रीढ़ की हड्डी – इसके कार्य, जानकारी और बीमारियां

मानव शरीर के रचना में रीढ़ की हड्डी या मेरुदंड होता है, जो पीठ की हड्डियों का एक ऐसा समूह होता है। यह मस्तिष्क के पिछले भाग से निकलकर गुदा के पास तक जाती है। मेरुदंड हमारे शरीर और मस्तिष्क दोनों का ही आधार है। हमारा मस्तिष्क हमारे मेरुदंड का अंतिम छोर है। मेरुदंड हमारे पुरे शरीर की ही आधारशिला है अगर हमारी मेरुदंड युवा है तो हम युवा हैं। अगर मेरुदंड बूढ़ी है तो हम बूढ़े हैं। जब हमारा मेरुदंड ठीक होता है तो हमारे मन मस्तिष्क पर चमक रहती है। मेरुदंड में 33 खंड होते हैं जो मेरुदंड के भीतर ही मेरुनाल में मेरुरज्जु को सुरक्षित रखने में मदद करते है।

रीढ़ की हड्डी या मेरुदंड का शल्यकर्म

मेरुदंड रीढ़ या कशेरुक दंड अनेक प्रकार की छोटी अस्थियों से निर्मित होती है, जिसे कशेरुक के नाम से जाना जाता है और इसकी कुल संख्या 26 होती है जो इस प्रकार से है :-

त्रिकस्थिय में पांच अस्थियां पाई जाती है जबकि कोसेजी में चार अस्थियां एकाकार होती है।

रीढ़ की हड्डी या मेरुदंड के कार्य

मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और परिधीय तंत्रिका में एक्सोन ऊपर और रीढ़ की हड्डी के इलाके में रीढ़ की हड्डी को नीचे भेजते हैं। रीढ़ की हड्डी उत्तेजना के लिए संकेत संचारित करती है और साथ ही हमारे शरीर के कई कार्य को नियंत्रण में करती है जैसे पसीना, रक्तचाप, यौन आंत्र आदि।

रीढ़ की हड्डी या मेरुदंड की सरंचना

रीढ़ की हड्डी (पीले रंग में) पूरे शरीर में नसों को मस्तिष्क से जुड़ती है। रीढ़ की हड्डी में एक लंबी, पतली, ट्यूबलर तंत्रिका ऊतक और समर्थन कोशिकाओं के बंडल की कशेरुका स्तंभ की काठ क्षेत्र से मस्तिष्क तक फैली है। मस्तिष्क में 100 अरब से भी अधिक न्यूरॉन्स होते हैं जिनका वजन लगभग 1.4 किलो (3 पौंड) तक का होता है। मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के ऊतकों के दो मुख्य प्रकार होते हैं, मस्तिष्क में सबसे बड़ी संरचना मस्तिष्क है, जो दो हिस्सों में बांटा गया है।

रीढ़ की हड्डी या मेरुदंड के रोग

जब भी हम कभी अपने उपर गलत तरीका अपनाते हैं, तो इससे हमारा कशेरुकाओं पर असर पड़ता है वो अलग होने लगती हैं, जिससे हमारा मेरुदंड भंग होने लगता है। मेरुदंड के रोग इस प्रकार से हैं जैसे कि…

  1. पीठ में दर्द होना
  2. सर्वाइकल स्पानिडलोसिस
  3. सर्वाइकल कैंसर