग मैट पर बैठ जाएं।
2. घुटने के बल जमीन पर बैठ जाएं और शरीर का सारा भाग एड़ियों पर डालें।
3. गहरी सांस लेते हुए आगे की ओर झुकें। आपका सीना जांघों से छूना चाहिए और अपने माथे से फर्श को छूने की कोशिश करें।
4. कुछ सेकंड इस अवस्था में रहें और वापस उसी अवस्था में आ जाएं।
बलासन करने के लाभ
- पीठ, कंधे और छाती में तनाव से मुक्ति देता है।
- चक्कर आना या थकान में बलासन को करने की सलाह दी जाती है।
- इस योग का नियमित अभ्यास करने से तनाव और चिंता को कम करने में मदद मिलती है।
- रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है और शरीर के आंतरिक अंग को फ्लेक्स करता है।
- गर्दन और पीठ दर्द को कम करने में बलासन महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
- यह एक ऐसा आसन है जिससे मन और शरीर को शांत रहता है।
- बलासन करने से पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा मिलता है।
- यह टखनों, कूल्हों और जांघों को फैलाने में मदद करता है।
- पाचन शक्ति को मजबूत बनाता है।
- इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं और पेट की चर्बी घटती है।
बलासन करते समय सावधानियां बरतें
1. गर्भवती महिलाओं को यह आसन करने से बचना चाहिए।
2. इसके अलावा जो लोग दस्त से पीड़ित हैं उन्हें भी बलासन नहीं करना चाहिए।
3. घुटने की चोट में भी बलासन नहीं करना चाहिए।
4. जिन मरीजों को उच्च रक्तचाप की बीमारी है उन्हें भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
5. यदि आपको फर्श पर अपने सिर को रखने में मुश्किल आती है या असहज पाते हैं, तो आप आराम के लिए एक तकिया का उपयोग कर सकते हैं।